मैनचेस्टर टेस्ट के लिए इंग्लैंड ने अपनी टीम में बदलाव किया है। चोटिल शोएब बशीर की जगह बाएं हाथ के स्पिनर लियाम डॉसन को शामिल किया गया है। बशीर की उंगली लॉर्ड्स टेस्ट में फ्रैक्चर हो गई थी। डॉसन करीब आठ साल बाद टेस्ट टीम में लौटे हैं, उन्होंने आखिरी टेस्ट 2017 में खेला था। उनकी वापसी से इंग्लैंड के स्पिन आक्रमण को मजबूती मिलेगी और निचले क्रम की बल्लेबाजी को भी सहारा मिलेगा।
दूसरी तरफ भारत को कई चोटों से जूझना पड़ रहा है। ऑलराउंडर नितीश रेड्डी घुटने की चोट के कारण सीरीज से बाहर हो गए हैं, और तेज गेंदबाज आकाश दीप भी पूरी तरह फिट नहीं हैं। अर्शदीप सिंह भी अंगूठे की चोट के कारण नहीं खेल पाएंगे, इसलिए अनकैप्ड पेसर अंशुल कंबोज को टीम में बुलाया गया है। इसके अलावा, विकेटकीपर ऋषभ पंत भी उंगली की चोट से परेशान हैं, जिससे भारत की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
ओल्ड ट्रैफर्ड में भारतीय बल्लेबाजों द्वारा बनाए गए शीर्ष पांच सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर पर एक विस्तृत नजर:
1. मोहम्मद अजहरुद्दीन: 179 बनाम इंग्लैंड, 1990
1990 की टेस्ट सीरीज के दूसरे मुकाबले में कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने ओल्ड ट्रैफर्ड में शानदार बल्लेबाजी करते हुए 243 गेंदों में 179 रन बनाए। यह पारी उनकी कलाई की खूबसूरत बल्लेबाजी का शानदार उदाहरण थी, जिसमें उन्होंने 21 चौके और 1 छक्का लगाया। इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए ग्राहम गूच (116), माइक एथरटन (131) और रॉबिन स्मिथ (121) की मदद से 519/6 पर पारी घोषित की।
भारत की ओर से संजय मांजरेकर ने 93 और युवा सचिन तेंदुलकर ने 68 रन बनाए, लेकिन असली चमक अजहर की पारी में थी, जिसने भारत को 432 रन तक पहुंचाया। हालांकि मैच ड्रॉ रहा, लेकिन अजहरुद्दीन की यह पारी भारतीय बल्लेबाज की तरफ से ओल्ड ट्रैफर्ड में अब तक का सबसे बड़ा स्कोर बनी रही और उनकी कप्तानी व प्रतिभा का सबूत भी बनी।
2. संदीप पाटिल: 129 नाबाद बनाम इंग्लैंड, 1982

1983 में भारत की वर्ल्ड कप जीत से ठीक एक साल पहले, संदीप पाटिल ने 1982 में इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच में एक शानदार पारी खेली थी। इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 425 रन बनाए, जिसमें इयान बॉथम ने 128 रन बनाए थे। जवाब में भारत की शुरुआत खराब रही और टीम 173/6 के स्कोर पर मुश्किल में थी। तभी संदीप पाटिल ने 196 गेंदों में नाबाद 129 रन बनाए। उनकी पारी में 18 चौके और 2 छक्के थे। उन्होंने सैयद किरमानी (58 रन) और कपिल देव (65 रन) के साथ अहम साझेदारियां कीं और भारत की पारी को संभाला।
यह भी पढ़ें: ENG vs IND: मैनचेस्टर की पिच का खुलासा, इंग्लैंड और भारत के बीच चौथे टेस्ट में क्या उम्मीद करें
3. सचिन तेंदुलकर: 119 नाबाद बनाम इंग्लैंड, 1990
1990 के उसी मैनचेस्टर टेस्ट में, जिसमें अजहरुद्दीन ने शानदार 179 रन बनाए थे, एक और खास पल हुआ। सिर्फ 17 साल के सचिन तेंदुलकर ने अपनी पहली टेस्ट सेंचुरी जड़ दी। भारत को इंग्लैंड ने 408 रनों का लक्ष्य दिया था। सचिन, जिन्होंने पहली पारी में भी 68 रन बनाए थे, दूसरी पारी में 189 गेंदों में नाबाद 119 रन बनाकर सबका ध्यान खींचा। उन्होंने मनोज प्रभाकर (नाबाद 67) के साथ अहम साझेदारी की। उनकी इस पारी में 17 चौके शामिल थे। 17 साल और 107 दिन की उम्र में ये शतक बनाकर वो टेस्ट क्रिकेट के तीसरे सबसे युवा शतकवीर बने।
4. पॉली उमरीगर: 118 बनाम इंग्लैंड, 1959

1950 के दशक में भारतीय क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ी पहलन रतनजी “पॉली” उमरीगर ने 1959 में इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच में 118 रनों की महत्वपूर्ण पारी खेली थी। यह शतक विशेष रूप से उल्लेखनीय था क्योंकि यह एक दुर्जेय अंग्रेजी गेंदबाजी आक्रमण के खिलाफ आया था, जिसमें तेज गेंदबाज फ्रेड ट्रूमैन भी शामिल थे, जिनके खिलाफ उमरीगर ने 1952 में भारत के पिछले दौरे के दौरान काफी संघर्ष किया था। भारत को इस मैच में 171 रनों से हार का सामना करने के बावजूद, उमरीगर का लचीला शतक उनकी बेहतर तकनीक और मजबूत स्वभाव का प्रदर्शन था, जिसने आलोचकों को चुप करा दिया और उस युग के भारत के प्रमुख बल्लेबाजों में से एक के रूप में उनके कद को रेखांकित किया।

1936 में ओल्ड ट्रैफर्ड में भारत ने अपना पहला टेस्ट मैच खेला। इस मैच में भारत के महान ओपनर विजय मर्चेंट ने दूसरी पारी में शानदार 114 रन बनाकर अपनी क्लास दिखाई। इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 571/8 पर पारी घोषित की थी। जवाब में भारत पहली पारी में सिर्फ 203 रन पर सिमट गया और उसे फॉलोऑन का सामना करना पड़ा।
दूसरी पारी में विजय मर्चेंट और मुश्ताक अली ने मिलकर 203 रनों की शानदार ओपनिंग साझेदारी की। मर्चेंट की संयमित बल्लेबाजी और मुश्ताक अली के 112 रनों की पारी ने भारत को मजबूत स्थिति में ला दिया। इस साझेदारी की बदौलत भारत हार से बच सका और मैच ड्रॉ हो गया। यह साझेदारी इंग्लैंड जैसी मजबूत टीम के खिलाफ विदेश में भारत की शुरुआती बल्लेबाज़ी ताकत का एक बड़ा संकेत थी।