टीम इंडिया ने अब फिटनेस जांचने के लिए एक नया और असरदार तरीका अपनाया है, जो पहले की पारंपरिक ट्रेनिंग से काफी अलग है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने अब ब्रोंको टेस्ट को अनिवार्य फिटनेस टेस्ट में शामिल कर लिया है। यह टेस्ट असल में रग्बी से लिया गया है और अब यो-यो टेस्ट और 2 किलोमीटर रन के साथ टीम चयन के लिए जरूरी मानदंड बन गया है।
यह फैसला इंग्लैंड के खिलाफ हाल ही में खेली गई पांच मैचों की थकाने वाली टेस्ट सीरीज़ के बाद लिया गया, जहां खिलाड़ियों की फिटनेस को लेकर लगातार चिंता जताई गई। ऐसे में एक बेहतर और सख्त फिटनेस जांच की ज़रूरत महसूस हुई। खास बात यह रही कि उस सीरीज़ में सिर्फ मोहम्मद सिराज ही ऐसे तेज़ गेंदबाज़ थे जिन्होंने बिना किसी चोट के सभी पांच टेस्ट मैच खेले।
ब्रोंको टेस्ट क्या है?
मुख्य कोच गौतम गंभीर और स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच एड्रियन ले रॉक्स, जो जून 2025 में टीम इंडिया से जुड़े, ने एक अहम बात पर ध्यान दिया — भारतीय खिलाड़ी जिम में ज़रूरत से ज़्यादा समय बिता रहे थे और मैदान पर ज़रूरी कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस को नजरअंदाज़ कर रहे थे। ले रॉक्स, जो पहले भी टीम इंडिया (2002-03) और आईपीएल टीमों कोलकाता नाइट राइडर्स और पंजाब किंग्स के साथ काम कर चुके हैं, मानते हैं कि फिटनेस का असली फोकस ऐसा होना चाहिए जो सीधे खेल में नज़र आए।
इसी सोच के तहत ब्रोंको टेस्ट को फिटनेस का नया पैमाना बनाया गया है। यह टेस्ट खिलाड़ियों की सहनशक्ति बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है, जिसमें छह मिनट के अंदर 20, 40 और 60 मीटर की दूरी के पांच लगातार दौड़ (शटल रन) पूरे करने होते हैं कुल 1,200 मीटर की दौड़। जिम की कसरतों के उलट, यह टेस्ट क्रिकेट के खेल की असली ज़रूरतों को ध्यान में रखता है।
तेज़ गेंदबाज़ आकाश दीप और प्रसिद्ध कृष्णा हाल ही में फिटनेस की परेशानियों से जूझते रहे, जबकि जसप्रीत बुमराह को भी सावधानी से संभालना पड़ा, जिससे वे सिर्फ तीन टेस्ट ही खेल पाए। इसके उलट मोहम्मद सिराज ने पांचों टेस्ट खेले और 185.3 ओवर फेंके यानी हर मैच में औसतन 37 ओवर। उनका यह प्रदर्शन उस फिटनेस स्तर का उदाहरण है, जिसे अब भारतीय टीम हर खिलाड़ी में देखना चाहती है।
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आधुनिक क्रिकेट के लिए विज्ञान समर्थित मानक
यो-यो
- 2K रन में शामिल होने वाले ब्रोंको टेस्ट के साथ, भारत ने फिटनेस के लिए एक स्तरित, विज्ञान-संचालित दृष्टिकोण तैयार किया है। प्रत्येक परीक्षण एक अलग आयाम को संबोधित करता है: यो-यो टेस्ट
- (न्यूनतम 17.1): आंतरायिक दौड़ और रिकवरी क्षमता।
2K रन
- : शुद्ध एरोबिक धीरज, तेज
- गेंदबाजों को 8:15 मिनट से कम समय की जरूरत होती है
बीसीसीआई के बेंगलुरु स्थित राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में कई केंद्रीय अनुबंधित खिलाड़ियों ने पहले ही ब्रोंको टेस्ट दे दिया है। इससे खिलाड़ियों की फिटनेस का रिकॉर्ड तैयार हो गया है, जिसे लंबे समय तक निगरानी में रखा जा सकेगा।
ये पहल सिर्फ चयन प्रक्रिया का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह दिखाती है कि क्रिकेट अब शारीरिक रूप से कितना demanding खेल बन चुका है। लंबे आईपीएल सीज़न, लगातार अंतरराष्ट्रीय दौरों और कई फॉर्मेट में खेलने के कारण अब ऐसे खिलाड़ियों की ज़रूरत है जो न सिर्फ फिट रहें, बल्कि जल्दी रिकवर करें और लगातार अच्छा प्रदर्शन कर सकें। इस नई सोच और वैज्ञानिक तरीके के साथ भारतीय क्रिकेट यह दिखा रहा है कि वह खिलाड़ियों की फिटनेस और प्रदर्शन को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए खेल विज्ञान को गंभीरता से अपना रहा है और इस दिशा में आगे बढ़ने वाला एक अग्रणी देश बन चुका है।