गौतम गंभीर और एमएस धोनी के रिश्ते को लेकर क्रिकेट फैंस और जानकारों के बीच हमेशा चर्चा होती रही है। भले ही दोनों ने भारत को वर्ल्ड कप जिताने में साथ खेला, लेकिन उनके रिश्ते को लेकर कई तरह की बातें कही जाती हैं। अक्सर लोग मानते हैं कि दोनों के बीच अनबन थी, लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं है।
गंभीर के बचपन के कोच संजय भारद्वाज ने हाल ही में इस मामले पर बात की और बताया कि दोनों के बीच कोई दुश्मनी नहीं थी। उन्होंने इन अफवाहों को गलत बताते हुए कहा कि गंभीर और धोनी के रिश्ते को लोग गलत समझते हैं, जबकि हकीकत इससे अलग और ज्यादा गहरी है।
गौतम गंभीर बनाम एमएस धोनी: अटकलों की शुरुआत
गंभीर के साफ और बेबाक अंदज़ की वजह से अक्सर उनके और दूसरे क्रिकेटरों, खासकर धोनी के रिश्तों को लेकर अटकलें लगाई जाती रही हैं। बीते सालों में गंभीर ने कई बयान दिए हैं, जो विवाद का कारण बने हैं। खासकर उनका यह कहना कि “एक छक्के से विश्व कप नहीं जीता जाता”, जिसे कई लोगों ने 2011 वर्ल्ड कप फाइनल में धोनी के यादगार छक्के पर कटाक्ष माना। ऐसे बयानों ने यह धारणा और मजबूत कर दी कि दोनों के बीच कोई न कोई मनमुटाव जरूर है। हालांकि, यह सिर्फ बाहरी नजरिए से बनी धारणा हो सकती है, असल सच्चाई इससे अलग भी हो सकती है।
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संजय भारद्वाज: गलतफहमियों का स्पष्टीकरण
रौनक पॉडकास्ट के हालिया एपिसोड में भारद्वाज ने इन गलतफहमियों को साफ तौर पर खारिज किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि गंभीर के मन में धोनी या विराट समेत किसी के प्रति कोई निजी दुश्मनी नहीं है। बल्कि, उनकी आलोचनाएँ किसी व्यक्तिगत रंजिश की वजह से नहीं, बल्कि टीम में जवाबदेही और सुधार की चाहत से प्रेरित होती हैं।
भारद्वाज ने कहा, “गौतम ने कभी किसी को नापसंद नहीं किया। यह एक तथ्य है। लोग कहते हैं कि गंभीर को धोनी पसंद नहीं हैं। यहाँ तक कि विराट कोहली भी। वह किसी को नापसंद नहीं करते। वह केवल कुछ खास कामों को पसंद और नापसंद करते हैं। गौतम गंभीर को किसी के प्रति कोई व्यक्तिगत द्वेष नहीं है। “
गंभीर और धोनी का साझा इतिहास
गंभीर औ धोनी का रिश्ता काफी पुराना है। 2004 में इंडिया ए सीरीज के दौरान वे रूममेट भी रह चुके हैं। 2007 के टी20 विश्व कप और 2011 के वनडे विश्व कप में उनकी साझेदारी भारत की जीत में अहम रही। हालांकि, समय के साथ गंभीर टीम के नेतृत्व और फैसलों को लेकर ज्यादा मुखर हो गए, खासकर धोनी की कप्तानी के दौरान, जिससे उनके बीच तनाव दिखने लगा। इसके बावजूद, गंभीर धोनी के भारतीय क्रिकेट में योगदान का सम्मान करते हैं।
विराट कोहली फैक्टर
गंभीर और विराट कोहली के रिश्ते में दोस्ती और प्रतिद्वंद्विता दोनों रहे हैं, खासकर आईपीएल में उनके बीच हुए टकरावों के कारण। हालांकि, हाल की बातचीत से साफ है कि दोनों ने अपने मतभेद भुलाकर फिर से आपसी सम्मान पर आधारित दोस्ती कायम कर ली है। गंभीर के कोच भारद्वाज के मुताबिक, गंभीर अपने साथियों को परिवार की तरह मानते हैं और मैदान पर हुई बहसें सिर्फ प्रतिस्पर्धा का हिस्सा होती हैं, उससे ज्यादा कुछ नहीं। उन्होंने बताया कि गंभीर कभी किसी के खिलाफ निजी रूप से कुछ नहीं कहते, चाहे वह विराट हों या कोई और। उनका मकसद सिर्फ टीम के लिए लड़ना होता है।
आखिर में, यह कहना कि गंभीर धोनी को पसंद नहीं करते, एक गलतफहमी है। उनका रिश्ता जटिल रहा है, लेकिन यह साझा अनुभवों और प्रतिस्पर्धी भावना से बना है। गंभीर की मजबूत राय टीम की रणनीतियों और नेतृत्व को लेकर होती है, न कि किसी के खिलाफ व्यक्तिगत रूप से। भारद्वाज की बातें हमें यह समझाने में मदद करती हैं कि क्रिकेट में रिश्ते उतने सरल नहीं होते जितने वे दिखते हैं।