दीप दासगुप्ता भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व विकेटकीपर-बल्लेबाज हैं, जिन्होंने अपने खेल से टीम को अहम योगदान दिया। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद, उन्होंने कमेंट्री और विश्लेषण के क्षेत्र में कदम रखा और आज वे एक जाने-माने क्रिकेट एक्सपर्ट हैं। उनकी गहरी क्रिकेट समझ और शानदार विश्लेषण के कारण वे दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं।
मशहूर क्रिकेट कमेंटेटर दीप ने हमारे चैनल को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कई अहम मुद्दों पर खुलकर बात की। उन्होंने रोहित शर्मा और विराट कोहली के करियर को लेकर हो रही चर्चाओं पर अपनी राय दी और बताया कि क्या ये दोनों दिग्गज क्रिकेटर अपने आखिरी दौर में हैं या अभी भी भारतीय क्रिकेट में बड़ा योगदान दे सकते हैं।
इसके अलावा, दीप ने कमेंट्री की दुनिया में अपने सफर, क्रिकेट में अपने अनुभव और इस प्रोफेशन के बारे में भी खुलकर बात की। पढ़िए पूरा इंटरव्यू, जहां उन्होंने क्रिकेट और अपने करियर से जुड़े कई दिलचस्प किस्से साझा किए।
1) सवाल: कैसे शुरुआत हुई पहले आप जिम्नास्ट थे और उसके बाद क्रिकेट का ख्याल कैसे आया?
दीप: क्रिकेट का ख्याल तो हर वक्त ही था क्योंकि, जिसे कहते हैं ना, हम वो 83 वाले जनरेशन के हैं। तो बचपन से ही यह था कि क्रिकेट खेलना है। बचपन से ही सुनील गावस्कर, कपिल देव, 83 वर्ल्ड कप के सारे खिलाड़ी—ये सब देख-देखकर क्रिकेट से जुड़ाव हो गया था। घर पर भी सभी क्रिकेट के फैन थे, जैसा कि अमूमन भारतीय घरों में होता ही है। इसलिए क्रिकेट हर समय दिमाग में बना रहता था।
हां, तब क्रिकेट ऑर्गेनाइज तरीके से नहीं था, जैसे कि आज के बच्चे चार-पांच साल की उम्र में ही अकादमी जाने लगते हैं। उस वक्त वैसा सिस्टम नहीं था। दिल्ली में एक नेशनल स्टेडियम था, जहां अब क्रिकेट की गतिविधियां बंद हो गई हैं, लेकिन पहले वहां एनआईएस (NIS) के तहत सभी खेलों की अकादमियां थीं। मैं तब बहुत छोटा था, शायद 7-8 साल का, और वहां पर मेरे ख्याल से 11 या 12 साल की उम्र से पहले क्रिकेट खेलने की अनुमति नहीं थी। कोई उम्र की सीमा तय थी।
इसी वजह से शुरुआत जिम्नास्टिक्स से हुई और इसकी भी वजह यही थी कि मेरे बड़े भाई एथलीट थे—वो नेशनल लेवल के एथलीट थे। उन्हें ट्रेनिंग के लिए जाना होता था, तो मैं भी उनके साथ जाने लगा। उस उम्र में क्रिकेट खेल नहीं सकता था, लेकिन जिम्नास्टिक्स की अनुमति थी, 7-8 साल के बच्चों के लिए। तो इस तरह मेरी यात्रा जिम्नास्टिक्स से शुरू हुई और फिर धीरे-धीरे क्रिकेट की ओर मुड़ी।
जहां तक क्रिकेट में सबसे यादगार पलों की बात है, तो खेलना एक अलग ही अनुभव था। लेकिन कमेंट्री भी मेरे हिसाब से दुनिया की सबसे अच्छी नौकरी है। हालांकि, खेलना फिर भी अलग ही होता है—वो अनुभव कुछ और ही होता है।
2) सवाल: आपके क्रिकेट करियर का सबसे यादगार लम्हा कौन सा रहा? क्या यह आपका टेस्ट डेब्यू था, जिसे हर क्रिकेटर बचपन से सपना देखता है? साथ ही, आपने अपने दूसरे ही टेस्ट मैच में एक शानदार पारी खेली थी। उस अनुभव के बारे में कुछ बताएं।
दीप: हाँ, ड्रेसिंग रूम के बाहर बहुत कुछ हो रहा था। मैच रेफरी ने कुछ खिलाड़ियों को बैन और फाइन किया था, जिससे माहौल थोड़ा तनावपूर्ण था। लेकिन हमारे सीनियर खिलाड़ियों ने हमसे कहा, टेस्ट मैच अभी खत्म नहीं हुआ है। बाहर जो भी हो रहा है, उस पर ध्यान मत दो। हम सब संभाल लेंगे। तुम बस अपने खेल पर ध्यान दो।
पहले टेस्ट मैच में मैं सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करने आया था। लेकिन दूसरे टेस्ट से पहले सौरव गांगुली ने मुझसे कहा, तुम्हें ओपनिंग करनी होगी। मैंने तुरंत कहा, मुझे कोई दिक्कत नहीं है, कहीं भी खेलूंगा। बस खेलना चाहिए, चाहे पहला नंबर हो या ग्यारहवां। उन्होंने कहा, ठीक है, फिर तुम ओपन करोगे। मैंने हामी भर दी और दूसरे टेस्ट में ओपनिंग की।
उस मैच में हमें आखिरी दिन पूरा खेलना था। चौथे दिन के आखिरी सत्र में मैं बल्लेबाजी करने उतरा और फिर पूरा पांचवां दिन खेलना था। यह मेरे लिए बहुत खास अनुभव था। मेरे साथ राहुल द्रविड़ बल्लेबाजी कर रहे थे, और उनके साथ खेलना अपने आप में सीखने का बेहतरीन मौका था। उन्होंने जिस तरह से गाइड किया, उससे मुझे समझ आया कि बड़े खिलाड़ी कैसे सोचते हैं और खेलते हैं। उनके साथ खेली गई वह पारी मेरे करियर के सबसे यादगार पलों में से एक थी।
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3) सवाल: आप बतौर क्रिकेट कमेंटेटर काम करते हैं, कमेंट्री को कितना एंजॉय कर रहे हैं?
दीप: मेरे ख्याल से इससे बेहतर कोई काम हो ही नहीं सकता। आप मैच देख रहे हैं, मैच के बारे में बात कर रहे हैं, आप घूम रहे हैं और यही आपका काम है। इससे अच्छा क्या हो सकता है? सुबह उठो, जाओ, मैच देखो, उसके बारे में चर्चा करो। यह सच में एक बेहतरीन अनुभव है। एक शानदार कमेंटेटर बनने का मजा ही कुछ और है और जब लोग आपको पसंद करते हैं, आपकी बातें सुनते हैं, तो और भी अच्छा लगता है। यह सच में एक ऐसा काम है जिसे करने में मजा आता है और जिसे मैं बहुत एंजॉय करता हूं।
4) सवाल: आपका पसंदीदा कमेंटेटर कौन है?
दीप: देखिए, कमेंट्री भी एक टीम की तरह होती है, जैसे क्रिकेट टीम में हर खिलाड़ी अलग भूमिका निभाता है। कोई ओपनर होता है, कोई मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज, कोई स्पिनर होता है तो कोई तेज गेंदबाज। वैसे ही कमेंट्री टीम में भी हर कोई अपनी अलग खासियत लेकर आता है। कोई भाषा पर अच्छी पकड़ रखता है, कोई खेल की गहरी इनसाइट देता है, और हर किसी का खेल को देखने का नजरिया अलग होता है। अगर कोई खुद बल्लेबाज रह चुका हो, तो उसका देखने का तरीका अलग होगा। कोई शानदार कहानियां सुनाता है, कोई कोचिंग के नजरिए से खेल को समझता है, तो कोई खेल का गहराई से विश्लेषण करता है।
अगर मैं अपने अनुभव की बात करूं तो मैंने जिन कमेंटेटर्स के साथ काम किया है, वे सभी अलग-अलग अंदाज में बेहतरीन हैं। इसलिए यह कहना कि कोई एक मेरा फेवरेट है और कोई नहीं, शायद सही नहीं होगा। मैं इस प्रोफेशन में अब 10 साल से हूं और इस दौरान बहुत से दिग्गजों के साथ काम करने का मौका मिला। इस फील्ड में कोई स्कूल या अकेडमी नहीं होती जहां जाकर आप इसे सीख सकें, इसलिए हर दिन नया कुछ सीखने को मिलता है। खासकर जब आप सीनियर कमेंटेटर्स के साथ काम करते हैं, तो उनसे बहुत कुछ सीखते हैं। मैं खुद को बहुत लकी मानता हूं कि मुझे इतने बड़े नामों के साथ काम करने का मौका मिला और वे सभी हमेशा मेरे प्रति बहुत अच्छे और मददगार रहे।
5) सवाल: लोग कह रहे हैं कि रोहित शर्मा और विराट कोहली का करियर अब खत्म होने वाला है। आपको क्या लगता है, क्या ये दोनों अपने आखिरी दौर में हैं?
दीप: मेरी राय में रोहित और विराट अभी भी पूरी तरह से वनडे क्रिकेट में मौजूद हैं। टेस्ट क्रिकेट में क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी। मैंने पहले भी कहा है कि ये दोनों इतने बड़े खिलाड़ी हैं कि उनके क्रिकेट करियर पर सवाल उठाने की जरूरत ही नहीं है और ना ही ऐसा होना चाहिए। कोई भी खिलाड़ी ऐसे ही 32 वनडे शतक या 81 अंतरराष्ट्रीय शतक नहीं बना सकता। ये दोनों बहुत ही बड़े खिलाड़ी हैं।
अब सबसे बड़ा सवाल यह नहीं है कि वे कितने साल और खेल सकते हैं, बल्कि यह है कि क्या उनमें अब भी वही भूख बची है जो 10 साल पहले थी? ये दोनों खिलाड़ी बहुत कुछ हासिल कर चुके हैं—इंडिविजुअली भी और टीम के लिए भी। वर्ल्ड कप जीत चुके हैं, कई रिकॉर्ड बना चुके हैं। अब सवाल यह है कि क्या उनके अंदर अब भी वैसी ही भूख बची है जैसे पहले थी? अगर हां, तो वे आगे भी खेलते रहेंगे और अच्छा प्रदर्शन करेंगे। लेकिन यह सवाल ना आप जवाब दे सकते हैं, ना मैं। इसका जवाब तो सिर्फ रोहित और विराट ही दे सकते हैं।
बड़ा सवाल यह है कि क्या वे अब भी उसी तरह त्याग करने को तैयार हैं? क्या वे अब भी रोज सुबह जल्दी उठकर ट्रेनिंग करने और घंटों प्रैक्टिस करने के लिए तैयार हैं? क्या वे अपने परिवार के खास मौकों को छोड़कर भी क्रिकेट को प्राथमिकता देंगे? अगर उनकी भूख वैसी ही बनी रहती है, तो वे जरूर आगे खेलते रहेंगे। लेकिन अगर उनकी भूख कम हो गई, तो खेलना मुश्किल होगा।
इसके अलावा, जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे फिटनेस और रिफ्लेक्सेस पर असर पड़ता है। इसलिए शरीर पर ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। अब सवाल यही है कि क्या वे अब भी उतना ही समर्पण दिखाएंगे? अगर हां, तो वे आगे भी खेलते रहेंगे, लेकिन अगर नहीं, तो मुश्किलें जरूर आएंगी।