भारत के स्टार तेज़ गेंदबाज़ और दुनिया के टॉप टेस्ट पेसर जसप्रीत बुमराह, इंग्लैंड के खिलाफ चौथे टेस्ट से पहले एक विवाद का हिस्सा बन गए हैं। ओल्ड ट्रैफर्ड में उनके खेलने को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। इसी बीच इंग्लैंड के एक पूर्व क्रिकेटर ने बुमराह और टीम इंडिया के प्रबंधन दोनों की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि जब बुमराह टीम की गेंदबाज़ी की अगुवाई करते हैं, तब भारत का प्रदर्शन अक्सर कमजोर हो जाता है।
इस आलोचना के बाद बुमराह के “वर्कलोड मैनेजमेंट” को लेकर सवाल उठने लगे हैं। भारत पहले ही सीरीज़ में 2-1 से पीछे है, ऐसे में यह विवाद और ज़्यादा चर्चा का विषय बन गया है और इस अहम मैच से पहले माहौल और गर्म हो गया है।
शानदार प्रदर्शन के बाद भी जसप्रीत बुमराह जांच के घेरे में
बुमराह की मौजूदगी से ही विरोधी टीम घबरा जाती है और भारतीय फैंस को जीत की उम्मीद बंध जाती है। वो ऐसे गेंदबाज़ हैं जो अकेले दम पर मैच का रुख बदल सकते हैं और लगातार दबाव बना सकते हैं। इस सीरीज़ में भी उन्होंने हेडिंग्ले और लॉर्ड्स टेस्ट में 5-5 विकेट लिए, लेकिन इसके बावजूद भारत दोनों मैच हार गया।
2018 में टेस्ट डेब्यू के बाद से बुमराह ने 47 टेस्ट खेले हैं, जिनमें भारत ने 20 जीते और 23 हारे हैं। इस आंकड़े को देखकर इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर डेविड लॉयड जैसे लोग सवाल उठाने लगे हैं कि जब बुमराह खेलते हैं, तो भारत ज़्यादातर मैच क्यों हारता है? विशेषज्ञों का मानना है कि इसका कारण यह है कि बुमराह को अक्सर बाकी गेंदबाज़ों से पर्याप्त मदद नहीं मिलती। उन पर अकेले ही ज़्यादा ज़िम्मेदारी आ जाती है। कई बार उन्होंने शानदार गेंदबाज़ी की, लेकिन टीम के बाकी गेंदबाज़ या खराब फील्डिंग ने उनका सारा मेहनत बेकार कर दिया।
भारत के पूर्व गेंदबाज़ी कोच भरत अरुण ने इस बारे में कहा, “अब समय आ गया है कि दूसरे गेंदबाज़ भी बुमराह का साथ दें और जिम्मेदारी लें। उन्हें कहना चाहिए चलो अब भारत के लिए मिलकर काम करते हैं।”
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बुमराह की मौजूदगी पर इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर की तीखी टिप्पणी
बुमराह के खेलने या न खेलने को लेकर भारत का रवैया इस वक्त क्रिकेट दुनिया में सबसे ज़्यादा चर्चा का विषय बना हुआ है। टीम इंडिया के कोच गौतम गंभीर और टीम मैनेजमेंट ने इंग्लैंड दौरे से पहले साफ़ कर दिया था कि वे बुमराह को पूरी सीरीज़ में नहीं खेलाएंगे। वजह साफ है कोई भी अपनी सबसे बड़ी ताकत को थका कर बेकार नहीं करना चाहता। इसलिए बुमराह को पाँच में से सिर्फ़ तीन टेस्ट मैचों के लिए चुना गया था।
हालाँकि इस फैसले की आलोचना भी हो रही है, लेकिन इसके पीछे तर्क है जनवरी 2024 से बुमराह ने दुनिया के किसी भी तेज़ गेंदबाज़ से ज़्यादा टेस्ट ओवर फेंके हैं। फिर भी उन्हें जैसे एजबेस्टन जैसे बड़े मैच में नहीं खिलाना, जहाँ भारत ने आकाशदीप और सिराज की दमदार गेंदबाज़ी से शानदार जीत हासिल की, इस पर काफी बहस छिड़ गई है।
कई आलोचक इंग्लैंड के बेन स्टोक्स का उदाहरण देते हैं, जो बिना किसी ‘वर्कलोड’ की शिकायत के लगातार लंबा स्पैल फेंकते हैं। लॉयड ने भी इस पर चुटकी ली। उन्होंने कहा, “बुमराह को तीन टेस्ट खेलने के लिए चुना गया था। दो खेल चुके हैं। अगर वो अपने फैसले पर टिके रहते हैं, तो उन्हें ओल्ड ट्रैफर्ड में अगला मैच ज़रूर खेलना चाहिए। अगर भारत 2-2 कर देता है, तो ओवल टेस्ट में भी वो खेलेंगे। लेकिन अगर इंग्लैंड 3-1 से सीरीज़ जीत जाता है, तो शायद बुमराह अगला मैच न खेलें।”
इस सीरीज़ में भारत ने बुमराह के साथ दो टेस्ट हारे हैं और उनके बिना एक शानदार जीत दर्ज की है – इस वजह से दोनों पक्षों को अपने-अपने तर्क मिल गए हैं। लॉयड का कहना है कि “जब बुमराह खेलते हैं, भारत हारता है”, यह बात फिलहाल आँकड़ों में सही लग सकती है, लेकिन ये बात क्रिकेट की जटिलताओं को नहीं समझती जैसे कैच छूटना, मौक़ों का गँवाना और मैच पलटने वाले छोटे-छोटे लम्हें। साफ़ है कि बुमराह चाहे मैदान में हों या बाहर, उनकी भूमिका अब भी टीम इंडिया के लिए बेहद अहम है और बहस का विषय भी।