भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज और मशहूर ओपनर रोहित शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। उन्होंने अपने 10 साल से ज्यादा लंबे टेस्ट करियर को अलविदा कह दिया है। 38 साल के रोहित ने इंस्टाग्राम पर एक इमोशनल पोस्ट में यह ऐलान किया और भारत के लिए टेस्ट खेलने का मौका मिलने पर आभार जताया। रोहित ने यह भी साफ किया कि वे अब भी वनडे क्रिकेट खेलते रहेंगे और टीम इंडिया का हिस्सा बने रहेंगे।
रोहित शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट से अपने संन्यास पर प्रकाश डाला
रोहित शर्मा के संन्यास का समय कई फैन्स के लिए चौंकाने वाला रहा, खासकर इसलिए क्योंकि यह इंग्लैंड के खिलाफ बड़ी टेस्ट सीरीज से ठीक पहले आया। हालांकि, उनके टेस्ट करियर को लेकर सवाल पहले से उठ रहे थे, क्योंकि हाल के समय में उनका फॉर्म गिरा था और बीसीसीआई में नए कप्तान को लेकर चर्चा भी चल रही थी।
संन्यास के बाद एक इंटरव्यू में रोहित ने बताया कि उनके इस फैसले की वजह क्या थी। उन्होंने कहा, “सबको एक युवा कप्तान चाहिए होता है… जो 10-15 साल तक टीम की कप्तानी कर सके। तो मुझे लगने लगा था कि अब मुझे यह मौका नहीं मिलेगा। लेकिन मैं हमेशा आभारी रहूंगा कि मुझे कप्तानी करने का मौका मिला।”
रोहित का ये बयान साफ दिखाता है कि वे टीम की लंबी योजना को समझते हैं और मानते हैं कि अब किसी युवा खिलाड़ी को ये जिम्मेदारी दी जा सकती है।
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बीसीसीआई ने नए टेस्ट कप्तान के लिए आगे कदम बढ़ाया
कई रिपोर्टों के मुताबिक, रोहित शर्मा इस साल की शुरुआत में चैंपियंस ट्रॉफी जीतने के बाद से ही टेस्ट क्रिकेट से संन्यास का सोच रहे थे। उन्होंने महसूस किया कि नए वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) चक्र की शुरुआत के साथ यह एक सही समय है, ताकि कोई युवा खिलाड़ी कप्तानी संभाल सके और आने वाले सालों के लिए टीम तैयार कर सके।
रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि BCCI के चयनकर्ता पहले ही इंग्लैंड दौरे के लिए नए टेस्ट कप्तान के फैसले पर पहुंच चुके थे। यानी रोहित को हटाकर टीम में एक सोची-समझी नई शुरुआत की जा रही थी।
हालांकि, BCCI रोहित को सीमित ओवरों के फॉर्मेट में कप्तान बनाए रखना चाहता था, क्योंकि उन्होंने हाल ही में शानदार सफलता दिलाई थी। लेकिन टेस्ट में उनके गिरते फॉर्म और टीम के भविष्य को देखते हुए चयनकर्ताओं ने बदलाव जरूरी समझा।
भले ही रोहित के डिप्टी जसप्रीत बुमराह ने एक टेस्ट में कप्तानी की थी, लेकिन तेज़ गेंदबाज़ होने की वजह से बोर्ड उन्हें फुलटाइम कप्तान बनाने में थोड़ा हिचक रहा है, क्योंकि इससे उनके चोटिल होने का खतरा बढ़ सकता है।