टेस्ट क्रिकेट हमेशा से नेतृत्व और लचीलापन दिखाने का सबसे बड़ा मंच रहा है। पिछले कुछ सालों में, कुछ ही कप्तान इस कठिन प्रारूप में लगातार सफल हुए हैं। विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की, और कप्तान के रूप में उनके शानदार रिकॉर्ड ने उन्हें खेल के सबसे महान नेताओं में से एक बना दिया। आइए, जीत प्रतिशत (कम से कम 50 मैच) के आधार पर, शीर्ष पांच सबसे सफल पुरुष टेस्ट कप्तानों पर एक नजर डालते हैं।
टेस्ट क्रिकेट में 5 सबसे सफल कप्तान
5. मार्क टेलर
- जीत प्रतिशत: 52.0%
- कप्तान के रूप में मैच: 50
- जीत: 26
एलन बॉर्डर के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम को फिर से बनाने में टेलर ने अहम भूमिका निभाई। उनकी कप्तानी ने टीम के आगे के सफल सालों की शुरुआत की, जिसमें उनकी खेल की समझ और रणनीति का अच्छा मिश्रण था।
4. विव रिचर्ड्स
- जीत प्रतिशत: 54.0%
- कप्तान के रूप में मैच: 50
- जीत: 27
रिचर्ड्स ने 80 के दशक के अंत और 90 के दशक की शुरुआत में वेस्टइंडीज की एक मजबूत टीम का नेतृत्व किया, जिसने दुनिया भर में अपनी धाक जमाई। उनकी कप्तानी में टीम की पहचान ताकतवर गेंदबाजी और निडर बल्लेबाजी के साथ बनी, जिसमें प्रतिभा, आत्मविश्वास और पूरी तरह से दबदबा था।
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3. विराट कोहली – भारत के सबसे प्रभावशाली टेस्ट कप्तान
- जीत प्रतिशत : 58.8%
- कप्तान के रूप में मैच : 68
- जीत: 40
कोहली ने लाल गेंद वाले क्रिकेट में भारत की सोच को बदल दिया। फिटनेस, तेज़ गेंदबाज़ी और विदेशों में जीत पर उनका ध्यान भारत को लंबे समय तक नंबर 1 टेस्ट टीम बनाने में मददगार साबित हुआ। उनके कार्यकाल में ऑस्ट्रेलिया में ऐतिहासिक सीरीज़ जीत और घर में भी दबदबा देखने को मिला। रिटायर होने के बाद भी उनका भारतीय टेस्ट क्रिकेट पर असर बहुत गहरा है।
2. रिकी पोंटिंग
- जीत प्रतिशत: 62.3%
- कप्तान के रूप में मैच: 77
- जीत: 48
पोंटिंग ने वॉ की बनाई हुई टीम को आगे बढ़ाया और अपनी कप्तानी से खास पहचान बनाई। उनकी टीम में कई स्टार खिलाड़ी थे, जिनके साथ उन्होंने देश और विदेश दोनों जगह ऑस्ट्रेलिया को कई जीत दिलाईं। उनकी आक्रामक कप्तानी और अच्छी रणनीति की वजह से ऑस्ट्रेलिया एक मज़बूत टीम बना रहा।
1. स्टीव वॉ
- जीत प्रतिशत: 71.9%
- कप्तान के रूप में मैच: 57
- जीत: 41
वॉ ने ऑस्ट्रेलियाई टीम को एक ऐसी जीतने वाली मशीन बना दिया जो किसी से नहीं डरती थी। उनकी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया ने लगातार 16 टेस्ट मैच जीते और पूरी दुनिया में अपना दबदबा बना लिया। मैदान के बाहर वे शांत रहते थे, लेकिन मैदान पर उनकी आक्रामक सोच ने टेस्ट क्रिकेट के सबसे मजबूत दौर में अहम भूमिका निभाई।