• इंग्लैंड बनाम भारत चौथे टेस्ट के दूसरे दिन जब ऋषभ पंत मैदान पर उतरे तो ओल्ड ट्रैफर्ड की भीड़ प्रशंसा में खड़ी हो गई।

  • लेकिन सबसे अधिक भावभीनी श्रद्धांजलि किसी और की नहीं, बल्कि स्वयं क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर की ओर से आई।

इंग्लैंड बनाम भारत: पैर में फ्रैक्टर होने के बावजूद मैनचेस्टर टेस्ट में बल्लेबाजी करने उतरे ऋषभ पंत तो सचिन तेंदुलकर ने विकेटकीपर बल्लेबाज को किया सलाम
सचिन तेंदुलकर और ऋषभ पंत (फोटो: X)

इंग्लैंड और भारत के बीच चौथे टेस्ट के दूसरे दिन ओल्ड ट्रैफर्ड में भावनात्मक पल तब आया जब ऋषभ पंत चोट के बावजूद बल्लेबाजी करने मैदान पर उतर आए। पहले दिन उनके दाहिने पैर में चोट लगी थी और बाद में पता चला कि उनके पैर की पाँचवीं मेटाटार्सल हड्डी में हेयरलाइन फ्रैक्चर है। यह एक गंभीर चोट होती है, जिसमें चलना भी बहुत मुश्किल हो जाता है।

सचिन तेंदुलकर ने की सराहना

सीरीज़ का नतीजा अधर में था और भारत छह विकेट खोकर मुश्किल में था। टीम को किसी चमत्कार की ज़रूरत थी। किसी ने नहीं सोचा था कि पंत दोबारा बल्लेबाज़ी करने आएंगे। लेकिन जैसे ही शार्दुल ठाकुर 41 रन बनाकर आउट हुए, पंत ने सबको चौंका दिया।

वे दर्द में थे, लेकिन सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए मैदान पर उतर आए। उनके जज़्बे को देखकर ओल्ड ट्रैफर्ड में मौजूद दर्शक खड़े होकर तालियां बजाने लगे। यह पल बहुत ही भावुक था। क्रिकेट के महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर ने भी पंत की हिम्मत की तारीफ की। उन्होंने X (पहले ट्विटर) पर लिखा, “लचीलापन वही है जब आप दर्द के बावजूद खेलते हैं और हार नहीं मानते। पंत ने चोट के बाद वापसी कर बेहतरीन खेल दिखाया। उनका अर्धशतक यह दिखाता है कि देश के लिए खेलने का जज़्बा कितना बड़ा होता है। यह एक साहसी प्रयास है, जिसे लंबे समय तक याद रखा जाएगा। शाबाश ऋषभ!”

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मैनचेस्टर टेस्ट में पंत की मेहनत भरी अर्धशतकीय पारी 

पंत को दौड़ने में परेशानी हो रही थी और वे अपने पैर पर ठीक से वजन नहीं डाल पा रहे थे, लेकिन फिर भी उन्होंने मैदान पर डटकर बल्लेबाज़ी की। आमतौर पर आक्रामक खेलने वाले पंत ने इस बार धैर्य और समझदारी से खेलते हुए निचले क्रम को संभाला। उन्होंने हर रन को संभलकर लिया और अपने विकेट की पूरी तरह रक्षा की।

पंत की 54 रनों की पारी सिर्फ स्कोर का हिस्सा नहीं थी, बल्कि साहस, समर्पण और लड़ने के जज़्बे की मिसाल थी। भारत उनकी इस जुझारू पारी की बदौलत 358 रन तक पहुँच सका। यह पारी सिर्फ रन बनाने के लिए नहीं थी, बल्कि यह दिखाने के लिए थी कि भारतीय जर्सी पहनने का असली मतलब क्या होता है—जब टीम को सबसे ज़्यादा ज़रूरत हो, तब अपनी तकलीफों को पीछे छोड़कर देश के लिए लड़ना। यह पल भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक यादगार क्षण बन गया, जिसे सचिन तेंदुलकर समेत करोड़ों लोग हमेशा याद रखेंगे।

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