राजस्थान रॉयल्स के प्रमुख मालिक मनोज बडाले और टीम के पूर्व सह-मालिक राज कुंद्रा के बीच पुराना विवाद अब एक हाई-प्रोफाइल कानूनी लड़ाई में बदल गया है। बडाले ने लंदन की उच्च न्यायालय में कुंद्रा पर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया है। यह मामला आईपीएल टीम में कुंद्रा की जब्त की गई हिस्सेदारी से जुड़ा है, जिसे 2015 के सट्टेबाजी विवाद के बाद हटा दिया गया था। इस केस ने एक बार फिर से उस पुराने विवाद को ताजा कर दिया है, जिसने उस समय टीम को विवादों में घेर लिया था।
मनोज बडाले और राज कुंद्रा के बीच विवाद की पृष्ठभूमि
लंदन के वेंचर कैपिटलिस्ट बडाले, जिनकी कंपनी इमर्जिंग मीडिया वेंचर्स के पास राजस्थान रॉयल्स में 65% हिस्सेदारी है, उन्होंने बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति कुंद्रा पर केस दर्ज किया है। बडाले का आरोप है कि कुंद्रा ने 2019 में किए गए एक गोपनीय समझौते का उल्लंघन किया है।
कुंद्रा को आईपीएल मैचों पर सट्टा लगाने का दोषी पाया गया था, जिसके बाद उन्हें टीम में अपनी 11.7% हिस्सेदारी छोड़नी पड़ी। इस घोटाले के चलते राजस्थान रॉयल्स को दो साल के लिए निलंबित भी कर दिया गया था। अब कुंद्रा का कहना है कि उन्हें इस मामले में गुमराह किया गया और उनके शेयरों की सही कीमत के बारे में धोखा दिया गया।
ब्लैकमेल के आरोप
इस कानूनी मामले ने उस वक्त बड़ा मोड़ ले लिया जब मनोज बडाले की कानूनी टीम, जिसकी अगुवाई एडम स्पीकर कर रहे हैं, ने आरोप लगाया कि राज कुंद्रा ने बडाले को ब्लैकमेल करने की कोशिश की। आरोप है कि कुंद्रा ने भारतीय अधिकारियों को गंभीर शिकायतें भेजने की धमकी दी थी।
अदालती दस्तावेजों के मुताबिक, कुंद्रा ने पिछले महीने बडाले को एक अनचाहा ईमेल भेजा, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें उनकी 11.7% हिस्सेदारी के सही मूल्य के बारे में गुमराह किया गया और धोखा दिया गया। उन्होंने ये भी दावा किया कि वह पहले ही इस मामले की शिकायत भारतीय अधिकारियों के पास दर्ज करवा चुके हैं। कुंद्रा ने आगे धमकी दी कि जब तक उनकी पुरानी हिस्सेदारी वापस नहीं दी जाती या टीम के मौजूदा मूल्य के हिसाब से उन्हें मुआवजा नहीं दिया जाता, तब तक वह यह मामला भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) तक ले जाएंगे।
उसी ईमेल में कुंद्रा ने ये भी कहा कि वह मुआवजे को लेकर बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन अगर कोई समाधान नहीं निकला तो वह राजस्थान रॉयल्स के एक बड़े प्रमोटर से जुड़ी कथित वित्तीय गड़बड़ियों और संदिग्ध लेनदेन के सबूत भी सार्वजनिक कर सकते हैं। इतना ही नहीं, सोशल मीडिया पर भी कुंद्रा ने टीम से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग और अपतटीय कंपनियों के जरिए किए गए लेनदेन को लेकर बड़े खुलासों के संकेत दिए हैं, जिससे राजस्थान रॉयल्स पर सार्वजनिक जांच का दबाव और बढ़ गया है।
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कानूनी कार्यवाही और प्रतिक्रियाएँ
बडाले की कानूनी टीम ने 30 मई को राज कुंद्रा के खिलाफ कोर्ट से अंतरिम रोक (निषेधाज्ञा) हासिल कर ली। इस आदेश के तहत कुंद्रा को 2019 के समझौते का उल्लंघन करने या बडाले और राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ कोई अपमानजनक टिप्पणी करने से रोक दिया गया है। अदालत में बडाले के वकील ने कहा कि कुंद्रा की धमकियां एक तरह की ब्लैकमेलिंग हैं, जिनका मकसद दबाव बनाकर अपने पक्ष में समझौता कराना था।
कुंद्रा की ओर से वकील विलियम मैककॉर्मिक ने दलील दी कि उनके मुवक्किल ने कोई गलत काम नहीं किया है। उनका कहना है कि उन्हें कुछ जानकारी दी गई है जो अगर गलत साबित होती है, तो समय के साथ सब सामने आ जाएगा। कुंद्रा की कानूनी टीम ने यह भी माना कि निषेधाज्ञा अंतिम सुनवाई तक लागू रहनी चाहिए, लेकिन यह किसी दोष को स्वीकार करने का संकेत नहीं है। इस मामले ने एक बार फिर आईपीएल टीमों के संचालन और पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर राजस्थान रॉयल्स की पुरानी विवादित छवि को देखते हुए। 2008 में पहला आईपीएल खिताब जीतने वाली यह टीम अब तक कई बार स्वामित्व और नियमों के पालन को लेकर विवादों में घिर चुकी है, भले ही आज यह लीग के सबसे मूल्यवान ब्रांड्स में से एक बन चुकी हो।