यह कहना गलत नहीं होगा कि जसप्रीत बुमराह हेडिंग्ले टेस्ट के दूसरे और तीसरे दिन सबसे बदकिस्मत गेंदबाजों में से एक रहे। उन्होंने शानदार गेंदबाज़ी की, लेकिन खराब फील्डिंग की वजह से उन्हें कई बार सफलता नहीं मिल पाई।
कई बार फील्डरों ने आसान कैच छोड़ दिए, और कुछ मौकों पर तो कैच लेने की कोशिश भी नहीं की गई। बुमराह ने पूरी कोशिश की, लेकिन उन्हें उनकी मेहनत का पूरा फल नहीं मिल सका।
जसप्रीत बुमराह ने फील्डिंग में चूक के बावजूद पांच विकेट चटकाए
फिर भी, बुमराह की शानदार गेंदबाज़ी जारी रही। भले ही उनकी गेंदों पर चार बार कैच छूटेतीन दूसरे दिन और एक तीसरे दिन, लेकिन उन्होंने हेडिंग्ले की मुश्किल पिच पर पांच विकेट लेकर अपनी क्लास दिखा दी। उनकी अनुशासित गेंदबाज़ी की वजह से भारत ने इंग्लैंड को 465 रन पर ऑल आउट किया, जिसके बाद भारतीय टीम ने दोबारा बल्लेबाज़ी शुरू की।
अगर ऐसा किसी और तेज़ गेंदबाज़ के साथ होता, तो वो शायद निराश हो जाता। लेकिन बुमराह ने फिर दिखा दिया कि वह क्यों सबसे अलग हैं। तीसरे दिन का खेल खत्म होने के बाद जब भारत का स्कोर 90/2 था और टीम को 96 रन की बढ़त मिल चुकी थी, तब बुमराह ने मीडिया से बात की। उन्होंने छूटे हुए कैचों को लेकर कोई गुस्सा नहीं दिखाया। इसके बजाय, उन्होंने बहुत समझदारी और शांत स्वभाव के साथ फील्डिंग की गलतियों पर बात की और यह साफ किया कि वह टीम की सोच और एकता को पहले रखते हैं।
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बुमराह ने अपनी गेंदबाजी से चूके मौकों पर दी प्रतिक्रिया
बुमराह ने माना कि जब कैच छूटते हैं तो थोड़ी देर के लिए परेशानी जरूर होती है, लेकिन उन्होंने ये भी साफ कहा कि ऐसे मौकों पर ज़्यादा ध्यान देने से बेहतर है कि खेल पर फोकस किया जाए। उनका नजरिया मानसिक मजबूती और अनुशासन पर टिका है जहाँ निराश होकर बैठने के बजाय आगे बढ़ना ज़रूरी होता है।
उन्होंने कहा, “हाँ, बस एक सेकंड के लिए (परेशानी होती है)। लेकिन आप बैठकर रो नहीं सकते, है न? आपको खेल के साथ आगे बढ़ना होता है। मैं कोशिश करता हूँ कि इस बात को ज़्यादा सोचूं नहीं और जल्दी भूल जाऊँ, क्योंकि हमारी टीम के कई खिलाड़ी अभी भी नए हैं।” बुमराह ने अपने साथियों के प्रति सहानुभूति भी दिखाई। उन्होंने समझाया कि गलती किसी से भी हो सकती है, खासकर जब खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में नए हों। उन्होंने कहा कि वह किसी पर गुस्सा करने या दबाव डालने के बजाय शांत रहना पसंद करते हैं।
“कभी-कभी गेंद को देखना मुश्किल होता है और कोई भी खिलाड़ी जानबूझकर कैच नहीं छोड़ता। हर कोई अपना पूरा प्रयास करता है। इसलिए मैं नहीं चाहता कि मैं कोई ऐसा व्यवहार करूं जिससे फील्डर पर और दबाव पड़े जैसे चिल्लाना, बॉक्स को लात मारना या गुस्से में कुछ करना।” बुमराह ने आगे कहा, “अगर कैच पहले पकड़ लिया जाता, तो अच्छा होता, लेकिन ऐसा होता है। लोग इन अनुभवों से सीखेंगे। यह खेल का हिस्सा है।” इस शांत और समझदार सोच से बुमराह ने एक बार फिर साबित किया कि वह न सिर्फ़ एक बेहतरीन गेंदबाज़ हैं, बल्कि एक सच्चे लीडर भी हैं।