रोहित शर्मा और विराट कोहली के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के बाद, भारत के अगले टेस्ट कप्तान का सवाल सबसे बड़ा बन गया है। इंग्लैंड के मुश्किल दौरे के साथ, बहस दो नामों पर है: जसप्रीत बुमराह और शुभमन गिल। दोनों के अपने अच्छे और कमजोर पहलू हैं, लेकिन कप्तान कौन बनेगा? मशहूर क्रिकेट विश्लेषक हर्षा भोगले ने हाल ही में क्रिकबज वीडियो में इस फैसले पर अपने विचार बताए हैं।
हर्षा भोगले ने भारत के टेस्ट कप्तान के रूप में बुमराह पर अपनी राय साझा की
भोगले ने बुमराह को एक लीडर के रूप में खूब सराहा है। उन्होंने कहा, “मेरे हिसाब से कप्तान के लिए दो उम्मीदवार हैं: शुभमन गिल और जसप्रीत बुमराह। सभी चीज़ों को ध्यान में रखते हुए — फिटनेस और हर तरह की अच्छी बातों को — बुमराह सबसे सही उम्मीदवार हैं।” भोगले ने बुमराह की रणनीतिक समझदारी और ड्रेसिंग रूम में उन्हें मिले सम्मान को भी बताया। उन्होंने कहा, “वे रणनीतिक रूप से बहुत चालाक हैं, अपने खेल में पूरी तरह से टॉप पर हैं, और मेरी नजर में इस समय दुनिया के सबसे बेहतरीन क्रिकेटर हैं — चाहे बल्लेबाज हों, गेंदबाज या क्षेत्ररक्षक — सबका उनके लिए सम्मान है। इसलिए मेरे लिए यह कोई मुश्किल फैसला नहीं है।”
लेकिन भोगले ने एक अहम चेतावनी भी दी है। उन्होंने कहा, “बुमराह को एक बार फिर से पीठ की समस्या हो सकती है। हमें नहीं पता कि यह कब फिर से हो जाएगी और वे खुद को कैसे संभालेंगे।” उन्होंने बताया कि बुमराह की पीठ की बार-बार होती समस्या पहले भी कई बार उन्हें मैच से बाहर कर चुकी है। यह अनिश्चितता टीम के लिए एक मुश्किल सवाल बन जाती है। भोगले ने कहा कि अगर टेस्ट मैच दर टेस्ट मैच कप्तानी बुमराह और गिल के बीच बदलती रही, तो इससे टीम की लय और नेतृत्व की व्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा। उन्होंने इस बात की चेतावनी दी कि इससे टीम की स्थिति खराब हो सकती है।
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भोगले ने शुभमन गिल की महत्वपूर्ण भूमिका की संभावना को स्वीकार किया
भोगले ने गिल की प्रतिभा और उनकी नेतृत्व क्षमता को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा, “वह एक अच्छा खिलाड़ी है। टेस्ट मैच क्रिकेट में अभी भी थोड़ा अप्रमाणित है, लेकिन वह आगे बढ़ रहा है और उसके सामने एक लंबा करियर है।” भोगले ने आईपीएल में गिल की रणनीतिक सोच की तारीफ की, खासकर उस समय जब उन्होंने टीम की जरूरत के अनुसार अपनी बल्लेबाजी पोजीशन बदली और पारी को संभालने के लिए नंबर चार पर खेलने को तैयार हुए।
हालांकि, भोगले टेस्ट कप्तानी के लिए गिल की तैयारी को लेकर थोड़े सतर्क हैं। उन्होंने कहा, “वह वास्तव में खुद को एक टेस्ट मैच क्रिकेटर के रूप में पूरी तरह से साबित नहीं कर पाया है, हालांकि उसके आंकड़े बताते हैं कि वह विराट कोहली से बहुत पीछे नहीं है। लेकिन मुझे चिंता है कि कप्तानी का दबाव उस पर कितना असर डालेगा, क्योंकि वह अभी तक टेस्ट टीम की प्लेइंग इलेवन में पक्की जगह नहीं बना पाया है — और यह बहुत पुरानी बात नहीं है जब उसे टीम से बाहर कर दिया गया था।”
गिल के सामने चुनौती दोहरी है: पहला, टेस्ट टीम में अपनी जगह पक्की करना, और दूसरा, यह सुनिश्चित करना कि कप्तानी की जिम्मेदारी उसकी बल्लेबाजी को प्रभावित न करे। भोगले ने कहा, “अगर वह बल्लेबाज और कप्तान की भूमिका को अलग-अलग रख सके, तो शायद उसका भविष्य बहुत उज्ज्वल हो सकता है।” उन्होंने यह भी कहा कि गिल समय और अनुभव के साथ इस भूमिका में बेहतर बन सकते हैं।