• रोहित शर्मा ने इस आलोचना का जवाब दिया कि चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में भारत को सभी मैच दुबई में खेलने से कोई अनुचित फायदा मिला है।

  • रोहित ने इस तर्क के जवाब में जोर दिया कि टीम को बदलती पिच परिस्थितियों के अनुसार ढलने की जरूरत होती है।

रोहित शर्मा ने चैंपियंस ट्रॉफी में भारत को मिले फायदे पर दी सफाई, जानिए भारतीय कप्तान ने क्या कहा
रोहित शर्मा (फोटो: X)

भारतीय कप्तान रोहित शर्मा चैंपियंस ट्रॉफी के बीच एक नई बहस के केंद्र में आ गए हैं। आलोचकों का कहना है कि भारत को दुबई में अपने सभी ग्रुप ए मैच खेलने का “अनुचित फायदा” मिला है। हालांकि, रोहित ने इन आरोपों को सख्ती से खारिज किया है और अपनी टीम के सामने आने वाली चुनौतियों पर खुलकर बात की है।

भारत-दुबई विवाद: परिचय या पक्षपात?

ग्रुप स्टेज में भारत के शानदार प्रदर्शन—बांग्लादेश, पाकिस्तान और न्यूजीलैंड पर जीत—ने पूर्व क्रिकेटरों और विशेषज्ञों के बीच बहस छेड़ दी है। नासिर हुसैन और माइकल एथरटन जैसे दिग्गजों का मानना है कि पूरे टूर्नामेंट के दौरान दुबई में खेलने से भारत को परिस्थितियों के अनुरूप खुद को ढालने का बेहतर मौका मिला, जिससे उन्हें अन्य टीमों पर बढ़त मिली। पाकिस्तान के पूर्व खिलाड़ियों ने भी इसी तरह के आरोप लगाए और ICC पर पक्षपात का आरोप लगाया।

हुसैन ने स्काई स्पोर्ट्स पॉडकास्ट में कहा, “यह एक फायदा है। इसलिए, टूर्नामेंट की सर्वश्रेष्ठ टीम को यह फायदा मिला। मैंने एक ट्वीट देखा जिसमें लिखा था, ‘पाकिस्तान मेजबान देश है, भारत को घरेलू फायदा है।’ यही असली सच्चाई है।”

इस मुद्दे पर रोहित शर्मा की प्रतिक्रिया

रोहित ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और साफ कहा कि दुबई भारत का घरेलू मैदान नहीं है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम की पिचों की अनिश्चितता पर जोर दिया।

“हर मैच में पिच अलग तरह की चुनौती दे रही है। हमने यहाँ तीन मैच खेले हैं, और हर बार पिच का व्यवहार अलग रहा है। यह हमारा घरेलू मैदान नहीं है; यह दुबई है। हम यहाँ ज्यादा मैच नहीं खेलते, यह हमारे लिए भी नया है,” रोहित ने कहा।

उन्होंने यह भी समझाया कि भले ही पिच की प्रकृति एक जैसी दिखे, लेकिन हर मुकाबले में नई चुनौतियाँ पेश आती हैं। उदाहरण के लिए, न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच में गेंदबाजों को स्विंग मिली, जो पिछले मैचों में नहीं दिखी थी। रोहित का मानना है कि इस तरह की बदलाव वाली परिस्थितियाँ किसी भी कथित फायदे को खत्म कर देती हैं।

दुबई में अनुकूलन कारक

रोहित ने आगे जोर देकर कहा कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सफलता परिचितता के बजाय अनुकूलनशीलता पर निर्भर करती है। उन्होंने स्वीकार किया कि एक ही स्थान पर सभी मैच खेलने से यात्रा संबंधी व्यवधान समाप्त हो जाते हैं, लेकिन इससे जीत की गारंटी नहीं मिलती। उन्होंने कहा, ” यहां चार या पांच सतहों का उपयोग किया जा रहा है। मुझे नहीं पता कि सेमीफाइनल में किस पिच का उपयोग किया जाएगा। जो भी हो, हमें अनुकूलन करना होगा और देखना होगा कि क्या हो रहा है। ” भारत की तेजी से अनुकूलन करने की क्षमता अब तक उनके अभियान की पहचान रही है। टीम ने विभिन्न मैचों में लचीलापन और सामरिक लचीलापन दिखाया, चाहे स्पिन के अनुकूल परिस्थितियों का सामना करना हो या स्विंग के अनुकूल पिचों का।

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आलोचकों का दृष्टिकोण: रणनीतिक बढ़त

रोहित के दावों के बावजूद, आलोचकों की राय अब भी बदली नहीं है। उनका कहना है कि एक ही जगह पर लगातार खेलने से टीम को यात्रा की थकान से बचने और परिस्थितियों के अनुसार अपनी रणनीति तैयार करने का फायदा मिला। इसके विपरीत, अन्य टीमों को पाकिस्तान और दुबई के बीच सफर करना पड़ा, जिससे उनके लिए चुनौतियाँ बढ़ गईं।

यहाँ तक कि पाकिस्तान, जिसने पहले भी दुबई में खेला था, ने भारत के खिलाफ हार का सामना किया, लेकिन इससे यह बहस खत्म नहीं हुई कि भारत को फायदा मिला है। आलोचकों का मानना है कि सेमीफाइनल में भारत के प्रभावी प्रदर्शन से उनके इस कथित लाभ की पुष्टि होती है।

एथरटन ने नासिर के साथ पॉडकास्ट में कहा, “भारत को दुबई में खेलने का लाभ मिला है। यह भले ही सीधे नापा न जा सके, लेकिन यह एक बड़ा फायदा है… उन्हें अन्य टीमों की तरह जगह या देश बदलने की जरूरत नहीं पड़ी।”

हालांकि, यह भी सच है कि क्रिकेट में सफलता सिर्फ अनुकूल परिस्थितियों से नहीं मिलती। भारत का प्रदर्शन व्यक्तिगत प्रतिभा और टीम के सामूहिक प्रयासों पर भी आधारित है। रोहित शर्मा खुद शानदार फॉर्म में हैं और कप्तान के रूप में टीम को आत्मविश्वास से आगे बढ़ा रहे हैं। रोहित का मानना है कि सिर्फ मैदान की परिचित परिस्थितियाँ ही जीत की गारंटी नहीं होतीं। उन्होंने साफ कहा, “अंत में, जीतने के लिए आपको अच्छा क्रिकेट खेलना होगा।”

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