2011 वर्ल्ड कप विजेता टीम के सदस्य रहे गौतम गंभीर का बतौर टीम इंडिया कोच कार्यकाल शुरू हो चुका है। श्रीलंका के खिलाफ तीन मैचों की टी20 और फिर तीन ही मैचों की वनडे सीरीज उनका पहला टास्क है। गंभीर ने राहुल द्रविड़ की जगह ली जिनका टी20 वर्ल्ड कप 2024 के बाद कार्यकाल समाप्त हो गया। अपनी मेंटोरशिप में केकेआर को आईपीएल 2024 जीताने में अहम भूमिका निभाने वाले गंभीर 2027 वनडे वर्ल्ड कप तक टीम इंडिया के साथ रहेंगे।
चूंकि, इस पूर्व भारतीय खिलाड़ी ने अपनी जिम्मेदारी संभाल ली है। ऐसे में हर कोई उन्हें इस नए करियर के लिए बधाई दे रहा है। लेकिन, लगता है, भारत के लिए खेल चुके स्टार खिलाड़ी और फिलहाल बतौर कमेंटेटर काम कर रहे संजय मांजरेकर को गंभीर का कोच बनना बिल्कुल रास नहीं आया। तभी तो उन्होंने अपने ट्विटर (अब X) हैंडल पर भारतीय टीम के कोच को लेकर कुछ ऐसा कह डाला जिससे वो सुर्खियों में आ गए हैं।
बता दें कि मांजरेकर ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन इशारों ही इशारों में मानो समझा गए कि पिछले कुछ दिनों से गंभीर को मिल रही लाइमलाइट से भारतीय टीम को कुछ फायदा नहीं होने वाला। उन्होंने गंभीर पर सीधे न सही बल्कि दूसरे तरीके से निशाना साधते हुए कहा कि यहां कोई भी कोच या खिलाड़ी टीम से बड़ा नहीं होता।
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मांजरेकर ने लिखा, “कोई कोच नहीं, लालचंद राजपूत, गैरी कर्स्टन और राहुल द्रविड़। कोच तब थे, जब भारत ने 1983, 2007, 2011 और 2024 में विश्व कप जीता था। यह वास्तव में भारतीय क्रिकेट के बारे में है, न कि कोच कौन है। समय आ गया है कि हम यह सोचना बंद कर दें कि दोनों के बीच सीधा संबंध है।”
No coach, Lalchand Rajput, Gary Kirsten & Dravid. Coaches when India won WCs in 1983, 2007, 2011 & 2023.
It’s really about Indian cricket, not who the coach is. Time we stop thinking there is a direct correlation.— Sanjay Manjrekar (@sanjaymanjrekar) July 27, 2024
सुर्खियों में हैं गंभीर
जब से गंभीर को भारत का कोच बनाए जाने की घोषणा हुई है, उसके बाद से वह सुर्खियों में हैं। सोशल मीडिया पर फैंस इसे गंभीर युग के शुरू होने की बात कह रहे हैं। कई का तो ये भी कहना है कि उनकी कोचिंग में भारतीय टीम कई मुकाम हासिल करेगी। यही वजह है कि मांजरेकर का बयान इससे जोड़कर देखा जा सकता है कि वह भारतीय टीम की किसी भी उपलब्धि के लिए एकमात्र कोच या कप्तान को क्रेडिट देने के बिल्कुल भी पक्षधर नहीं हैं। चूंकि, भारत ने चार बार वर्ल्ड कप खिताब पर कब्जा किया है, ऐसे में चर्चा टीम की होती है न कि कौन कोच था।