अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने पुरुषों के T20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में पावरप्ले के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। यह बदलाव खास तौर पर उन मैचों के लिए किया गया है जो मौसम या किसी और वजह से छोटे कर दिए जाते हैं। इसका मकसद मैच को ज्यादा स्थिर बनाना है। यह नया नियम 2 जुलाई 2025 से लागू होगा और यह बदलाव अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खेल की स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए किए गए कई अपडेट्स का हिस्सा है।
अब पावरप्ले का नियम बदला: ओवर नहीं, गेंदों के हिसाब से तय होगा समय
T20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में पावरप्ले के नियम में बड़ा बदलाव किया गया है। पहले नियम के अनुसार, जब मैच किसी वजह से छोटा हो जाता था, तो पावरप्ले को नजदीकी पूरे ओवर तक गिना जाता था। इससे कई बार किसी टीम को ज्यादा फायदा या नुकसान हो सकता था, क्योंकि एक गेंद से भी खेल का संतुलन बदल सकता है।
अब नए नियम के तहत, पावरप्ले को ओवर नहीं, बल्कि गेंदों के हिसाब से तय किया जाएगा। जैसे कि अगर कोई पारी 8 ओवर की होती है, तो पावरप्ले 14 गेंदों यानी 2.2 ओवर तक चलेगा। वहीं, अगर पारी 9 ओवर की है, तो पावरप्ले 2.4 ओवर (14 गेंद + तीसरे ओवर की 2 गेंद) तक रहेगा। इस बदलाव का मकसद यह है कि पावरप्ले हमेशा पारी के करीब 30% हिस्से तक ही सीमित रहे, ताकि खेल का संतुलन बना रहे और सभी टीमों को बराबरी का मौका मिले, चाहे मैच कितने भी ओवर का क्यों न हो।
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संक्षिप्त टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों के लिए पावरप्ले सूची इस प्रकार है:
मैच कम हुआ (ओवर) | पावरप्ले ओवर |
5 | 1.3 |
6 | 1.5 |
7 | 2.1 |
8 | 2.2 |
9 | 2.4 |
10 | 3 |
11 | 3.2 |
12 | 3.4 |
13 | 3.5 |
14 | 4.1 |
15 | 4.3 |
16 | 4.5 |
17 | 5.1 |
18 | 5.2 |
19 | 5.4 |
खेल के लिए इन परिवर्तनों का क्या मतलब है?
यह बदलाव थोड़ा तकनीकी लग सकता है, लेकिन इसका असर मैच के दौरान साफ़ महसूस होगा। अब टीमों को अपनी रणनीतियाँ बदलनी होंगी क्योंकि कप्तान और गेंदबाज़ों को ठीक-ठीक पता होना होगा कि कब फील्डिंग के नियम बदलेंगे चाहे वह मैच के बीच का समय क्यों न हो। बल्लेबाज़ों को भी अपनी गति बदलनी होगी, क्योंकि उन्हें पता होगा कि सीमित फील्डर्स के खिलाफ खेलने का मौका पहले से जल्दी खत्म हो सकता है।
यह बदलाव ICC के खेल को और आधुनिक और बेहतर बनाने के प्रयासों का हिस्सा है। पावरप्ले के नियम में यह सुधार इसके पहले किए गए अन्य बदलावों के साथ जुड़ा है, जैसे कि टेस्ट क्रिकेट में ओवर-रेट को नियंत्रित करने के लिए स्टॉप क्लॉक लागू करना, नो-बॉल के मामले में कैच रिव्यू सिस्टम को और सही बनाना, और घरेलू प्रथम श्रेणी क्रिकेट में खिलाड़ी को बदलने के नए नियम लाना।