इंग्लैंड के पूर्व कप्तान ज्योफ्री बॉयकॉट ने मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड में हुए एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के चौथे टेस्ट मैच के आखिरी दिन बेन स्टोक्स और उनकी टीम के व्यवहार की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने उस समय इंग्लैंड की प्रतिक्रिया को गलत बताया जब भारतीय बल्लेबाज रवींद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर ने स्टोक्स का मैच जल्दी खत्म करने और ड्रॉ पर सहमति बनाने का प्रस्ताव मना कर दिया।
मैनचेस्टर टेस्ट के 5वें दिन बेन स्टोक्स एंड कंपनी का ड्रामा
मैनचेस्टर टेस्ट के पांचवें दिन एक हैरान करने वाला मौका आया जब जडेजा और सुंदर, जो 89 और 80 रन बना रहे थे, ने स्टोक्स के ड्रॉ करने के प्रस्ताव को मना कर दिया। मैच ड्रॉ होने की तरफ बढ़ रहा था, लेकिन दोनों भारतीय बल्लेबाज खेलने लगे और भारत को हार से बचाया। इस फैसले से इंग्लैंड के कप्तान स्टोक्स नाराज़ दिखे और उन्होंने भारतीय खिलाड़ियों से बहस की। हालांकि नियमों के अनुसार दोनों कप्तान मिलकर ड्रॉ कर सकते हैं, भारतीय टीम ने अपने फैसले पर अड़िग रहकर अपनी मेहनत और रिकॉर्ड पूरा करने की कोशिश की।
जेफ्री बॉयकॉट ने इंग्लैंड की आलोचना की
बॉयकॉट ने कहा कि इंग्लैंड ने भारत के बल्लेबाजी जारी रखने पर दोहरे मानदंड अपनाए। उन्होंने बताया कि स्टोक्स और उनकी टीम मैदान पर बहुत आक्रामक होते हैं और विरोधी टीम को परेशान करते हैं ताकि मनोवैज्ञानिक बढ़त मिल सके। बॉयकॉट ने कहा कि इसलिए इंग्लैंड के लिए यह ठीक नहीं था कि वे भारत से शिष्टाचार की उम्मीद करें, जबकि वे खुद पूरे मैच में भारतीय बल्लेबाजों को चिढ़ाते रहे। उनके मुताबिक, जडेजा और सुंदर को खेल जारी रखने का पूरा हक था, खासकर जब उन्होंने मैच बचाने में शानदार कोशिश की। इंग्लैंड को शिकायत करने की बजाय इस बात को मान लेना चाहिए था। बॉयकॉट ने लिखा, “जो होता है सो होता है। इंग्लैंड खुद विरोधियों को चिढ़ाने से नहीं डरता, तो अगर भारत ने खेलने का फैसला किया तो इंग्लैंड को शिकायत नहीं करनी चाहिए। जडेजा और सुंदर ने पूरी मेहनत से खेला और शतक बनाने का हक भी उन्होंने कमाया। अगर इंग्लैंड ऐसा करता है, तो उसे इसे स्वीकार भी करना चाहिए।”
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बॉयकॉट ने भारत की मानसिक शक्ति की प्रशंसा की
अपने दूसरे बयान में बॉयकॉट ने जडेजा और सुंदर की हिम्मत और लगन की तारीफ की। उन्होंने कहा कि दोनों का बल्लेबाजी जारी रखना सिर्फ अपने रिकॉर्ड बनाने के लिए नहीं था, बल्कि उनकी मजबूत सोच और धैर्य का भी सबूत था। ऑफ़-स्टंप के बाहर की गेंदें छोड़कर उन्होंने खूब संभलकर खेला और हार मानने से इंकार किया। बॉयकॉट ने माना कि अगर वे होते तो वे भी ऐसा ही करते, क्योंकि मैच बचाने के लिए इतने रन बनाकर मैदान छोड़ना सही नहीं था। उन्होंने कहा, “ये भारतीय खिलाड़ी बहुत मजबूत हैं। पूरे दिन मैच बचाने के लिए लड़ने के बाद मैं 89 रन पर बाहर नहीं जाता। जडेजा और सुंदर ने अच्छी तरह से बचाव किया, गेंदों को सही तरीके से छोड़ा और टेस्ट क्रिकेट में जो मानसिक ताकत चाहिए, वो दिखाई। वे इसके पूरा हकदार थे।”