एशेज 2025-26 से पहले शुरू हुए मनोवैज्ञानिक खेल की परंपरा को निभाते हुए, इंग्लैंड के स्टार बल्लेबाज़ जो रूट ने ऑस्ट्रेलिया के पूर्व ओपनर डेविड वॉर्नर की तीखी टिप्पणी का शांत और समझदारी भरा जवाब दिया है। यह बातचीत अब होने वाली बहुप्रतीक्षित सीरीज़ का माहौल बना रही है, जो ऑस्ट्रेलिया में खेली जाएगी।
जो रूट इस बार ऑस्ट्रेलिया में अपना शतक का सूखा खत्म करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने अपने पिछले संघर्षों के बारे में खुलकर और आत्मविश्वास से बात की है, जिससे ये साफ हो गया है कि वे इस बार कुछ खास करने के इरादे से उतरेंगे।
‘सर्फबोर्ड’ स्लेज और डेविड वार्नर को जो रूट की नपी-तुली प्रतिक्रिया
इस जुबानी जंग की नई शुरुआत तब हुई जब डेविड वॉर्नर ने एक इंटरव्यू में रूट की ऑस्ट्रेलिया में हुई पिछली कमजोर बल्लेबाज़ी पर तंज कसते हुए मज़ाक उड़ाया। वॉर्नर, जो मैदान के अंदर और बाहर अपनी आक्रामक बातों के लिए जाने जाते हैं, ने कहा कि रूट को “अपने अगले पैर से सर्फ़बोर्ड हटा लेना चाहिए”, क्योंकि उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि जोश हेज़लवुड फिर से उनके अगले पैर को निशाना बनाएंगे।
हालांकि, रूट इस टिप्पणी से बिल्कुल भी प्रभावित नहीं हुए। एक हालिया इंटरव्यू में उन्होंने शांत अंदाज़ में जवाब दिया, “लोग मैच को कैसे देखते हैं या इंटरव्यू में क्या बोलते हैं, इस पर मेरा कोई कंट्रोल नहीं है। इसमें कुछ नया नहीं है। लोग हमेशा बड़ी सीरीज़ को लेकर बातें बनाते हैं।”
रूट ने इस मज़ाक को हल्के अंदाज़ में लेते हुए कहा, “ये सब तो खेल का मज़े का हिस्सा है, है ना?” उन्होंने यह भी कहा कि उनका रवैया इससे नहीं बदलेगा। 34 साल के इस बल्लेबाज़ ने आगे कहा, “मैं इसके बारे में क्या कर सकता हूँ? बस कोशिश करूँगा कि अपना ‘सर्फ़बोर्ड’ रास्ते से हटा दूँ, ताकि जब नवंबर में सीरीज़ शुरू हो, तो लोग इस पर चर्चा न करें।” उन्होंने दोहराया कि लोगों की राय और इंटरव्यू में कही गई बातों से उन्हें फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि ये उनके लिए मायने नहीं रखता।
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ऑस्ट्रेलिया में शतक ना बना पाने पर बोले जो रूट: “पहले मैं शतक के पीछे बहुत भाग रहा था”
रूट अपने करियर में लगातार रन बनाने वाले बल्लेबाज़ रहे हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में उनका प्रदर्शन थोड़ा कमजोर रहा है। उन्होंने वहां अब तक 14 टेस्ट (27 पारियों) में 35.68 की औसत से 892 रन बनाए हैं, जिसमें 9 अर्धशतक तो हैं, लेकिन एक भी शतक नहीं।
रूट ने हाल ही में इस बारे में खुलकर बात की। उन्होंने माना कि ऑस्ट्रेलिया में शतक ना बना पाने की बड़ी वजह उनकी मानसिकता थी। बीबीसी को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि पिछली बार मैं शतक को बहुत ज़्यादा चाहता था। यही चाहत मुझे उस चीज़ से दूर ले गई जो असल में ज़रूरी थी।”
उन्होंने बताया कि उनके पिछले ऑस्ट्रेलिया दौरे काफी तनावपूर्ण थे। 2017-18 और 2021-22 की एशेज सीरीज़ में वह कप्तान थे, कोविड-19 की बायो-बबल की चुनौतियाँ थीं, और टीम में भी कई घटनाएँ हुईं—जैसे बेन स्टोक्स की विवादित घटना और जॉनी बेयरस्टो को सिर पर चोट लगना। रूट ने कहा, “बहुत सारी बातें ध्यान भटका रही थीं। मैं कप्तान था, कोविड था, स्टोक्स और बेयरस्टो से जुड़ी घटनाएँ हुई थीं… इस बार मैं बस खेल का मज़ा लेना चाहता हूँ।”
अब 150 से ज्यादा टेस्ट खेल चुके रूट एक नए नज़रिया और अनुभव के साथ 2025-26 की एशेज सीरीज़ में उतरने को तैयार हैं। वह शतक का दबाव नहीं, बल्कि चुनौती का आनंद लेना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “ऑस्ट्रेलिया में माहौल आक्रामक होता है, लेकिन अब मैं इसे एंजॉय करने वाली चीज़ के तौर पर देखता हूँ। पहले की तरह शतक की ज़रूरत नहीं, बस खेल पर ध्यान दूँगा – बाकी सब अपने आप हो जाएगा।”