जैसे-जैसे इंग्लैंड में खेली जा रही रोमांचक टेस्ट सीरीज़ अपने आखिरी पड़ाव की ओर बढ़ रही है, वैसे-वैसे विराट कोहली की कमी भी महसूस की जा रही है। इस बात को कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अपनी खास शैली में उठाया है। ओवल में खेले जा रहे पांचवें और आखिरी टेस्ट के बीच उन्होंने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा कि “कोहली को संन्यास से बाहर लाना चाहिए”। उनकी यह बात पुराने दिनों की यादों और मौजूदा टीम की कमजोरी दोनों को जाहिर करती है।
शशि थरूर ने टेस्ट मैचों में विराट कोहली की मांग की
भारत तब मुश्किल में फंस गया जब इंग्लैंड के हैरी ब्रूक और जो रूट ने मिलकर 195 रनों की बड़ी साझेदारी कर दी और भारतीय गेंदबाज़ों की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। चौथे दिन का खेल खत्म होने तक इंग्लैंड ने 339/6 रन बना लिए थे और 374 रनों के लक्ष्य से वो सिर्फ 35 रन दूर था। भारतीय फैन्स सोशल मीडिया पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करने लगे, लेकिन सबसे भावुक आवाज़ कांग्रेस सांसद शशि थरूर की थी।
थरूर ने लिखा, “विराट कोहली का धैर्य, उनका जोश, और मैदान पर उनकी मौजूदगी शायद मैच का नतीजा बदल सकती थी। क्या अब उन्हें संन्यास से वापस लाने में देर हो गई है? विराट, देश को तुम्हारी ज़रूरत है!”
विराट की बात सिर्फ रनों तक सीमित नहीं थी, वो मैदान पर जोश भरने वाले कप्तान थे। वो गेंदबाज़ों को सही दिशा में लगाते, स्लिप में शानदार फील्डिंग करते और मैदान पर ज़बरदस्त ऊर्जा दिखाते थे। उनकी यह मौजूदगी अब भारतीय टीम में साफ़ तौर पर मिस की जा रही है। जब थरूर की पोस्ट वायरल हुई, तो कई लोगों ने कोहली की कप्तानी वाले वो मुकाबले याद किए जब भारत ने इंग्लैंड में नामुमकिन जीतें हासिल की थीं जब कोहली की रणनीति और मैदान पर जोश ने टीम को फिर से जिता दिया था।
I’ve been missing @imVkohli a few times during this series, but never as much as in this Test match. His grit and intensity, his inspirational presence in the field, not to mention his abundant batting skills, might have led to a different outcome. Is it too late to call him out…
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) August 3, 2025
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क्या वापसी वास्तविक है, या सिर्फ एक सपना?
भावनात्मक सवाल “क्या अब बहुत देर हो चुकी है?” सिर्फ थरूर ने ही नहीं, बल्कि सैकड़ों फैन्स ने भी उठाया। यह सवाल कहीं न कहीं उम्मीद और बेबसी दोनों को दिखाता है। विराट ने मई 2025 में टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहा, 14 साल के शानदार करियर में उन्होंने 9,200 से ज़्यादा रन बनाए और कई यादगार विदेशी जीतों में टीम की कप्तानी की। खासकर इंग्लैंड में वह भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तान रहे। उनके संन्यास के बाद टीम न सिर्फ बल्लेबाज़ी में, बल्कि मानसिक मज़बूती में भी खाली महसूस करने लगी।
चौथे दिन भारत के तेज गेंदबाज़ों ने आखिरी सत्र में थोड़ा संघर्ष दिखाया। प्रसिद्ध कृष्णा और मोहम्मद सिराज ने रूट और बेथेल को आउट किया लेकिन खराब रोशनी और बारिश के चलते दिन का खेल जल्दी खत्म हो गया। इसके बावजूद, मैच की अनिश्चित स्थिति ने यह साफ कर दिया कि टीम अब एक मजबूत नेतृत्व और आत्मविश्वास की कमी से जूझ रही है।
कोच गौतम गंभीर और कप्तान शुभमन गिल अब आलोचना के घेरे में हैं। ऐसे में, जब इंग्लैंड के बल्लेबाज़ लक्ष्य के करीब पहुंच रहे थे और ओवल का माहौल रोमांच से भर गया था, तो कोहली की वापसी की मांग किसी तर्क पर नहीं, बल्कि उनकी महानता और असरदार मौजूदगी पर आधारित थी। एक ऐसा नेता जिसकी मौजूदगी, उसके न होने पर और भी गहराई से महसूस होती है।