• भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम के कप्तान सैयद शाह अजीज ने भारत में दिव्यांग क्रिकेट को लेकर हमसे एक्सक्लूसिव बातचीत की है।

  • शाह अजीज ने दिव्यांग खिलाड़ियों को मिलने वाले सैलरी से लेकर दिव्यांग लड़कों को क्रिकेट में करियर बनाने सहित कई सवालों के जवाब दिए।

Cricket Times Exclusive: दिव्यांग लड़के क्रिकेट में कैसे बनाए अपना करियर? भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम के कप्तान शाह अजीज ने दी जानकारी
सैयद शाह अजीज (फोटो: ट्विटर)

भारत में क्रिकेट कितना फेमस है ये किसी को बताने की जरूरत नहीं है। आज के दौर में एमएस धोनी, विराट कोहली, रोहित शर्मा समेत तमाम भारतीय क्रिकेटर्स के करोडों फैंस हैं जो अपने आईडल पर जान छिड़कते हैं। आज हम आपको एक ऐसे क्रिकेटर से मिलवाएंगे जो जम्मू-कश्मीर की वादियों से निकलकर इंटरनेटशनल क्रिकेट में अच्छा कर रहे हैं। हम भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम के कप्तान सैयद शाह अजीज की बात कर रहे हैं। पिछले साल नेपाल के खिलाफ उन्होंने अपने ऑलराउंड खेल से दिखाया था कि वह भारत के कप्तान क्यों हैं।

शाह अजीज ने हमसे खास बातचीत की है। इस दौरान उन्होंने दिव्यांग क्रिकेट को लेकर कई सारे खुलासे किए और साथ ही बताया कि दिव्यांग लड़के क्रिकेट में अपना करियर कैसे बना सकते हैं। ये रही उनके साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू के दौरान बातचीत का पूरा हिस्सा।

सवाल- कैसी रही आपकी अब तक की क्रिकेटिंग जर्नी? आपने कैसे शुरूआत की

शाह- मेरा क्रिकेटिंग करियर, पहले तो दिव्यांग क्रिकेट के बारे में हमें मालूम भी नहीं था। 2003 में एक जिला लेवल का टूर्नामेंट हुआ था जिसमें छह टीमों में हिस्सा लिया था। हमारी जम्मू-कश्मीर की भी टीम ने खेला। मुझे भी खेलने का मौका मिला था तो वहां से मेरी रूचि इस खेल में और ज्यादा बढ़ी। उसके बाद मैने 2007 से लेकर 2009 तक इंजिनियरिंग की। इंजिनियरिंग के दौरान मैने अपना क्रिकेट जारी रखा। हर रविवार हमारे मैच हुआ करते थे।

सवाल- बहुत लोगों को पता ही नहीं होता कि दिव्यांग क्रिकेट भी होता है। आपको कैसे पता चला?

शाह- 2013 की बात है, हमें सर्च करने पर पता चला कि दिव्यांगों की भी क्रिकेट होती है। इससे पहले हमलोग नॉर्मल लेवल पर क्रिकेट खेलते थे। मैंने अपने दोस्त शाहिद से बात की कि हमलोग जम्मू-कश्मीर की टीम बनाते हैं। उसने कहा कि ये पहल अच्छी है, इसे हमे करनी चाहिए। हमारे जम्मू क्रिकेट की जो स्टेट बॉडी थी, उनसे हमने कॉन्टैक्ट किया। उस समय जम्मू में एक टूर्नामेंट का आयोजन होने जा रहा था जिसमें 6 राज्यों की टीम खेलने वाली थी। हमारी टीम के मुझे मिलाकर केवल 5-6 खिलाड़ी हो रहे थे। हमने किसी तरह कई और दिव्यांग खिलाड़ियों को जोड़े। उसके बाद भी टीम 10 खिलाड़ियों की बन सकी तब हमने 11वां प्लेयर एक साइंस कॉलेज से लिया जो एक लैबरोटरी असिस्टेंट थे। तो इस तरह से हमने अपनी टीम बनाई। आज की डेट में 100 से ज्यादा दिव्यांग लड़के जम्मू-कश्मीर क्रिकेट से जुड़े हुए हैं।

सवाल- दिव्यांग क्रिकेट बोर्ड है क्या? इसमें किस तरह के खिलाड़ी खेलते हैं।

शाह- दिव्यांग क्रिकेट बोर्ड की शुरूआत साल 2007 में हुई थी। लेकिन, ये पहले एसोसिएशन हुआ करती थी। साल 2019 में जाकर यह बोर्ड बना। मेरे हिसाब से भारत सरकार से करीब 65 के आसपास खेल recognized हैं। लेकिन, जब क्रिकेट की बात होती है दिव्यांग क्रिकेट बोर्ड को अभी तक मान्यता नहीं मिली है। लेकिन, हम अपने स्तर पर दिव्यांग क्रिकेट को काफी आगे ले गए हैं। बता दें कि दिव्यांग बोर्ड ने अभी तक 124 के आसपास मैच कराए हैं जिसमें भारतीय टीम ने 100 मैच जीते हैं। 2016 में हम एशिया कप विनर रहे हैं। इसके अलावा लखनऊ में इस साल दिव्यांग क्रिकेट का वर्ल्ड कप होने जा रहा है।

दिव्यांग क्रिकेट की बात करें तो इसमें कई तरह से शारीरिक रूप से दिव्यांग खिलाड़ी आते हैं। केटेगरी की बात करें तो पहला डफ एंड डंब जो बोल और सुन नहीं सकते। ब्लाइंड क्रिकेट भी होती जिसमें खिलाड़ी देख नहीं पाते, जबकि एक होती है व्हील चेयर जिसमें केवल चेयर का इस्तेमाल करने वाले खिलाड़ी खेलते हैं। एक है स्टैंडिंग क्रिकेट है जिसमें हम खेलते हैं। इसमें खिलाड़ियों के पैर और हाथों में दिक्कत रहती है। नॉर्मल क्रिकेट से इसमें अंतर यही होती है कि इसमें अधिकतम तीन रनर लिए जा सकते हैं जबकि रेगुलर क्रिकेट में ये सुविधा बल्लेबाजों को नहीं मिलती है। बाकी लेदर बॉल, ग्राउंड का डाइमेंशन समेत सारी चीजें सेम ही होती है।

सवाल- आपने बताया कि दिव्यांग क्रिकेट में डफ एंड डंब, व्हील चेयर की टीम है तो आपकी टीम किस केटेगरी में आती है। किस तरह के खिलाड़ी आपकी टीम में खेलते हैं।

शाह- इसे स्टेंडिंग क्रिकेट कहते हैं। इसमें जैसे कोई हाथ से तो कोई पैर से दिव्यांग है। यानि शरीर से 40 फीसदी से ज्यादा दिव्यांगता होती है। ये 70 फीसदी तक भी जा सकता है। हमारी टीम में बैसाखी की मदद लेकर खेलने वाले भी खिलाड़ी होते हैं। जैसे जिनका एक पैर नहीं होता वे अपने बांह में बैसाखी को फंसाकर खेलते हैं।

सवाल- आर्थिक आधार पर दिव्यांग क्रिकेट की ग्रोथ को कैसे देखते हैं?

शाह- जहां तक फाइनेंस की बात करूं तो मुझे याद है जब हम नेशनल टूर्नामेंट खेला करते थे तो हम धर्मशाला में रूका करते थे , आश्रम में भी रूके हैं। एक-एक रूम में 6-7 खिलाड़ी ठहरते थे। आज की तारीख और 10 साल पहले के दिव्यांग क्रिकेट में बहुत बड़ा बदलाव हो गया है। फाईनेंस या फिर सुविधाओं के हिसाब से देख लें। आज की तारीख में हमें फाइव स्टार होटलों में रहने से लेकर अच्छा खाना प्रोवाइड किया जाता है। मैचों के लिए वैसे ग्राउंड उपलब्ध कराएं जाते हैं जहां रणजी के मैच होते हैं। जिस तरह से 1983 वर्ल्ड कप के मेंस भारतीय क्रिकेट टीम काफी बदल गई, मैं आशा करता हूं कि नवंबर में डिसैबिलिटी क्रिकेट वर्ल्ड कप के बाद दिव्यांग क्रिकेट की दशा बदलेगी।

सवाल- मेंस भारतीय क्रिकेट टीम की बात करें तो खिलाड़ियों को उन्हें हर मैच की फीस मिलती है। दिव्यांग क्रिकेट में  खिलाड़ियों को  कितना पेआउट मिलता है।

शाह- दिव्यांग क्रिकेट में खिलाड़ियों के लिए अभी तक सैलरी का कोई प्रावधान नहीं है। क्योंकि जब खुद बोर्ड के पास पैसें होंगे तब तो वो हमें वेतन देंगे। बोर्ड को बने अब महज पांच ही साल हुए हैं और कुछ ही ब्रांड्स साथ जुड़े हैं। धीरे-धीरे दिव्यांग क्रिकेट बढ़ेगा जो जाहिर तौर पर खिलाड़ियों को सैलरी मिलेगी। फिलहाल, हमें मैच के हिसाब से पैसें मिलते हैं। जैसे स्पॉन्सरशिप से मिले पैसें से खर्चा निकाल कर जो भी बचता है वो खिलाड़ियों के बीच बांट दिया जाता है।

सवाल- आपकी टीम ने पिछले साल नेपाल के खिलाफ आगरा में सीरीज खेली थी। टीम के प्रदर्शन को किस तरह से देखते हैं?

शाह- हम 2022 में नेपाल के खिलाफ राजधानी काठमांडू में खेले थे। उस सीरीज में काफी नए लड़कों को चांस मिला था। मेरी कप्तानी में वह सीरीज हमने 2-1 से जीती थी। उस सीरीज में मैंने 7 विकेट लिए और 100 से ज्यादा रन बनाए, जिसमें नाबाद 54 रन शामिल हैं, मुझे 1 मैन ऑफ द मैच के अलावा मैन ऑफ द सीरीज अवार्ड मिला। जबकि, 2023 में नेपाल की टीम हमारे यहां आई थी। आगरा में खेले गए तीन मैचों की टी20 सीरीज भी हमने 2-1 से जीती थी। उसके साथ-साथ दिव्यांग क्रिकेट की हिस्ट्री में पहली बार टेस्ट मैच भी हुआ। इस मैच में मैं बतौर उपकप्तान खेला। मैंने एकमात्र टेस्ट में 118 रन बनाए जो किसी भी दिव्यांग खिलाड़ी का इस फॉर्मेट में यह पहला शतक था। भारत ने यह मैच 18 रन और पारी से जीती थी। मैं दिव्यांग क्रिकेट बोर्ड को बहुत धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे टीम की अगुवाई करने का मौका दिया।

सवाल- दिव्यांग क्रिकेट को प्रोमोट करने के लिए दिव्यांग प्रीमियर लीग भी खेला जाता है। इसको लेकर आपकी राय क्या है?

शाह- दिव्यांग प्रीमियर लीग 2021 में कोरोना काल के दौरान हुआ था। हमारी टीम खेलने के लिए यूएई गई थी, काफी अच्छा टूर्नामेंट हुआ था, लेकिन बदकिस्मती से करीब 25-26 खिलाड़ी कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। बोर्ड ने इस दौरान खिलाड़ियों की पूरी मदद की। जब तक सभी खिलाड़ियों का सही से ट्रीटमेंट पूरा नहीं हो गया, बोर्ड के अधिकारी वहां डटे रहे। हालाकि, अगले साल 2022 से ये टूर्नामेंट नहीं हो सका है। लेकिन, 2024 में डिफ्रेंट्ली एबल्ड प्रीमियर लीग के नाम से इसकी वापसी होने जा रही है। एक बार फिर ये यूएई में खेला जाएगा। तमिलनाडु में इसको लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस भी होगी जिसमें टूर्नामेंट को लेकर जानकारी दी जाएगी।

सवाल- लखनऊ में होने वाले डिसैबिलिटी क्रिकेट वर्ल्ड को लेकर आपके पास कोई जानकारी?

शाह- ये लखनऊ में होने जा रहा है। दिव्यांग जनों के इतिहास का यह पहला वर्ल्ड कप है। इसमें छह टीमें तो एशिया की है जबकि यूरोप की भी दो टीम होगी। कुल आठ टीमें तय हुई है। हालांकि, दिव्यांग बोर्ड ने दुनिया के कई सारे बोर्ड को वर्ल्ड कप के लिए आमंत्रित किया, लेकिन अभी तक आठ टीमें ही फाइनल हुई है। नवंबर के पहले सप्ताह में ये वर्ल्ड कप लखनऊ में शुरू होगा।

सवाल- हाल ही में जम्मू-कश्मीर के दिव्यांग क्रिकेटर आमिर हुसैन काफी चर्चा में आए। खुद भारतीय दिग्गज सचिन तेंदुलकर ने उन्हें प्रोमोट किया। मुंबई में आयोजित हुए इंडियन स्ट्रीट लीग में भी आमिर खेले थे। उनको लेकर आपकी क्या राय है?

शाह- आमिर की जहां मैं बात करूं, वो काफी होनहार लड़का था। दुर्भाग्यवश, उसके दोनों हाथ कटर मशीन में आ गए थे। उसको बचाने में इंडियन आर्मी का बड़ा रोल रहा जो उसे हॉस्पिटल तक ले गई थी। वह जम्मू-कश्मीर क्रिकेट का हीरा है। वह मेरे साथ स्टेट टीम में ही खेलता है। वह सचिन तेंदुलकर को बचपन से ही बहुत ज्यादा फॉलो करता था। जब मीडिया के जरिए सचिन को ये बात पता लगी तो उन्होंने आमिर को फोन करते बताया कि मैं आपसे मिलने आ रहा हूं। वह श्रीनगर में अपनी फैमिली के साथ आमिर से मिले भी। इसके अलावा आईएसपीएल में खेलने के लिए भी बुलाया। इस वजह से उसका काफी प्रोमोशन हो गया। उसके बाद से आमिर की लाइफ पूरी तरह से चेंज हो गई।

सवाल- भारतीय मेंस क्रिकेट में खिलाड़ियों के चोटिल होने पर नेशनल क्रिकेट एकेडमी है। दिव्यांग क्रिकट में इसको लेकर क्या सुविधा है। खिलाड़ी चोटिल होने के बाद कैसे वापसी करते हैं?

शाह- अभी तक ऐसा कोई प्रोविजन नहीं है। लेकिन, इसके लिए नारायण सेवा संस्थान है वो खिलाड़ियों के चोटिल होने पर काफी ज्यादा सपोर्ट करती है। जो भी खिलाड़ी उन्हें अप्रोच करता है, लगभग फ्री ऑफ कॉस्ट इलाज किया जाता है।

सवाल- क्या दिव्यांग क्रिकेट को पैरालंपिक्स में जोड़ा जाना चाहिए?

शाह- जी बिल्कुल, दिव्यांग क्रिकेट को पैरालंपिक्स गेम्स का भी हिस्सा बनाया जाना चाहिए क्योंकि भारत में पैरालंपिक्स को लेकर बहुत बड़ा स्कोप है।

सवाल- क्या आपने टी20 वर्ल्ड कप देखा?

शाह- जी, हमने देखा। उस समय हमारे सोनीपत में मैच चल रहे थे। दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए आखिरी 30 गेंदों में लगभग 30 रन की जरूरत थी और वहां से जब भारतीय टीम ने कमबैक किया, वो मुझे अभी भी यकीन नहीं होता। इसमें सबसे बड़ा रोल हमारे बॉलर्स, कप्तान रोहित शर्मा और पूरी टीम का रहा जिन्होंने हमें खुशी का मौका दिया।

सवाल- अगले साल पाकिस्तान में चैंपियंस ट्रॉफी होने वाली है। क्या भारतीय टीम को इसके लिए पाकिस्तान जाना चाहिए?

शाह- एक खिलाड़ी के तौर पर कहूं तो हमें किसी भी मुल्क से खेलना चाहिए क्योंकि हमारी टीम एक ऐसी टीम जिससे दुनिया की किसी भी टीम से भिड़ा लो, हम जीतने की झमता रखते हैं। अगर टूर्नामेंट को लेकर हाईब्रिड मॉडल बन जाता है तो वो भी काफी अच्छी चीज है। अगर ये नहीं हो पाता तब हम पाकिस्तान में जाकर उन्हें हरा देंगे इसमें क्या दिक्कत है। ये तो डबल खुशी होगी कि हम उनके घर में जाकर ही उनको हराया है।

सवाल- आपका फेवरेट क्रिकेटर कौन है?

शाह- मेरा हमेशा से एक ही आइडल रहा है वो हैं महेंद्र सिंह धोनी क्योंकि वह बहुत ही शांत स्वभाव के हैं। उन्होंने ऐसे भी मैच भारत के लिए निकाले हैं जब हम सोचने लगे कि मैच भारत के हाथ से जा चुके हैं। 2007 का वर्ल्ड कप ही देख ले। लास्ट ओवर जोगिंदर शर्मा से करवाना उनके सबसे बड़ा साहसिक फैसलों में से एक था।

सवाल- हमारे दिव्यांग लड़के जो क्रिकेट में आगे बढ़ना चाहते हैं वो अपना करियर कैसे बनाए?

शाह- दिव्यांग क्रिकेट को लेकर सोशल मीडिया पर अब लोगों की जानकारी मिलती है। वहीं, जब प्रीमियर लीग और फिर वर्ल्ड कप होगा तो इसके माध्यम से दिव्यांग क्रिकेट को और बढ़ावा मिलेगा। मुझे नहीं लगता कि लोग इससे अछूते रह पाएंगे। हमारे पास कई बार दिव्यांग लड़कों के कॉल आते हैं जो क्रिकेट में आगे बढ़ना चाहते हैं। इसके लिए हम उन्हें स्टेट को-ऑर्डिनेटर्स के नंबर शेयर करते हैं। जैसे किसी तमिलनाडु के लड़के ने अगर मुझे संपर्क किया तो मैं उसे राज्य के को-ऑर्डिनेटर्स के नंबर से बात कराता हूं। इसके लिए स्टेट को-ऑर्डिनेटर्स ने अपनी-अपनी एसोसिएशन बनाई हुई है जो दिव्यांग क्रिकेट बोर्ड के साथ रजिस्टर्ड है। जैसे मैं बात करूं, जम्मू कश्मीर की तो वहां हमने, जे.के दिव्यांग वेल्फेयर एसोसिएशन के नाम से संस्था बनाई हुई है।

सवाल- पैरिस ओलंपिक में भारत ने अब तक तीन ब्रांज मेडल जीते हैं। इस आयोजन में हिस्सा ले रहे एथलिट्स को आपका क्या संदेश है?

शाह- भारत के लिए यह प्राउड मोमेंट है। जब आप स्टेट को ही रेप्रेजेंट करते हो तो यह बहुत खुशी की बात होती है। वहीं, जब आप किसी भी टूर्नामेंट में भारत को रेप्रेजेंट कर रहे हैं और उसमें मेडल जीत रहे हैं, उससे प्राउड मोमेंट मुझे नहीं लगता खिलाड़ियों के अपने लाइफ में होगी। मैं आशा करता हूं कि मेडल की संख्या तीन से 30 के भी ऊपर जाए जिससे हमें भी खुशी का मौका मिले। मेरा संदेश यही है कि भारत सरकार सभी एथलिट्स के लिए पूरा पैकेज दे ताकि वो अच्छी तैयारी के साथ टूर्नामेंट में उतरे और जब वो जीते तो पूरा सम्मान भी मिले। उनकी जीत को पूरी तरह से प्रोमोट किया जाना चाहिए।

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श्रेणी:: भारत

लेखक के बारे में:
क्रिकेट की दुनिया में जीते हैं। इस खेल के बारे में लिखना और देखना दोनों पसंद... धोनी के बहुत बड़े प्रशंसक। जुनूनी क्रिकेट राइटर जो दिलचस्प कंटेंट तैयार करने से पीछे नहीं हटते। पुलकित से संपर्क करने के लिए pulkittrigun@crickettimes.com पर मेल करें।