आज की तारीख में यशस्वी जायसवाल को कौन नहीं जानता। इस युवा खिलाड़ी ने बेहद कम समय में प्रभावित किया है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में जायसवाल के बल्ले से रन निकले हैं। इसी कड़ी में उनके बचपन के कोच ज्वाला सिंह ने हमसे एक्सक्लूसिव बातचीत की। इस दौरान उन्होंने अपनी जर्नी से लेकर जायसवाल के हालिया प्रदर्शन पर अपनी राय दी और साथ ही पृथ्वी शॉ का भी जिक्र किया जो फिलहाल बुरे दौरे से गुजर रहे हैं। पेश है बातचीत के कुछ अंश।
सवाल: आप मुंबई में फिलहाल यंग लड़कों को कोचिंग देते हैं, और आप मूलतः यूपी के गोरखपुर के रहने वाले हैं। यूपी से निकलकर मुंबई तक का सफर कैसा रहा? इसकी शुरुआत कहां से हुई?
सिंह: देखिए, मैं बहुत ही छोटा था जब मेरी गोरखपुर में शुरुआत हुई। मैं पढ़ाई में बहुत अच्छा था। 1992 में वर्ल्ड कप चल रहा था, और इंडिया ने पाकिस्तान को हराया था। सचिन तेंदुलकर और रमाकांत आचरेकर सर के बारे में पढ़ता था और मुझे भी क्रिकेट प्रोफेशनल लेवल पर खेलने का शौक बढ़ता गया।
क्रिकेट सम्राट जैसी मैगजीन पढ़ी, जहां मैंने देखा कि सचिन का नाम है। मुझे लगा कि मुझे भी क्रिकेट में नाम कमाना है। फिर गोरखपुर में थोड़ा खेला क्योंकि मेरे पापा ने क्रिकेट किट मुझे दी थी। लेकिन वहां ज्यादा अवसर नहीं मिलने की सलाह मिली। लोग कहते थे कि यहां रुकोगे तो कुछ नहीं होगा, तो मैंने मुंबई आने का फैसला किया। 1995 में मैं मुंबई आया। मेरी जर्नी शुरू से ही बेहद कठिन रही। जब मैं मुंबई आया, तो मेरे पिता मुझे लेकर आए थे। मुंबई की परिस्थितियां बहुत अलग थीं—गोरखपुर में हम बड़े घर में रहते थे, लेकिन मुंबई में छोटे कमरे में तीन-चार लोग रहते थे। यहां से मेरी संघर्ष भरी यात्रा शुरू हुई।
सवाल: आप खिलाड़ियों में टैलेंट कैसे पहचानते हैं?
सिंह: हमारी अकादमी काफी बड़ी है और हम अलग-अलग स्तर पर कोचिंग देते हैं। अलग-अलग स्तर के खिलाड़ियों के लिए हमारे पास 40 से 45 कोच और लगभग 50 से 60 स्टाफ सदस्य हैं। हालांकि, मैं व्यक्तिगत रूप से उन्हीं बच्चों पर ध्यान देता हूं जिनमें मुझे गेम के प्रति एटीट्यूड, मेहनत और लगन दिखता है। जायसवाल का उदाहरण लें। उनकी जिद और समर्पण ने मुझे प्रभावित किया, और इसलिए मैंने उन्हें आगे बढ़ने में मदद की।
सवाल: जासयवाल पर्थ टेस्ट की फर्स्ट इनिंग्स में जीरो पर आउट हो गए थे, इसके बाद यह अटकलें लगने लगी कि शायद ये युवा खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया में अच्छा खेल पाएगा या नहीं, उस समय आपके दिमाग में क्या चल रहा था?
सिंह: मुझे लगता है कि मैं बहुत ही उस पर कॉन्फिडेंट था और रहूंगा क्योंकि कुछ प्लेयर ऐसे होते हैं जो सिचुएशन के हिसाब से अपने आप को जल्दी ढाल लेते हैं, गेम को अच्छा समझते हैं। मुझे लगता है यशस्वी के पास वह आर्ट है, वो गेम को समझता है, प्रेजेंट में रहता है और उसके पास वो सारी चीजें है। स्किल के साथ साथ मेंटल टफनेस भी है तो मुझे शुरू से पता था कि वह ऑस्ट्रेलिया में भी रन बनाएगा।
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सवाल: पहले टेस्ट की दूसरी पारी में जायसवाल ने स्टार्क को स्लेज कर दिया था यह कहते हुए कि गेंद धीमी आ रही है जिसके बाद जायसवाल के कॉन्फिडेंस की खूब चर्चा हुई। आप इस चीज को किस रूप में देखते हैं। क्या आपको लगता है कि उनके खेल और मानसिकता में बदलाव आया है।
सिंह: आप देखोगे जो प्लेयर आईपीएल में इतना डोमिनेट करके खेल सकता है तो इसका पहला मतलब है कि उसके पास स्किल और कॉन्फिडेंस है और ऑस्ट्रेलिया में जाकर ऑस्ट्रेलियन गेंदबाजों को छेड़ना यह लेटेस्ट इंडियन टीम ही कर सकती है। यह आज का इंडिया है। एक दौर हुआ करता था जब इंडिया ऑस्ट्रेलिया जाती थी और ऑस्ट्रेलियन मीडिया हमारे पर एक मेंटल प्रेशर बनाती थी ताकि प्लेयर थोड़ा सा प्रेशर में आए, लेकिन अभी जब से आईपीएल आया है तब से इंडिया में सारे वर्ल्ड क्लास बॉलर आते हैं जिससे हमारे बल्लेबाजों को भी अच्छा अंदाजा हो जाता है कि कौन क्या बॉलिंग डालता है इसीलिए अगर आजकल के सारे प्लेयर्स को देखेंगे तो वे बहुत फियरलेस हैं और यशस्वी तो खैर हर जगह रन बनाते आए हैं। उनका कॉन्फिडेंस बहुत हाई है और मुझे लगता है कि जिस तरीके से उसने इंटेंट दिखाया एक अच्छी चीज है, लेकिन मैं फिर बोलूंगा कि आपका प्रोसेस बहुत इंपोर्टेंट होता है किसी को कुछ बोल देना एक टाइम फ्रेम की बात है लेकिन उसके आगे आपको परफॉर्म करना पड़ेगा।
सवाल: आज के समय में पृथ्वी शॉ की बहुत बात हो रही है। एक समय नेक्स्ट सचिन कहे जाने वाले युवा खिलाड़ी को टीम इंडिया में तो क्या आईपीएल में किसी टीम ने नहीं लिया। ऑक्शन में वह अनसोल्ड रहे। इस यंग खिलाड़ी से कहां गलती हुई।
सिंह: पृथ्वी शॉ बहुत ही हाई टैलेंटेड प्लेयर था और है। वह मेरा पहला खिलाड़ी है जो अंडर 19 वर्ल्ड कप खेला था। मेरे पास 2015 में आया था और वर्ल्ड कप तक वो मेरे पास था। मैंने बहुत काम किया, उसके गेम के ऊपर, उसके मेंटल स्टेट के ऊपर और मैं बहुत एक्साइटेड था जब वो अंडर 19 वर्ल्ड कप खेला, लेकिन सही बोलू तो 2017 के बाद आज तक मैंने उसको देखा ही नहीं है कि दिखता कैसा है फिजिकली और जब मैं उसकी तस्वीर देखता हूं ना तो मुझे बड़ा आश्चर्य होता है।
आज मुझे जो उसकी फिटनेस दिखती है, बॉडी लैंग्वेज दिखती है, उसे देखकर मुझे बड़ा अफसोस होता है कि इस खिलाड़ी को नेक्स्ट सचिन का टैग दिया गया था। एक कोच के रूप में मैं निराश हूं क्योंकि वो जो लेवल डिजर्व करता था वहां पर आज नहीं है। जरूर कुछ ना कुछ गलत हुआ है और मैं अभी भी आशा करता हूं कि वह मेहनत करें और आगे जाकर अपने आप को वापस उस गेम को लेकर आए। मुझे लगता है वो अभी भी कम बैक कर सकता है लेकिन इसके लिए जरूरत है डिसिप्लिन की, फोकस की और फिर से अपने आप को रिवाइव करने की।