• अफगानिस्तान के दो स्टार क्रिकेट खिलाड़ियों ने तालिबान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

  • तालिबान के हालिया फैसलों को लेकर अफगानी क्रिकेटर्स ने नाराजगी जताई है।

अफगानिस्तान के दो स्टार खिलाड़ियों ने तालिबान से लिया पंगा, सरेआम सरकार को लगाई लताड़ और साथ ही कर दी ये मांग
अफगानिस्तान, तालिबान (फोटो: ट्विटर)

अफगानिस्तान में अगस्त 2020 में तालिबान सरकार की फिर से वापसी हो गई थी। जिसके बाद तालिबीनी हुकूमत ने शरिया कानून के तहत देश में राज करने का ऐलान कर दिया। नए नियम बनाए गए जिसके तहत खासतौर पर महिलाओं से जुड़े अधिकार को छीन लिया गया। अफगानिस्तान में महिला क्रिकेट तो पूरी तरह से बैन कर दिया गया। इसके अलावा और भी कई तरह की पांबदियां लगा दी गई। लेकिन, अब ये सारी चीजें अफगानिस्तान के मेंस क्रिकेट खिलाड़ियों के बर्दास्त के बाहर चल गया है। तभी तो इस देश के लिए खेलने वाले दो स्टार खिलाड़ियों ने तालिबान से ही पंगा ले लिया है।

दरअसल, अफगानिस्तान के क्रिकेट दिग्गज राशिद खान और मोहम्मद नबी ने हाल ही में तालिबान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसकी वजह बना महिलाओं के शिक्षा का अधिकार छीनना। चूंकि, अफगानिस्तान में महिलाओं की शिक्षा पर पहले ही कई पाबंदियां लग चुकी थीं, लेकिन चिकित्सा क्षेत्र को अब तक कुछ राहत मिली हुई थी। हालांकि, तालिबान के नए फैसले ने महिलाओं के लिए शिक्षा के आखिरी दरवाजे को भी बंद कर दिया है।

फिर क्या राशिद और नबी ने अन्यायपूर्ण फैसले को लेकर तालिबान सरकार को खुलेआम लताड़ लगा दी। सोशल मीडिया पर पोस्ट पर दोनों ही खिलाड़ियों ने महिलाओं के मुद्दो को उठाया है और साथ ही लगे बैन को हटाने की मांग की है।

ट्विटर पर एक पोस्ट शेयर कर राशिद कहते हैं, “मैं ईमानदारी से फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील करता हूं ताकि अफगान लड़कियां शिक्षा के अपने अधिकार को पुनः प्राप्त कर सकें और राष्ट्र के विकास में योगदान दे सकें। सभी को शिक्षा प्रदान करना न केवल एक सामाजिक जिम्मेदारी है बल्कि एक नैतिक जिम्मेदारी भी है।”

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जबकि, नबी ने भी महिलाओं के लिए आवाज उठाते हुए कहा, “तालिबान द्वारा लड़कियों को चिकित्सा की पढ़ाई करने से रोकने का फैसला न केवल दिल तोड़ने वाला है, बल्कि बेहद अन्यायपूर्ण भी है। इस्लाम ने हमेशा सभी के लिए शिक्षा के महत्व पर जोर दिया है। मैं तालिबान से इन मूल्यों पर विचार करने का आग्रह करता हूं। लड़कियों को सीखने और अपने लोगों की सेवा करने का मौका न देना उनके सपनों और हमारे देश के भविष्य दोनों के साथ विश्वासघात है। हमारी बेटियों को पढ़ने, बढ़ने और सभी के लिए एक बेहतर अफगानिस्तान बनाने दें। यह उनका अधिकार है, और इसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।”

अब देखना दिलचस्प होगा कि तालिबान सरकार इन खिलाड़ियों के आग्रह पर कैसे रिएक्ट करती है।

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श्रेणी:: अफगानिस्तान

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