एजबेस्टन में एक अहम मुकाबले के लिए सब कुछ तैयार है, जहां भारत पांच टेस्ट मैचों की सीरीज़ के दूसरे मैच में इंग्लैंड से भिड़ेगा। हेडिंग्ले में हुए पहले टेस्ट में भारत ने अच्छी शुरुआत की थी, लेकिन मैच अपने हाथ से निकल जाने के बाद अब टीम बर्मिंघम आई है साफ इरादे के साथ सीरीज को बराबर करने के लिए।
दूसरी तरफ इंग्लैंड पहले टेस्ट में मिली रोमांचक जीत से आत्मविश्वास में है, लेकिन उन्हें भी अपनी लय बनाए रखने की ज़रूरत है। हेडिंग्ले टेस्ट बेहद रोमांचक रहा, जिसमें दोनों टीमों के बीच मुकाबला आगे-पीछे होता रहा और आखिर में इंग्लैंड ने जीत हासिल की। भारत अब अपनी पिछली गलतियों को सुधारने के लिए तैयार है खासकर उस बात को लेकर कि अच्छी शुरुआत के बावजूद वे मैच को खत्म नहीं कर सके, चाहे वह बल्लेबाज़ी हो या गेंदबाज़ी। अब सबकी निगाहें एजबेस्टन पर हैं, जो अपनी खास पिच और टॉस के बड़े असर के लिए जाना जाता है।
एजबेस्टन पिच रिपोर्ट
हेडिंग्ले की तरह ही एजबेस्टन की पिच भी ऐसे मैदान के तौर पर जानी जाती है, जहां गेंदबाज़ों को शुरुआत में मदद मिलती है, लेकिन जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ता है, पिच बल्लेबाज़ों के लिए आसान हो जाती है। खास बात यह है कि यहां अक्सर बाद में बल्लेबाज़ी करने वाली या लक्ष्य का पीछा करने वाली टीम को फायदा होता है। इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स भी यह मानते हैं कि यह मैदान आखिरी पारी में शानदार बल्लेबाज़ी का मौका देता है।
पिछले 10 टेस्ट मैचों में एजबेस्टन में पहली पारी का औसत स्कोर 334 रहा है। यह दिखाता है कि शुरुआत में गेंदबाज़ों को मदद जरूर मिलती है, लेकिन फिर भी बल्लेबाज़ अच्छा स्कोर बना सकते हैं। भारत को इस पिच का अनुभव 2022 में हो चुका है, जब इंग्लैंड ने यहां 378 रन का बड़ा लक्ष्य आसानी से हासिल कर लिया था। इससे साबित होता है कि यह पिच आखिरी पारी में भी बल्लेबाज़ी के लिए अनुकूल हो सकती है।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि एजबेस्टन में खेले गए पिछले चार टेस्ट मैचों में हर बार दूसरी पारी में बल्लेबाज़ी करने वाली टीम ही जीती है। इसका मतलब है कि जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ता है, पिच बल्लेबाज़ों के लिए बेहतर हो जाती है।
आजकल के इंग्लैंड के “बज़बॉल” अंदाज़ यानी आक्रामक और तेज़ क्रिकेट खेलने की शैली में टीम अक्सर पहले गेंदबाज़ी करना पसंद करती है, चाहे पिच थोड़ी मददगार क्यों न हो। ड्यूक बॉल जो पहले काफी स्विंग करती थी, अब उतनी असरदार नहीं रही है, जिससे पिच और ज्यादा बैटिंग फ्रेंडली लगने लगी है। ऐसे में, दूसरे टेस्ट में भी ऐसी ही पिच की उम्मीद की जा रही है जो पांच दिन में धीरे-धीरे बदलेगी और संतुलित चुनौती देगी।
भारत के लिए यह पिच बहुत अहम हो सकती है। अगर जसप्रीत बुमराह टीम में नहीं होते हैं, तो भारत पहले बल्लेबाज़ी करना चाहेगा ताकि एक बड़ा स्कोर बनाकर आखिरी पारी में इंग्लैंड को लक्ष्य का पीछा करने के लिए मजबूर किया जा सके। वहीं इंग्लैंड को अपने गहरी बल्लेबाज़ी लाइनअप और आक्रामक सोच पर पूरा भरोसा है कि वे किसी भी स्कोर का पीछा कर सकते हैं।
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एजबेस्टन में टॉस एक बड़ा फैक्टर
टेस्ट मैचों में टॉस का फैसला कई बार नतीजे को तय करने में अहम भूमिका निभाता है, और एजबेस्टन के इतिहास से भी यह बात साफ झलकती है। टॉस के फैसले और मैच के नतीजों का विश्लेषण करने से कुछ दिलचस्प बातें सामने आती हैं:
टॉस जीता और बल्लेबाजी का विकल्प चुना: एजबेस्टन में अब तक 40 टेस्ट मैचों में, पहले बल्लेबाज़ी करने वाली टीम को 13 बार जीत मिली, 11 मैच ड्रॉ रहे और 16 बार हार का सामना करना पड़ा। यह दिखाता है कि पहले बल्लेबाज़ी करने से जीत मिल सकती है, लेकिन यह कोई पक्का फायदा नहीं है, क्योंकि हार की संभावना ज़्यादा बार देखी गई है।
टॉस जीता और फील्डिंग का विकल्प चुना: एजबेस्टन में 16 बार जब टीमों ने पहले गेंदबाज़ी चुनी, तो उनमें से 7 बार जीत मिली, 4 मैच ड्रॉ रहे और 5 बार हार हुई। यह दिखाता है कि यहां पहले गेंदबाज़ी करने वाली टीमों का जीत प्रतिशत ज़्यादा रहा है। हाल के वर्षों में यहां लक्ष्य का पीछा करने वाली टीमों के जीतने का ट्रेंड रहा है। साथ ही, इंग्लैंड की ‘बज़बॉल’ रणनीति और आक्रामक खेल को देखते हुए, टॉस का फैसला काफी अहम और रोमांचक पल होगा। दोनों कप्तान पिच, मौसम और अपनी टीम की ताकत को देखते हुए इतिहास के आंकड़ों का भी ध्यान रखेंगे। भारत के कप्तान शुभमन गिल भी इस बार सही फैसला लेने और मैच में शुरुआत से बढ़त बनाने को लेकर उत्साहित और तैयार होंगे।