बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2023 का आगाज होना अभी बाकि है लेकिन इससे पहले पिच को लेकर विवाद शुरू है। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के पूर्व विकेटकीपर इयान हीली ने पिचों को लेकर भारत पर निशाना साधा था। इसके अलावा मेहमान टीम के दिग्गज बल्लेबाज स्टीव स्मिथ को भी इस पर टिपण्णी करते हुए देखा गया। इस बीच टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने पिच को लेकर बयान करने वालो पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
दरअसल, हीली का कहना था कि अगर आगामी श्रृंखला में भारत 2017 की तरह पिच बनता है जो स्पिनर्स के लिए मददगार रहे तब ऑस्ट्रेलिया मैच नहीं जीत सकेगा। हीली के इस बयान के बाद से कई ऑस्ट्रेलियाई मीडिया और पूर्व क्रिकेटर भारत के पिचों पर सवाल उठा रहे हैं। गावस्कर ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलिया को पिचों के बारे में बोलने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि उनकी अपनी पिचें सवालों के घेरे में है।
गावस्कर का इशारा ब्रिसबेन के गाबा की पिच की ओर था। यहां ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका के बीच खेला गया टेस्ट मैच सिर्फ दो दिन में समाप्त हो गया। यह टेस्ट मैच बीते साल दिसंबर में खेला गया था। गावस्कर का कहना है कि यह पिच इतनी खतरनाक थी जितनी कभी शायद ही कोई भारतीय पिच हो सकती हो।
गावस्कर ने मिड-डे अखबार के अपने कॉलम में लिखा, “ऑस्ट्रेलिया ने पिछले दौरे की पिचों की बात कर माइंड गेम खेलना शुरू कर दिया है। एक देश जहां टेस्ट मैच दो दिनों में खत्म हो जाता है उसे भारतीय पिचों के बारे में बात करने का कोई अधिकार नहीं है। ब्रिसबेन में साउथ अफ्रीका के खिलाफ मुकाबला दो दिनों में समाप्त हो गया था। यह सिर्फ मैच दो दिन में खत्म होने की नहीं है बल्कि सवाल उस पिच को लेकर है जो तैयार की गई। गेंद हर ओर उड़ रही थी और यह खिलाड़ियों की जान और हाथ-पैरों के लिए भी खतरनाक थी। स्पिनर्स के लिए मददगार पिचों पर तो सिर्फ बल्लेबाज की रेप्युटेशन ही खतरे में होती है उनकी जान या हाथ-पैर नहीं,”
गावस्कर ने आगे लिखा, “गाबा में दो दिन में खत्म हुआ टेस्ट मैच हमें दिखाता है कि दोनों टीमों के बेस्ट बल्लेबाजों का कलेजा मुंह को आ गया था। बेशक, ऑस्ट्रेलियाई मीडिया के एक हिस्से ने यह बहाना बनाया कि चूंकि यह बल्लेबाजों का खेल है, इस तरह की पिच गेंदबाजों को कुछ मौका देती है। अच्छा… तो फिर जब भारतीय उपमहाद्वीप में पिचें पहले दिन से टर्न लेती हैं तो रोते क्यों हो। गेंदबाजों के साथ भी माइंड गेम होता है, इसी वजह से वे बल्लेबाज, जो भारतीय उपमहाद्वीप में सेंचुरी या ज्यादा रन बनाते हैं, पहचान पाते हैं।”