भारतीय क्रिकेट के सबसे बड़े सितारों में से एक, विराट कोहली ने हाल ही में आईपीएल में भारतीय टीम और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की कप्तानी छोड़ने के अपने फैसले पर खुलकर बात की। RCB पॉडकास्ट में बातचीत के दौरान कोहली ने बताया कि उन पर बहुत ज़्यादा दबाव था और हर समय आलोचना झेलनी पड़ती थी, जिससे उन्हें कप्तानी छोड़ने का फैसला लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि वे फिर से क्रिकेट में एक “खुशहाल जगह” पाना चाहते थे।
कोहली की यह बातें कप्तानी के मानसिक और भावनात्मक बोझ को दिखाती हैं, जिसे आमतौर पर लोग नहीं देख पाते। 2021 में उन्होंने टी20 वर्ल्ड कप के बाद भारत की टी20 टीम की कप्तानी छोड़ दी थी, यह कहते हुए कि अब उन्हें अपनी बल्लेबाज़ी पर ज़्यादा ध्यान देना है और कार्यभार को बेहतर ढंग से संभालना है।
विराट कोहली ने बताई पद छोड़ने की असली वजह
कोहली ने आरसीबी पॉडकास्ट पर बात करते हुए बताया कि उनके लिए कप्तानी और बल्लेबाजी दोनों को साथ संभालना एक बेहद चुनौतीपूर्ण दौर था। उन्होंने स्वीकार किया कि 2016 से 2019 के बीच उन्हें RCB छोड़कर दूसरी फ्रेंचाइज़ी में जाने के कई मौके मिले, लेकिन उन्होंने टीम के प्रति अपनी वफादारी निभाई। इस दौरान उन्हें लगातार बदलाव के सुझाव मिलते रहे और दबाव भी बढ़ता गया।
कोहली ने बताया कि वह 7-8 साल तक भारतीय टीम की और 9 साल तक RCB की कप्तानी कर चुके थे, और हर मैच में उनसे बल्ले से प्रदर्शन की उम्मीद की जाती थी। उन्होंने कहा, “मैं 24 घंटे हर किसी के लिए उपलब्ध था और एक वक्त ऐसा आ गया जब मुझे समझ नहीं आया कि अब क्या करना है, इसलिए मैंने कप्तानी छोड़ने का फैसला किया।”
कोहली ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि अब वे ऐसी जगह पर रहना चाहते हैं जहाँ वे बिना किसी दबाव, उम्मीद या फैसले के सिर्फ क्रिकेट खेल सकें। उन्होंने कहा, “मुझे अपने जीवन में एक ऐसी जगह चाहिए जहाँ मैं बिना यह सोचे कि इस सीज़न में क्या करना है या आगे क्या होगा, बस आराम से क्रिकेट खेल सकूं।”
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कोहली की कप्तानी की जीत और हार
कोहली की कप्तानी का सफर कई बड़ी उपलब्धियों और चुनौतियों से भरा रहा। उन्होंने 2014 से 2021 तक करीब 7 साल तक भारत की कप्तानी की और सभी फॉर्मेट्स में टीम को एक मजबूत ताकत बना दिया, खासकर टेस्ट क्रिकेट में। कोहली की अगुवाई में भारत ने ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज़ जीत जैसी कई ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
आरसीबी के साथ भी उनका सफर खास रहा। 2013 से 2021 तक वे टीम के कप्तान रहे और 2016 में टीम को आईपीएल फाइनल तक ले गए। वह इस फ्रेंचाइज़ी का चेहरा बन गए थे। हालांकि, उनके जोश और कप्तानी की समझ के बावजूद, वे आईपीएल ट्रॉफी जीतने में कामयाब नहीं हो पाए, जिससे उन पर उम्मीदों का दबाव और बढ़ गया।