राहुल द्रविड़, जिन्होंने अपने करियर में कई दिग्गज गेंदबाज़ों का सामना किया, ने खुलासा किया है कि दो गेंदबाज़ ऐसे थे जिन्होंने उन्हें सबसे ज़्यादा मुश्किलों में डाला। 1996 से 2012 तक चले अपने 16 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में द्रविड़ ने कई बेहतरीन तेज़ गेंदबाज़ों और होशियार स्पिनरों का सामना किया। लेकिन जब वो रविचंद्रन अश्विन के साथ “कुट्टी स्टोरीज़ विद ऐश” नाम के शो में बातचीत कर रहे थे, तब उन्होंने खुलकर बताया कि कौन से दो गेंदबाज़ उन्हें सबसे ज़्यादा चुनौती देते थे। द्रविड़ ने कहा कि जब भी वह सोचते हैं कि उनके लिए सबसे मुश्किल गेंदबाज़ कौन रहे हैं, तो हमेशा वही दो नाम उनके ज़हन में आते हैं।
राहुल द्रविड़ ने बताया कि उन्हें सबसे मुश्किल गेंदबाज़ का सामना करना पड़ा
जब द्रविड़ से पूछा गया कि उनके करियर में सबसे मुश्किल तेज़ गेंदबाज़ कौन रहे, तो उन्होंने बिना झिझक ग्लेन मैक्ग्रा का नाम लिया। द्रविड़ ने कहा कि उन्होंने वसीम अकरम और वकार यूनिस जैसे दिग्गजों का भी सामना किया, लेकिन वो दोनों अपने करियर के आखिरी दौर में थे। उन्होंने माना कि जिन्होंने अकरम को उनके चरम पर खेला है, वे उन्हें एक अलग ही स्तर का गेंदबाज़ मानते हैं। द्रविड़ ने खुद भी अकरम की पुरानी गेंदबाज़ी के वीडियो देखकर यह बात महसूस की।
लेकिन जब बात उनके लिए सबसे चुनौतीपूर्ण तेज़ गेंदबाज़ की आई, तो द्रविड़ ने साफ कहा कि मैक्ग्रा का सामना करना सबसे कठिन था। उन्होंने बताया कि मैक्ग्रा की गेंदबाज़ी की खास बात उनकी सटीक लाइन और लेंथ थी। द्रविड़ को हर वक्त अपने ऑफ स्टंप की रक्षा करनी पड़ती थी, क्योंकि मैक्ग्रा बार-बार उसी जगह गेंद डालते थे जहाँ से बल्लेबाज़ गलती कर सकता है।
द्रविड़ ने कहा, “मैंने ऐसे गेंदबाज़ खेले हैं जो मैक्ग्रा से ज़्यादा तेज़ थे, लेकिन उनकी निरंतरता और अनुशासन ने उन्हें सबसे खतरनाक बना दिया। वह पूरे दिन एक ही लाइन और लेंथ पर गेंदबाज़ी कर सकते थे, जिससे रन बनाना बहुत मुश्किल हो जाता था। उनके खिलाफ खेलना गति से ज़्यादा, दिमाग और तकनीक की परीक्षा जैसा था।”
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स्पिन में सबसे बड़ा नाम: द्रविड़ के लिए मुरलीधरन सबसे मुश्किल
द्रविड़ ने जब सबसे चुनौतीपूर्ण स्पिन गेंदबाज़ का नाम बताया, तो उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि मुथैया मुरलीधरन से ज़्यादा मुश्किल गेंदबाज़ उन्होंने कभी नहीं देखा। द्रविड़ ने बताया कि मुरलीधरन की सबसे बड़ी ताकत उनकी विविधता और लगातार एक ही स्तर पर गेंदबाज़ी करने की क्षमता थी। वह गेंद को दोनों तरफ़ घुमा सकते थे और लंबा स्पैल डालने के बावजूद थकते नहीं थे। इससे बल्लेबाज़ों को हर समय सतर्क रहना पड़ता था।
ख़ास तौर पर मुरलीधरन की “दूसरा” गेंद ने बल्लेबाज़ों को सबसे ज़्यादा परेशान किया। द्रविड़ ने कहा, “जब वो राउंड द विकेट आकर ‘दूसरा’ डालते थे और गेंद बल्लेबाज़ से दूर जाती थी, तब समझ पाना बहुत मुश्किल हो जाता था।” द्रविड़ ने आगे कहा, “वो कभी थकते नहीं थे, हर ओवर में नई चुनौती पेश करते थे। उनके पास शानदार कौशल था और वो लगातार दबाव बनाए रखते थे। मेरे हिसाब से मुरलीधरन सबसे बेहतरीन स्पिनर रहे जिनके खिलाफ़ मैंने खेला।”