गौतम गंभीर ने मैनचेस्टर में हुए चौथे टेस्ट के पांचवें दिन भारत के बल्लेबाज़ी जारी रखने के फैसले का खुलकर समर्थन किया। उस समय इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने अंपायर से करीब 15 ओवर बाकी रहते मैच को ड्रॉ घोषित करने का सुझाव दिया था, लेकिन भारत ने बल्लेबाज़ी जारी रखी।
गौतम गंभीर ने पांचवें दिन बेन स्टोक्स से हाथ मिलाने के विवाद पर खेल भावना पर सवाल उठाए
विवाद इसलिए हुआ क्योंकि रवींद्र जडेजा 89 और वाशिंगटन सुंदर 80 रन पर खेल रहे थे और दोनों अपने टेस्ट शतक के करीब थे। ऐसे में इंग्लैंड के कप्तान स्टोक्स ने अंपायर से कहा कि मैच ड्रॉ घोषित कर दिया जाए, लेकिन भारतीय बल्लेबाज़ों ने यह प्रस्ताव साफ़ मना कर दिया। स्टोक्स को यह बात पसंद नहीं आई। मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में गंभीर ने इस मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा, “अगर कोई बल्लेबाज़ 90 और दूसरा 85 रन पर है, तो क्या उन्हें शतक नहीं बनाने देना चाहिए? क्या वे मैदान छोड़ दें?”
गंभीर ने इंग्लैंड के नजरिए पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या इंग्लैंड भी ऐसी ही स्थिति में अपने खिलाड़ियों को शतक बनाने का मौका देता, जब उन्होंने कठिन हालात में खेल को बचाया हो और दूसरी पारी में 311 रन से पिछड़ने के बाद टीम को संभाला हो? आख़िर में गंभीर ने कहा, “अगर इंग्लैंड ऐसे खेलना चाहता है, तो वो उनकी मर्ज़ी है। मुझे लगता है कि जडेजा और सुंदर दोनों शतक के हक़दार थे, और खुशी की बात है कि उन्हें शतक मिल भी गया।”
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जडेजा और सुंदर ने बनाए शतक, स्टोक्स की रणनीति उलटी पड़ी
चौथे टेस्ट के आखिरी दिन जब इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने मैच ड्रॉ घोषित करने का प्रस्ताव रखा, तो भारत के बल्लेबाज़ों ने साफ़ इनकार कर दिया। इस फैसले से स्टोक्स काफी नाराज़ दिखे। उन्होंने रवींद्र जडेजा से व्यंग्य में पूछा, “क्या आप हैरी ब्रूक के खिलाफ शतक बनाना चाहते हैं?” इस पर जडेजा ने शांत स्वर में जवाब दिया, “मैं कुछ नहीं कर सकता।”
बाद में स्टोक्स ने सफाई देते हुए कहा कि जब ड्रॉ तय लगने लगा, तो वो अपने गेंदबाज़ों को चोट के खतरे में नहीं डालना चाहते थे, खासकर जब अगला टेस्ट सिर्फ तीन दिन बाद होना था। विरोध जताने या बात को बढ़ाने के इरादे से उन्होंने हैरी ब्रूक जैसे पार्ट-टाइम गेंदबाज़ को गेंद थमा दी। लेकिन यह दांव उल्टा पड़ गया। जडेजा ने ब्रूक की गेंद पर शानदार छक्का लगाकर अपना तीसरा टेस्ट शतक पूरा किया, वहीं वाशिंगटन सुंदर ने भी अपने करियर का पहला टेस्ट शतक जड़ दिया। पूरे घटनाक्रम के दौरान जडेजा ने शांति बनाए रखी और इंग्लैंड के खिलाड़ियों को याद दिलाया कि भारत को नियमों के तहत बल्लेबाज़ी जारी रखने का पूरा हक़ है। अंत में, दोनों बल्लेबाज़ों ने अपने-अपने शतक पूरे किए और मैच ड्रॉ पर खत्म हुआ।