• फाइनल में केरल पर पहली पारी में बढ़त हासिल करने के बाद विदर्भ को रणजी ट्रॉफी 2024-25 का चैंपियन घोषित किया गया।

  • विदर्भ को पहली पारी में 37 रन की मामूली बढ़त मिली जिससे उन्होंने अपने इतिहास में तीसरी बार रणजी ट्रॉफी जीत ली।

करुण नायर की अगुवाई में विदर्भ ने केरल से ड्रॉ खेलकर तीसरी बार जीता रणजी ट्रॉफी, फैंस ने दी प्रतिक्रिया
विदर्भ (फोटो: X)

नागपुर के जामथा में विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम में खेले गए रणजी ट्रॉफी 2024-25 के फाइनल में विदर्भ को चैंपियन घोषित किया गया। मैच ड्रॉ रहा, लेकिन पहली पारी में विदर्भ ने 37 रन की बढ़त हासिल की, जिससे उन्हें खिताब मिल गया। यह उनकी तीसरी रणजी ट्रॉफी जीत है, इससे पहले उन्होंने 2017-18 और 2018-19 में खिताब जीता था। केरल ने अपने पहले रणजी फाइनल में शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन विदर्भ की मजबूत बल्लेबाजी और रणनीति ने उन्हें जीत दिला दी।

विदर्भ की दमदार बल्लेबाजी ने जीत की नींव रखी

फाइनल में विदर्भ ने पहली पारी में 379 रन बनाए, जिसमें युवा बल्लेबाज दानिश मालेवार ने शानदार 136 रन बनाकर टीम को मजबूत किया। यह उनका पहला रणजी सीजन था और उनकी धैर्यभरी पारी ने शुरुआती झटकों के बाद विदर्भ को संभालने में मदद की। केरल ने अपनी पारी में 342 रन बनाए और कड़ी टक्कर दी, लेकिन विदर्भ से 37 रन पीछे रह गया। इस बढ़त के कारण विदर्भ को खिताब जीतने के लिए सिर्फ दूसरी पारी में बल्लेबाजी करनी थी, जिसे उन्होंने शानदार तरीके से निभाया। विदर्भ ने 143.5 ओवर में 375/9 का स्कोर बनाया, जिसके बाद कप्तानों ने ड्रॉ पर सहमति जताई। नायर ने 10 चौके और 2 छक्कों के साथ संयमित पारी खेली और मालेवार के साथ 182 रन की साझेदारी कर केरल को मुकाबले से बाहर कर दिया। अंत में, दर्शन नालकंडे के तेज अर्धशतक ने विदर्भ को सुरक्षित स्थिति में पहुंचा दिया, जिससे टीम को जीत पक्की करने में मदद मिली।

विदर्भ का गेंदबाजी आक्रमण दबाव में अच्छा प्रदर्शन करता है

विदर्भ के गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए केरल को पहली पारी में 342 रनों पर रोक दिया, जिससे टीम को खिताब जीतने में मदद मिली। उनके अनुशासित गेंदबाजी प्रयास ने सुनिश्चित किया कि विदर्भ को पहली पारी में बढ़त मिले, जिसने आखिरकार ट्रॉफी का फैसला किया। केरल के बल्लेबाजों ने संघर्ष जरूर किया, लेकिन विदर्भ के गेंदबाजों ने उन्हें हावी नहीं होने दिया।

एक बार बढ़त मिलने के बाद, दूसरी पारी में विदर्भ ने समझदारी से खेल को नियंत्रित किया। उनके अनुभवी बल्लेबाजों ने संभलकर खेला और कोई जोखिम नहीं लिया। विदर्भ ने पांचवें दिन तक बल्लेबाजी जारी रखी, जिससे केरल को वापसी का कोई मौका नहीं मिला। 2 मार्च को जब मैच का नतीजा लगभग तय हो गया और केरल के पास कोई विकल्प नहीं बचा, तो कप्तान अक्षय वाडकर और केरल के कप्तान सचिन बेबी ने हाथ मिलाया, जिससे विदर्भ की जीत पक्की हो गई।

इसके साथ ही विदर्भ ने अपनी तीसरी रणजी ट्रॉफी जीतकर इतिहास में फिर से अपना नाम दर्ज करा लिया। कप्तान वाडकर की अगुआई में टीम ने एक चुनौतीपूर्ण सीजन के बाद सही समय पर बेहतरीन प्रदर्शन कर ट्रॉफी अपने नाम कर ली।

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प्रशंसकों ने इस प्रकार प्रतिक्रिया व्यक्त की:

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