ढाका में बांग्लादेश और साउथ अफ्रीका के बीच खेले जा रहे दूसरे इमर्जिंग टेस्ट मैच के दौरान मैदान पर एक अनोखा और खराब विवाद देखने को मिला, जिसने इस रोमांचक सीरीज की चमक थोड़ी फीकी कर दी। बांग्लादेश के रिपन मोंडल और साउथ अफ्रीका के त्शेपो एनटुली के बीच हुई इस घटना की काफी आलोचना हुई है। इससे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के जूनियर स्तर पर अनुशासन और खेल की भावना को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
दूसरे इमर्जिंग टेस्ट के दौरान बांग्लादेश और दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेटरों के बीच हाथापाई
यह घटना बुधवार को तब हुई जब रिपनने एनटुली की गेंद पर एक जोरदार छक्का जड़ा। शॉट मारने के बाद जब रिपन अपने साथी बल्लेबाज की ओर बढ़े, तो उन्होंने एनटुली की तरफ देखा – ये एक हल्का सा इशारा था, लेकिन इससे माहौल गरमा गया। एनटुली इस पर गुस्से में आ गए और रिपन से भिड़ गए। पहले दोनों में कहासुनी हुई, लेकिन बात धक्कामुक्की तक पहुंच गई। एनटुली ने दो बार रिपन के हेलमेट को पकड़कर खींचा।
अंपायर कमरुज्जमां ने तुरंत बीच-बचाव किया, लेकिन फिर भी दोनों झगड़ते रहे। दूसरे अंपायर और बाकी खिलाड़ियों को बीच में आना पड़ा ताकि हालात को काबू में लाया जा सके। झगड़ा इतना बढ़ गया कि कुछ साउथ अफ्रीकी खिलाड़ी भी इसमें शामिल हो गए। कमेंटेटर्स और दर्शक भी इस घटना से हैरान रह गए। एक कमेंटेटर ने लाइव कहा कि “तीन गेंद बाद जब रिपन ने एनटुली की गेंद को डिफेंड किया, तो गेंदबाज ने गुस्से में गेंद बल्लेबाज़ की ओर फेंकी, जिसे रिपन ने बल्ले से बचा लिया।”
फिलहाल मैच अधिकारियों ने कोई सज़ा नहीं दी है, क्योंकि नियम के मुताबिक पहले मैदानी अंपायरों की रिपोर्ट ज़रूरी होती है। मैच रेफरी अब इस घटना की पूरी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं, जिसे बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड और क्रिकेट साउथ अफ्रीका को भेजा जाएगा ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके।
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वीडियो:
Things got out of control between Tshepo Ntuli and Ripon Mondol during the SA Emerging vs Bangladesh Emerging match today and the umpires were forced to intervene pic.twitter.com/EhYC6KVj4u
— Werner (@Werries_) May 28, 2025
ढाका की झड़प ने बिगाड़ा युवा सीरीज का मकसद, अनुशासन पर उठे सवाल
ढाका में हुई हाथापाई इस दौरे की अकेली विवादित घटना नहीं थी। इससे पहले राजशाही में एकदिवसीय मैच के दौरान दक्षिण अफ्रीका के एंडिले सिमेलाने और बांग्लादेश के जिशान आलम के बीच बहस के बाद दोनों को एक-एक मैच के लिए निलंबित किया गया था।
यह सीरीज युवा खिलाड़ियों को अपने खेल और संयम दिखाने का मंच देने के लिए रखी गई थी, लेकिन कई मौकों पर खिलाड़ियों के गुस्से ने इसका उद्देश्य फीका कर दिया। इन इमर्जिंग टेस्ट मैचों में सिर्फ जीत-हार नहीं, बल्कि खिलाड़ियों के भविष्य दांव पर लगे होते हैं। ये मैच उनके अंतरराष्ट्रीय करियर के लिए ऑडिशन की तरह होते हैं, जिसमें चयनकर्ता न सिर्फ उनके खेल बल्कि दबाव में उनके बर्ताव को भी देखते हैं।
ढाका में हुई लड़ाई जैसे घटनाओं से अच्छे प्रदर्शन पर पानी फिर सकता है और इससे खिलाड़ियों के करियर पर भी बुरा असर पड़ सकता है। अब जब क्रिकेट अधिकारी अनुशासनात्मक कार्रवाई पर विचार कर रहे हैं, तो उम्मीद की जा रही है कि इस घटना से खिलाड़ी खेल भावना और सम्मान के असली मायने समझेंगे। बांग्लादेश ने पहले ही वनडे सीरीज 2-1 से जीत ली थी और पहला चार दिवसीय टेस्ट ड्रॉ रहा था। इसलिए यह आखिरी मैच युवा प्रतिभाओं के लिए खुद को साबित करने का बड़ा मौका था। लेकिन अब यह मैच अपने क्रिकेट से ज़्यादा मैदान पर हुए झगड़े के लिए याद किया जाएगा – विकासशील क्रिकेट के इतिहास में एक विवादास्पद अध्याय की तरह।