भारत और इंग्लैंड के बीच एजबेस्टन टेस्ट में रोमांच भरपूर था, लेकिन एक ऐसा पल आया जिसने क्रिकेट जगत में जोरदार बहस छेड़ दी। जब आकाश दीप ने अपनी तेज़ गेंद से जो रूट के स्टंप्स उड़ा दिए, तो उन्होंने इस कीमती विकेट का जश्न मनाया। लेकिन जैसे ही रिप्ले आया, कुछ फैंस और क्रिकेट विशेषज्ञों ने इसका विरोध किया। उनका कहना था कि आकाश दीप का पिछला पैर रिटर्न क्रीज से बाहर था, जिससे वह गेंद नो-बॉल मानी जानी चाहिए थी और विकेट अमान्य होता। विवाद बढ़ा और कमेंटेटरों से लेकर पूर्व खिलाड़ियों तक ने इस पर अपनी राय रखी। अंत में, क्रिकेट के नियमों पर अधिकार रखने वाले मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब (MCC) ने आगे आकर इस मामले पर सफाई दी और स्थिति को स्पष्ट किया।
एमसीसी ने विवाद पर अंतिम फैसला सुनाया
इस पूरे विवाद का केंद्र था नियम 21.5.1, जो गेंदबाज के डिलीवरी स्ट्राइड की वैधता तय करता है। एमसीसी के मुताबिक, गेंद सही तभी मानी जाती है जब गेंदबाज का पिछला पैर रिटर्न क्रीज के अंदर लैंड हो और वह क्रिज को छुए नहीं।
इस मामले में भ्रम इसलिए हुआ क्योंकि आकाश दीप का पैर लैंड करने के बाद रिटर्न क्रीज के बाहर जाते हुए दिखा या उसे छूता हुआ नजर आया। लेकिन असली बात यह है कि पैर सबसे पहले जमीन पर कहां टच करता है, यही मायने रखता है। एमसीसी का बयान साफ था: “हम हमेशा यही मानते हैं कि जब पिछला पैर जमीन से पहली बार संपर्क करता है, तो वहीं से उसकी स्थिति तय होती है। उसी पल की स्थिति से यह तय होता है कि वह नो-बॉल है या नहीं।”
आकाश दीप के केस में उनका पैर सबसे पहले रिटर्न क्रीज के अंदर गिरा, और बाद में बाहर फिसला या छुआ। इसी वजह से तीसरे अंपायर पॉल रीफेल ने हस्तक्षेप नहीं किया, और मैदानी अंपायर क्रिस गफ्फनी और शरफुद्दौला सैकत ने विकेट को बरकरार रखा। उस वक्त कमेंट्री कर रहे रवि शास्त्री ने गेंद को वैध बताया, जबकि कुछ अंग्रेजी कमेंटेटर और पूर्व खिलाड़ी जोनाथन ट्रॉट ने इस पर सवाल उठाए।
यह भी पढ़ें: देखें वीडियो: आकाश दीप की घातक गेंद से जो रूट क्लीन बोल्ड, एजबेस्टन टेस्ट में भारत का दबदबा
एमसीसी की सफाई से खत्म हुआ विवाद, रूट का विकेट बना भारत की जीत का टर्निंग प्वाइंट
एमसीसी (मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब) के हस्तक्षेप ने न सिर्फ एजबेस्टन टेस्ट के दौरान पैदा हुए विवाद को खत्म किया, बल्कि क्रिकेट के नियमों को समझने के नजरिए से एक अहम सीख भी दी।
“पहले संपर्क बिंदु” की अहमियत को साफ करते हुए एमसीसी ने बताया कि गेंदबाज का पैर बाद में भले ही क्रीज से बाहर जाए, लेकिन अगर वह सबसे पहले जमीन पर क्रीज के अंदर टच करता है, तो गेंद वैध मानी जाती है। यह नियम अब आने वाले मैचों में ऐसे मामलों को समझने और फैसले लेने में मदद करेगा। इससे अंपायरों, खिलाड़ियों और दर्शकों को भी क्रिकेट नियमों की बारीकियों को बेहतर तरीके से समझने का मौका मिलेगा।
भारत के लिए रूट का विकेट बेहद अहम साबित हुआ। इंग्लैंड जब 608 रन के बड़े लक्ष्य का पीछा कर रहा था, तब वह 50 रन पर 3 विकेट गंवा बैठा। इसके बाद मेजबान टीम 271 रन पर ऑलआउट हो गई और भारत को 336 रन की शानदार जीत मिली। इससे सीरीज़ 1-1 से बराबर हो गई।हालांकि यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं था। इस पूरे मामले ने यह दिखा दिया कि कैसे एमसीसी खेल के नियमों की रक्षा करता है और खेल की न्यायप्रियता व ईमानदारी बनाए रखने में उसकी अहम भूमिका होती है चाहे मैदान पर कितनी भी गर्मा-गर्मी हो या टीवी कैमरों की निगरानी में हर छोटी बात को देखा जा रहा हो।