लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर इंग्लैंड और भारत के बीच तीसरे टेस्ट का पहला दिन काफी रोमांचक रहा। लेकिन इस गंभीर मुकाबले के बीच एक ऐसा पल आया जिसने खिलाड़ियों और दर्शकों के चेहरों पर मुस्कान ला दी। जैसे-जैसे सूरज ढलने लगा, इंग्लैंड के जो रूट और भारत के रवींद्र जडेजा के बीच हुई एक मज़ेदार बातचीत ने दिन के खेल का अंत हल्के-फुल्के अंदाज़ में किया। इंग्लैंड की मजबूत बल्लेबाज़ी के दिन यह पल सबके लिए खास बन गया।
रवींद्र जडेजा ने जो रूट को चिढ़ाया
दिन के खेल का आखिरी ओवर चल रहा था। रूट 99 रन पर खेल रहे थे और अपने 37वें टेस्ट शतक के बहुत करीब थे। उन्होंने आकाशदीप की एक बैक-ऑफ-लेंथ गेंद को पीछे पैर पर खेलते हुए डीप बैकवर्ड पॉइंट की ओर भेजा, जहां रवींद्र जडेजा फील्डिंग कर रहे थे। रूट ने एक रन लिया और 99 पर पहुंच गए।
इसके बाद जो हुआ, वो खेल की दोस्ताना भावना और मस्ती का खूबसूरत उदाहरण था। अपनी तेज़ फुर्ती और मजबूत थ्रो के लिए मशहूर जडेजा ने गेंद को अच्छे से रोका। लेकिन गेंद को तुरंत वापस फेंकने की बजाय, उन्होंने कुछ पल के लिए उसे रोककर रखा जैसे रूट को दूसरा रन लेने के लिए आमंत्रित कर रहे हों, जिससे वह शतक पूरा कर लें।
35 साल के अनुभवी रूट समझ गए कि यह मज़ाक भरा इशारा है। हालांकि, उनके लिए दूसरा रन लेकर शतक बनाना था, लेकिन उन्होंने मुस्कुराते हुए खुद को रोक लिया। जडेजा ने और भी मस्ती करते हुए गेंद को ज़मीन पर डाल दिया, जैसे कह रहे हों “चलो, अब तो भागो!” रूट इस पर हँसने लगे और सिर हिलाकर मना कर दिया। यह पल मज़ाक और खेल भावना से भरा हुआ था, जिसने दर्शकों और खिलाड़ियों दोनों को मुस्कुरा दिया। आखिरी गेंद भी निकल गई, रूट 99 पर नाबाद रह गए शतक से सिर्फ एक रन दूर। हालांकि, उनका शतक उस दिन नहीं आया, लेकिन जडेजा की इस मज़ेदार हरकत और रूट की मुस्कान ने उस दिन का सबसे यादगार पल बना दिया। अब सबकी निगाहें दूसरे दिन पर होंगी, जब रूट के पास अपना शतक पूरा करने का मौका होगा और फैन्स को एक और खुशी देने का भी।
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भारतीय आक्रमण पर इंग्लैंड की नपी-तुली प्रतिक्रिया
दिन के खेल का अंत होने से पहले इंग्लैंड की बल्लेबाज़ी मज़बूत और स्थिर रही। भले ही उन्होंने चार विकेट गंवाए, लेकिन फिर भी टीम ने 251 रन बनाकर दिन का खेल एक मज़बूत स्थिति में खत्म किया। जो रूट इंग्लैंड की पारी के मुख्य स्तंभ रहे। उन्होंने स्पिन और तेज़ दोनों तरह की गेंदबाज़ी के खिलाफ शानदार नियंत्रण और सहज अंदाज़ में बल्लेबाज़ी की।
उन्हें कप्तान बेन स्टोक्स का अच्छा साथ मिला, जो दूसरे छोर पर टिके रहे और धैर्य से खेलते रहे। स्टोक्स ने 102 गेंदों में नाबाद 39 रन बनाकर रूट के साथ एक आदर्श साझेदारी निभाई। भारतीय गेंदबाज़ों ने काफी अनुशासित गेंदबाज़ी की, लेकिन इंग्लिश बल्लेबाज़ों की मज़बूत पकड़ तोड़ना उनके लिए मुश्किल रहा। रवींद्र जडेजा भारतीय गेंदबाज़ों में सबसे प्रभावशाली साबित हुए।