चैंपियंस ट्रॉफी 2025 करीब आ रही है और टीमें जमकर तैयारी कर रही हैं, लेकिन इस बीच भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के एक विवादास्पद फैसले को लेकर भारतीय टीम में अब भी चर्चा हो रही है। यह फैसला हाल ही में खत्म हुई बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की हार के बाद लिया गया था।
बीसीसीआई ने खिलाड़ियों के विदेशी दौरे के दौरान आचरण और उनके साथ परिवार या परिचितों को ले जाने के नियमों पर सख्ती की। बाद में बोर्ड ने नियमों को थोड़ा आसान किया, लेकिन पूरी तरह से वापस नहीं लिया। इसी बीच, पीटीआई की एक रिपोर्ट में बताया गया कि भारतीय टीम के एक सीनियर खिलाड़ी ने इस फैसले में छूट देने की मांग की, लेकिन बोर्ड ने मना कर दिया।
विदेशी दौरों पर खिलाड़ियों के साथियों को लाने पर बीसीसीआई का नरम रुख
बीसीसीआई अपने फैसले पर कायम है, लेकिन चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान खिलाड़ियों के रहने की व्यवस्था में कुछ छूट दे सकता है। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बोर्ड ने साफ कर दिया है कि अगर कोई खिलाड़ी अपने परिवार को साथ ले जाना चाहता है, तो उसे खुद खर्च उठाना होगा। हाल ही में टीम इंडिया के एक सीनियर खिलाड़ी ने इस मामले में छूट मांगी थी, लेकिन बोर्ड ने उनका अनुरोध ठुकरा दिया। इससे साफ है कि बीसीसीआई अपने फैसले को लेकर सख्त रुख अपनाए हुए है।
“अगर कुछ बदलता है तो यह अलग है, लेकिन अभी तक, खिलाड़ियों के इस दौरे के लिए अपनी पत्नियों या भागीदारों के साथ जाने की संभावना नहीं है। एक वरिष्ठ खिलाड़ी ने इसके बारे में पूछताछ की थी और उन्हें बताया गया था कि नीतिगत निर्णय का पालन किया जाएगा, क्योंकि यह दौरा एक महीने से भी कम समय का है, इसलिए खिलाड़ियों के साथ परिवार नहीं होंगे। लेकिन अगर अपवाद किए जाते हैं, तो मुझे लगता है कि उस व्यक्ति को पूरा खर्च वहन करना होगा क्योंकि बीसीसीआई कोई लागत नहीं उठाएगा,” बीसीसीआई के एक सूत्र ने पीटीआई को बताया।
बीसीसीआई का 10 सूत्रीय आदेश क्या था?
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बीसीसीआई ने टीम में अनुशासन, एकजुटता और घरेलू क्रिकेट के प्रति खिलाड़ियों की प्रतिबद्धता बढ़ाने के लिए नए नियम लागू किए हैं। अब राष्ट्रीय टीम में खेलने के लिए खिलाड़ियों को घरेलू टूर्नामेंट में हिस्सा लेना जरूरी होगा, सिर्फ खास मामलों में ही छूट मिलेगी।
बोर्ड ने टीम की यात्रा से जुड़े नियम भी सख्त कर दिए हैं। खिलाड़ी अब अपनी निजी व्यवस्था से यात्रा नहीं कर सकते, जब तक कि मुख्य कोच और चयन समिति के अध्यक्ष इसकी अनुमति न दें। इसके अलावा, हेयरड्रेसर और नैनी जैसे निजी कर्मचारी बिना बीसीसीआई की मंजूरी के दौरे पर नहीं जा सकते।
टीम के बीच एकता बनाए रखने के लिए, खिलाड़ियों को पूरे दौरे या सीरीज के दौरान टीम के साथ रहना होगा। अगर कोई इन नियमों का पालन नहीं करता, तो उसे जुर्माना या निलंबन जैसी सजा मिल सकती है।
बोर्ड ने पारिवारिक यात्रा नीति भी बदली है। अब 45 दिनों से ज्यादा लंबे दौरे में खिलाड़ियों के परिवार उनके साथ जा सकते हैं, और उनके रहने का खर्च बीसीसीआई उठाएगा। खिलाड़ियों को सामान से जुड़े नियमों का पालन करना होगा, हर अभ्यास सत्र में भाग लेना जरूरी होगा, निजी सहायक रखने से बचना होगा और बीसीसीआई से जुड़ी गतिविधियों को प्राथमिकता देनी होगी। इन नियमों का मकसद टीम में अनुशासन और एकजुटता बनाए रखना है।