क्रिकेट में कप्तानों को हमेशा न सिर्फ़ फैसलों से, बल्कि बल्ले से भी टीम का नेतृत्व करते देखा गया है। भारत की परंपरा भी कुछ ऐसी ही रही है, जहाँ कई शानदार बल्लेबाज़ों ने कप्तान बनकर टीम को आगे बढ़ाया। कप्तानी का दबाव झेलते हुए एक ही टेस्ट सीरीज़ में खूब रन बनाना किसी खास खिलाड़ी की पहचान होती है। साल 2025 में शुभमन गिल ने ऐसा ही कमाल कर दिखाया। उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ खेलते हुए एक पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया और अपना नाम इतिहास में दर्ज करा लिया।
इंग्लैंड के खिलाफ शुभमन गिल का शानदार प्रदर्शन
भारत का 2025 का इंग्लैंड दौरा हमेशा याद किया जाएगा, जब गिल एक प्रतिभाशाली बल्लेबाज़ से टीम के असली नेता और रन मशीन बन गए। कप्तान बनने के बाद गिल ने ऐसा संयम, आत्मविश्वास और खूबसूरती से बल्लेबाज़ी की, जैसा क्रिकेट में बहुत कम देखने को मिलता है।
सीरीज़ की शुरुआत से ही गिल शानदार फॉर्म में दिखे। उन्होंने कई बार भारत को मुश्किल हालात से निकाला, मैच जिताने वाले स्कोर बनाए और इंग्लैंड के गेंदबाज़ों को पूरी तरह दबाव में डाल दिया। गिल ने अब तक नौ पारियों में चार शतक लगाते हुए 737 रन बना लिए हैं और वह इस एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी में सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ बन चुके हैं।
उनका शानदार सफर हेडिंग्ले टेस्ट में 147 रन से शुरू हुआ, फिर लॉर्ड्स में तीसरे टेस्ट में 170 रन बनाए। ओल्ड ट्रैफर्ड में चौथे टेस्ट की दूसरी पारी में उन्होंने 103 रन की ज़रूरी पारी खेली, जिससे भारत मैच ड्रॉ करा सका। ओवल में चल रहे पांचवें टेस्ट में भी गिल की फॉर्म जारी है। उन्होंने पहली पारी में नाबाद 15 रन बनाकर सुनील गावस्कर का एक सीरीज़ में किसी भारतीय कप्तान द्वारा सबसे ज़्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड तोड़ दिया। अब गिल का औसत 90.25 है और वह गावस्कर के एक द्विपक्षीय टेस्ट सीरीज़ में सबसे ज़्यादा रन (774) के ऑल-टाइम भारतीय रिकॉर्ड से सिर्फ़ 38 रन दूर हैं। यह गिल के शानदार प्रदर्शन और कप्तान के तौर पर उनके यादगार आग़ाज़ का बड़ा प्रमाण है।
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एक टेस्ट सीरीज में सर्वाधिक रन बनाने वाले शीर्ष 5 भारतीय कप्तान
यहां उनकी उल्लेखनीय उपलब्धि और अन्य महान भारतीय कप्तानी प्रदर्शनों के साथ उनकी तुलना पर एक नजर डाली गई है:
- शुभमन गिल – 733* रन बनाम इंग्लैंड (2025)

2025 में गिल ने इतिहास बना दिया। उन्होंने करीब पाँच दशक पुराना रिकॉर्ड तोड़ते हुए नया शिखर छू लिया। लेकिन बात सिर्फ़ आंकड़ों की नहीं है। उनकी कप्तानी और टीम में भरे आत्मविश्वास ने युवा भारतीय टीम को मुश्किल इंग्लिश हालात में जीत दिलाई। गिल की पारियाँ सिर्फ़ रन बनाने तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि उन्होंने मैच का रुख बदलने वाला असर डाला। उनके शानदार प्रदर्शन और लीडरशिप ने उन्हें भारतीय क्रिकेट के महान कप्तानों की कतार में ला खड़ा किया है।
2. सुनील गावस्कर – 732 रन बनाम वेस्टइंडीज (1978/79)

गिल के रनों की भरमार से पहले, वेस्टइंडीज के भीषण आक्रमण के खिलाफ आदरणीय सुनील गावस्कर की 732 रन की पारी भारत का स्वर्णिम मानक थी। कई प्रभावशाली तेज गेंदबाजों के खिलाफ खेलते हुए, गावस्कर का लचीलापन और तकनीकी प्रतिभा निखर कर सामने आई। आधुनिक सुरक्षात्मक गियर के अभाव वाले युग में, गावस्कर की स्मारकीय श्रृंखला- जिसमें तीन शतक शामिल थे- कौशल और साहस का प्रमाण थी।
3. विराट कोहली – 655 रन बनाम इंग्लैंड (2016/17)
2016/17 में इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज़ में विराट कोहली की बल्लेबाज़ी एक शानदार प्रदर्शन थी। अपनी तेज़ ऊर्जा और रन बनाने की भूख के लिए पहले से ही मशहूर कोहली ने उस सीरीज़ में जबरदस्त स्थिरता और संयम दिखाया। उनकी बड़ी-बड़ी पारियों ने भारत की मज़बूत जीत की नींव रखी और यह भी साफ कर दिया कि कोहली न सिर्फ़ एक बेहतरीन बल्लेबाज़ हैं, बल्कि अपनी टीम का नेतृत्व भी मिसाल बनकर करते हैं।
4. विराट कोहली – 610 रन बनाम श्रीलंका (2017/18)
विराट बार-बार भारत के सबसे सफल कप्तान-बल्लेबाज़ों में गिने जाते हैं, और यह दिखाता है कि उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में भारत के फिर से उभरने में कितना अहम रोल निभाया है। 2017/18 में श्रीलंका के खिलाफ सीरीज़ में कोहली शानदार फॉर्म में थे। उन्होंने अपनी आक्रामक लेकिन नियंत्रित बल्लेबाज़ी के अंदाज़ में 610 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने दो दोहरे शतक भी लगाए, जिससे उनका आंकड़ा और भी शानदार हो गया।
कोहली ने ना सिर्फ़ रन बनाए, बल्कि पूरी सीरीज़ में टीम को अच्छी तरह से संभाला और विपक्षी गेंदबाज़ों को पूरी तरह थका दिया।
5. विराट कोहली – 593 रन बनाम इंग्लैंड (2018)

कोहली की सबसे बेहतरीन पारियों में से एक 2018 में इंग्लैंड में देखने को मिली, जहाँ उन्होंने 593 रन बनाए। इंग्लैंड की स्विंग और तेज़ गेंदबाज़ों वाली पिचें हमेशा भारतीय बल्लेबाज़ों के लिए चुनौती रही हैं, लेकिन कोहली ने इन मुश्किल हालात में भी खुद को साबित किया। उन्होंने तकनीकी रूप से मजबूत बल्लेबाज़ी की और लगभग अकेले ही इंग्लैंड के गेंदबाज़ों का डटकर सामना किया। उनकी पारियों में धैर्य, आत्मविश्वास और परिस्थितियों के अनुसार खेल में बदलाव साफ नजर आया। हालाँकि, भारत को पूरी सीरीज़ में संघर्ष करना पड़ा, लेकिन कोहली की बल्लेबाज़ी ने भारतीय क्रिकेट की गरिमा बनाए रखी।