भारत इंग्लैंड में पांच टेस्ट मैचों की सीरीज खेलने जा रहा है और सभी की नजरें तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह पर टिकी हैं। हाल ही में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में बुमराह ने शानदार गेंदबाजी की और हर पारी में सबसे ज्यादा गेंदें फेंकीं, जिससे उनकी अहमियत साबित हुई।
लेकिन इसी के साथ एक चिंता भी सामने आई बुमराह पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता। सिडनी टेस्ट के आखिरी दिन जब उनकी पीठ में खिंचाव आया और वे नहीं खेल पाए, तो भारत को इसका नुकसान उठाना पड़ा। इससे एक बार फिर ये सवाल उठने लगा है कि बुमराह का वर्कलोड यानी काम का बोझ कैसे संभाला जाए।
भारत के अनुभवी स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने टीम के नए नेतृत्व से एक खास अपील की है। उन्होंने कहा कि बुमराह को लंबे समय तक फिट और असरदार बनाए रखने के लिए सिर्फ भावनाओं पर नहीं, बल्कि साइंस और टेक्नोलॉजी यानी विज्ञान और तकनीक पर भरोसा करना जरूरी है।
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रविचंद्रन अश्विन की गौतम गंभीर और शुभमन गिल से वैज्ञानिक सोच अपनाने की अपील
अश्विन का संदेश साफ है अब भारत बुमराह के वर्कलोड (कार्यभार) को सिर्फ अनुभव या अंदाज़े के आधार पर नहीं संभाल सकता। ऑस्ट्रेलिया दौरे में जब बुमराह को चोट लगी थी, तो अश्विन ने महसूस किया कि अगर सही तरीके से खेल विज्ञान और तकनीक का इस्तेमाल होता, तो इस परेशानी से बचा जा सकता था।
अश्विन ने ‘रेव स्पोर्ट्स’ पर कहा, “जब बात बुमराह की आती है, तो हमने वास्तव में खेल विज्ञान और तकनीक का सही उपयोग नहीं किया है।” उन्होंने यह भी कहा कि हमें तब तक इंतज़ार नहीं करना चाहिए जब खिलाड़ी खुद थकान की शिकायत करे, क्योंकि तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
उनका सुझाव है कि एक वैज्ञानिक और डेटा पर आधारित तरीका अपनाना चाहिए। यानी बुमराह की ट्रेनिंग और मैचों के दौरान हर दिन उनके शरीर की स्थिति को मॉनिटर किया जाए जैसे उनकी दौड़ने की रफ्तार, शरीर पर पड़ने वाला दबाव और रिकवरी की रफ्तार। इससे टीम का सपोर्ट स्टाफ यह जान पाएगा कि बुमराह कितने फिट हैं और उन्हें कब आराम की ज़रूरत है। इस तरह की निगरानी और बुमराह की ईमानदार फीडबैक मिलकर, उनके वर्कलोड का सही और संतुलित आकलन करना संभव हो सकेगा।