भारत जून 2025 में इंग्लैंड में शुरू होने वाली पांच टेस्ट मैचों की सीरीज़ की तैयारी कर रहा है। टीम के सामने एक अहम फैसला है – रवींद्र जडेजा के साथ किस स्पिन ऑलराउंडर को चुना जाए, खासकर जब रविचंद्रन अश्विन अब रिटायर हो चुके हैं।
इस भूमिका के लिए दो बड़े नाम सामने हैं – अक्षर पटेल और वाशिंगटन सुंदर। दोनों ही अच्छे और अलग तरह के खिलाड़ी हैं। यह लेख उनके टेस्ट अनुभव, हाल के प्रदर्शन, इंग्लैंड की पिचों पर असर और टीम की रणनीति में उनकी जगह को ध्यान में रखकर यह समझने की कोशिश करता है कि दौरे के लिए कौन बेहतर रहेगा।
अक्षर पटेल और वाशिंगटन सुंदर का टेस्ट रिकॉर्ड और अनुभव
अक्षर पटेल:
अक्षर ने अब तक 14 टेस्ट मैच खेले हैं, जो ज़्यादातर भारत की स्पिन वाली पिचों पर हुए हैं। उन्होंने इन मैचों में 19.34 की औसत से 55 विकेट लिए हैं और पाँच बार एक पारी में पाँच विकेट भी झटके हैं। उनकी बाएं हाथ की गेंदबाज़ी टर्न लेने वाली पिचों पर बहुत असरदार होती है। 2021 में इंग्लैंड के खिलाफ भारत में खेली गई सीरीज़ में उन्होंने तीन मैचों में 27 विकेट लिए थे, जो उनका सबसे बेहतरीन प्रदर्शन माना जाता है।
अक्षर की बल्लेबाज़ी को अक्सर कम आंका गया है, लेकिन उन्होंने 36 की औसत से 646 रन बनाए हैं, जिनमें चार अर्द्धशतक शामिल हैं। वह निचले क्रम में टीम को मजबूती देते हैं और ज़रूरत पड़ने पर टिककर पारी संभाल सकते हैं।
वाशिंगटन सुंदर:
सुंदर ने 9 टेस्ट खेले हैं और वे अभी कम अनुभव वाले खिलाड़ी हैं, लेकिन उनका प्रदर्शन उम्मीद जगाने वाला रहा है। उन्होंने अब तक 25.64 की औसत से 25 विकेट लिए हैं। टीम में सीनियर स्पिनरों के होने के कारण उन्हें ज्यादा गेंदबाज़ी का मौका नहीं मिला है।
उनकी बल्लेबाज़ी उनकी सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने 42.55 की शानदार औसत से 468 रन बनाए हैं, जिनमें चार अर्द्धशतक शामिल हैं। 2021 में इंग्लैंड के खिलाफ अहमदाबाद में उनकी नाबाद 96 रन की पारी यह दिखाती है कि वह दबाव में भी अच्छी बल्लेबाज़ी कर सकते हैं। हाल ही में उन्हें 2024 में न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट टीम में वापस शामिल किया गया, जिससे साफ है कि टीम उन्हें एक अहम ऑलराउंडर के रूप में देख रही है।
अक्षर पटेल और वाशिंगटन सुंदर का हालिया फॉर्म
अक्षर पटेल:
अक्षर ने सभी फॉर्मेट में अच्छा प्रदर्शन किया है। चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में उन्होंने कुछ अहम पारियां खेलीं और किफायती गेंदबाज़ी भी की। आईपीएल 2025 में भी उन्होंने अपने ऑलराउंड फॉर्म को बनाए रखा। लेकिन उनका आखिरी टेस्ट मैच फरवरी 2024 में हुआ था। इसके बाद बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 की टीम में उन्हें शामिल नहीं किया गया, जिससे यह सवाल उठा कि क्या चयनकर्ता विदेशी पिचों पर उन्हें भरोसेमंद मानते हैं।
अक्षर की गेंदबाज़ी आमतौर पर घूमने वाली भारतीय पिचों पर ज़्यादा असरदार होती है। वह तेज स्पिन के बजाय लाइन और लेंथ पर ज़्यादा निर्भर रहते हैं, जो इंग्लैंड की हरी और सीम वाली पिचों पर उतनी असरदार नहीं हो सकती।
वाशिंगटन सुंदर:
सुंदर ने हाल ही में टेस्ट क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन किया है। 2024 के रणजी ट्रॉफी में दिल्ली के खिलाफ उनकी 152 रन की पारी के बाद उन्हें न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट टीम में चुना गया, जहां उन्होंने बल्ले और गेंद दोनों से अच्छा खेल दिखाया।
बीजीटी 2024-25 में भी उन्होंने एक बल्लेबाज़ी ऑलराउंडर के रूप में अच्छा योगदान दिया। उनकी ऑफ स्पिन, जडेजा की लेफ्ट आर्म स्पिन के साथ एक अच्छा संतुलन बनाती है। सुंदर की खासियत यह है कि वह अनुशासन के साथ कसी हुई लाइन में गेंदबाज़ी करते हैं, जो इंग्लैंड जैसी जगहों पर ज़रूरी होता है, जहां स्पिनर आमतौर पर विकेट लेने के बजाय रन रोकने की भूमिका निभाते हैं।
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अंग्रेजी परिस्थितियों में दोनों खिलाड़ियों की उपयुक्तता
इंग्लैंड की पिचें शुरुआत में तेज़ गेंदबाज़ों को मदद देती हैं, जहाँ गेंद सीम और स्विंग करती है। लेकिन जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ता है, वैसे-वैसे स्पिन गेंदबाज़ों को भी मदद मिलने लगती है। वहां की पिचें उछाल और गति देती हैं, जिससे स्पिनरों को सही लाइन और लेंथ बनाए रखने में मुश्किल हो सकती है। भारत की योजना में जडेजा मुख्य स्पिनर होंगे। दूसरा स्पिनर उनकी मदद करेगा, कुछ ओवरों में नियंत्रण रखेगा और बल्लेबाज़ी में भी योगदान देगा।
अक्षर पटेल: अक्षर भी बाएं हाथ से स्पिन करते हैं, ठीक जडेजा की तरह। जब दोनों एक साथ खेलते हैं तो उनकी गेंदबाज़ी में ज़्यादा फर्क नहीं रहता, जिससे विविधता की कमी हो सकती है। अक्षर की गेंदें तेज़ और सीधी होती हैं, जो भारत में घूमती हुई पिचों पर असरदार होती हैं, लेकिन इंग्लैंड में, जहां पिच नई और घास वाली होती है, वहां उन्हें टर्न नहीं मिल पाता।
उनकी 2021 की इंग्लैंड के खिलाफ शानदार गेंदबाज़ी भारत में हुई थी, जो इंग्लैंड जैसी परिस्थितियों में शायद दोहराई न जा सके।
हालांकि, अक्षर की बल्लेबाज़ी मज़बूत है। वह नीचे के क्रम में टिक कर खेल सकते हैं और स्पिनरों पर अच्छे शॉट्स लगा सकते हैं। सीमिंग पिचों पर, जहां ऊपर के बल्लेबाज़ जल्दी आउट हो जाते हैं, वहां उनकी यह क्षमता फायदेमंद हो सकती है।
वाशिंगटन सुंदर: सुंदर की गेंदबाज़ी जडेजा से अलग है। उनकी ऑफ स्पिन जडेजा की लेफ्ट आर्म स्पिन के साथ अच्छा संतुलन बनाती है। सुंदर बहुत अनुशासन के साथ गेंदबाज़ी करते हैं और लंबे स्पैल डाल सकते हैं। इंग्लैंड में, जहां स्पिनरों का रोल विकेट लेना कम और रन रोकना ज़्यादा होता है, वहाँ सुंदर ज़्यादा काम के हो सकते हैं।
उनकी हाइट उन्हें अतिरिक्त उछाल भी दिलाती है, जिससे वह इंग्लैंड के दाएं हाथ के बल्लेबाज़ों – जैसे जो रूट और जैक क्रॉली – को परेशानी में डाल सकते हैं। सुंदर की बल्लेबाज़ी अक्षर से भी बेहतर मानी जाती है। उन्होंने कई बार संकट के समय लंबी पारियां खेली हैं। इंग्लैंड में, जहां निचले क्रम से रनों की ज़रूरत होती है, वहां सुंदर की यह योग्यता भारत के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकती है।
अक्षर पटेल और वाशिंगटन सुंदर में से कौन बेहतर विकल्प है?
इंग्लैंड दौरे के लिए भारत की संभावित टेस्ट टीम में जडेजा के साथ एक और स्पिन ऑलराउंडर और तीन तेज गेंदबाज़ शामिल किए जाएंगे। दूसरा स्पिनर ऐसा होना चाहिए जो गेंदबाज़ी के साथ-साथ बल्लेबाज़ी में भी योगदान दे सके, क्योंकि टीम का टॉप ऑर्डर यशस्वी जायसवाल और शुभमन गिल जैसे खिलाड़ियों पर निर्भर है। अश्विन की अनुपस्थिति में चयनकर्ताओं को अक्षर और सुंदर के बीच चुनाव करना होगा। अगर टीम अनुभव और आज़माए हुए विकल्प को तरजीह देती है तो अक्षर बेहतर विकल्प होंगे, जिन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ शानदार प्रदर्शन किया है और जरूरत पड़ने पर बल्ले से भी योगदान दे सकते हैं।
लेकिन अगर टीम लंबी अवधि की योजना, गेंदबाज़ी में विविधता और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में बल्लेबाज़ी के लचीलेपन को प्राथमिकता देती है तो सुंदर ज्यादा उपयुक्त साबित हो सकते हैं। उनकी ऑफ स्पिन गेंदबाज़ी और शांत बल्लेबाज़ी शैली इंग्लैंड जैसी परिस्थितियों में फायदेमंद हो सकती है। फिर भी, अक्षर को रिज़र्व स्पिनर के रूप में रखना एक व्यावहारिक विकल्प होगा, खासकर उन मैदानों पर जहां स्पिनरों को मदद मिलती है। यह फैसला इंग्लैंड में भारत की तीसरी टेस्ट सीरीज़ जीत की कोशिश में अहम भूमिका निभाएगा।