भारत के तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह 2025 तक लगातार काम का बोझ और चोटों से जूझते रहेंगे, जिससे उनकी आगामी मुकाबलों में भागीदारी को लेकर सोच-समझकर निर्णय लिए जा रहे हैं।
इंग्लैंड दौरे पर शानदार प्रदर्शन के बावजूद, उन्होंने केवल तीन टेस्ट मैच खेले और अब आराम व रिकवरी के महत्वपूर्ण दौर में हैं। खबरों के अनुसार, मुख्य कोच गौतम गंभीर और चयनकर्ता अजीत अगरकर की देखरेख में भारतीय प्रबंधन उन्हें 9 से 28 सितंबर तक यूएई में होने वाले एशिया कप 2025 से आराम दे सकता है।
यह फैसला इसलिए लिया जा रहा है ताकि बुमराह को आगामी टेस्ट सीरीज़, विशेष कर वेस्ट इंडीज और साउथ अफ्रीका के खिलाफ, पूरी फिटनेस के साथ खेलने का मौका मिल सके। भारतीय टीम अब वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) 2025–27 में प्रवेश कर रही है, जिससे टेस्ट मैचों में लगातार उनका योगदान सुरक्षित रखना ज़रूरी है। हालांकि. बुमराह टी20 में भी भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं, मगर एशिया कप खेलने से उनकी थकावट बढ़ सकती है। फाइनल तक पहुँचना हो सकता है, जिससे टेस्ट मैचों में उनकी उपलब्धता और प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है—जो टीम के लिए अहम डब्ल्यूटीसी अंक हैं।
यही कारण है कि बीसीसीआई बुमराह का कार्यभार संतुलित करने के लिए रणनीति बना रही है ताकि वह लंबे प्रारूप में उच्च प्रदर्शन दे सकें और भारत की ख्वाहिश डब्ल्यूटीसी ट्रॉफी जीतसाकार हो सके।
जसप्रीत बुमराह की लंबी उम्र के लिए भारतीय प्रबंधन का रणनीतिक दांव
2025 में चोटों और सीमित मैचों के कारण जसप्रीत बुमराह के कार्यभार को संभालना भारतीय टीम प्रबंधन के लिए एक बड़ी रणनीति बन गया है। इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने तीन टेस्ट खेले और दो बार एक पारी में पांच विकेट लेकर शानदार प्रदर्शन किया। इसके बाद उन्हें पांचवें टेस्ट से आराम दिया गया ताकि वे ठीक से रिकवर कर सकें।
अगस्त में भारत का कोई अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं है, जिससे बुमराह को जरूरी आराम मिल सकेगा। रिपोर्टों के अनुसार, बुमराह को एशिया कप 2025 से बाहर रखने का फैसला सिर्फ़ उनकी फिटनेस के लिए नहीं, बल्कि उनके करियर को लंबा और प्रभावी बनाए रखने की योजना का हिस्सा है।
टीम मैनेजमेंट का यह फैसला दर्शाता है कि अब खिलाड़ी की भलाई को सिर्फ़ रणनीति या फील्डिंग प्लान तक सीमित नहीं रखा गया है, बल्कि उसे भविष्य की योजना से भी जोड़ा जा रहा है। कोच गौतम गंभीर और चयनकर्ता अजीत अगरकर मिलकर एक सतर्क सोच अपना रहे हैं, जिसमें एशिया कप खेलने और टेस्ट क्रिकेट की अहमियत को तौला जा रहा है।अगर भारत एशिया कप के फाइनल तक पहुंचता है, तो बुमराह शायद अहमदाबाद में वेस्टइंडीज़ के खिलाफ होने वाले महत्वपूर्ण टेस्ट में नहीं खेल पाएंगे। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या बुमराह को एशिया कप में खिलाना ज़रूरी है या फिर उन्हें पूरी तरह फिट रखते हुए टेस्ट मैचों के लिए बचाकर रखना ज़्यादा फायदेमंद होगा। अब बहस इस बात पर है कि बुमराह की भूमिका सीमित ओवरों के क्रिकेट में होनी चाहिए या भारत को उन्हें टेस्ट क्रिकेट की सफलता के लिए बचाकर रखना चाहिए।
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सामरिक शून्यता और बुमराह की टीम में संभावित वापसी
भारत का एशिया कप 2025 ग्रुप चुनौतीपूर्ण है, जिसमें यूएई, पाकिस्तान और ओमान जैसी टीमें शामिल हैं। टूर्नामेंट के मुकाबले 10 सितंबर से शुरू होंगे। एशिया कप का तेज़ और दबाव भरा माहौल टेस्ट क्रिकेट की धीमी और रणनीतिक गति से अलग होता है, लेकिन बुमराह जैसे अनुभवी गेंदबाज़ से वहां भी फिटनेस और धार दोनों की ज़रूरत होती है।
अगर बुमराह एशिया कप नहीं खेलते, तो भारत को अपने तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण की नई योजना बनानी होगी। इससे टीम की जीत की संभावना पर असर पड़ सकता है, खासकर जब पाकिस्तान जैसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी सामने हों। हालांकि, टीम प्रबंधन का नज़रिया आगे की सोच पर केंद्रित है। बुमराह को आराम देकर भारत उन्हें न्यूजीलैंड के खिलाफ साल की शुरुआत में होने वाली टेस्ट और टी20 सीरीज़ के लिए पूरी तरह तैयार रखना चाहता है। यह सीरीज़ टी20 वर्ल्ड कप 2026 की तैयारी का अहम हिस्सा मानी जा रही है। इसलिए, एशिया कप से बाहर रखकर भारत की रणनीति साफ है बुमराह की फिटनेस को लंबे समय तक बनाए रखना और यह सुनिश्चित करना कि वह आने वाले बड़े अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में अपनी सर्वश्रेष्ठ लय में रहें।