इंग्लिश काउंटी चैंपियनशिप को हमेशा से ऐसे अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के लिए एक बड़ी परीक्षा माना जाता है जो मुश्किल हालात में अपना खेल सुधारना चाहते हैं। इस बार दो युवा भारतीय बल्लेबाज़ ईशान किशन और तिलक वर्मा ने इन हालात में खुद को ढालकर शानदार प्रदर्शन किया है। इन दोनों ने न सिर्फ अपने बल्ले से कमाल दिखाया, बल्कि अपनी-अपनी टीमों को भी मजबूत किया है। उनके हालिया खेल ने दिखा दिया है कि वे आने वाले समय में भारतीय क्रिकेट के लिए कितने उपयोगी और उम्मीदों से भरे खिलाड़ी हो सकते हैं।
नॉटिंघमशायर के लिए ईशान किशन की शानदार पारी
नॉटिंघमशायर की तरफ से खेलते हुए किशन ने इंग्लिश काउंटी चैंपियनशिप में अपनी पहचान वाली आक्रामक बल्लेबाज़ी दिखाई। नंबर 6 पर बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने यॉर्कशायर के मज़बूत गेंदबाज़ों के खिलाफ सिर्फ 98 गेंदों में 87 रन ठोक डाले। इस पारी में उन्होंने 12 चौके और 1 छक्का लगाया।
किशन की यह पारी तब आई जब टीम 253/5 के मुश्किल हालात में थी। उन्होंने लियाम पैटरसन-व्हाइट के साथ मिलकर 71 रनों की अहम साझेदारी की, जिससे टीम को संभलने का मौका मिला। इस तेज़ पारी ने न सिर्फ टीम को पहली पारी में बढ़त दिलाई, बल्कि यह भी दिखाया कि किशन सिर्फ सफेद गेंद नहीं, बल्कि लाल गेंद वाले क्रिकेट में भी खुद को ढाल सकते हैं। हालांकि, किशन का इंग्लैंड दौरा छोटा रहा। उन्होंने सिर्फ दो मैच खेले लेकिन उनका प्रदर्शन शानदार और असरदार रहा। टेस्ट टीम में वापसी की कोशिश कर रहे किशन के लिए यह पारी सही समय पर आई है, खासकर जब घरेलू सीज़न पास आ रहा है।
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हैम्पशायर के मध्यक्रम में तिलक वर्मा का धैर्य और धैर्य
हैम्पशायर के लिए खेलते हुए तिलक ने भी शानदार प्रदर्शन किया, हालांकि उनका अंदाज़ थोड़ा पारंपरिक रहा। 22 साल के इस बाएं हाथ के बल्लेबाज़ ने एसेक्स के खिलाफ अपने डेब्यू मैच में 234 गेंदों पर नाबाद 98 रन बनाए। ये एक बेहद धैर्य भरी और परिपक्व पारी थी, जिससे पता चला कि वर्मा इंग्लैंड की कठिन परिस्थितियों में लंबी बल्लेबाज़ी कर सकते हैं।
इस पारी में उन्होंने 11 चौके और 3 छक्के लगाए, जो उनके अच्छे तकनीक और शांत स्वभाव का सबूत था। लियाम डॉसन के साथ उनकी साझेदारी ने हैम्पशायर को मज़बूत स्थिति में पहुंचाया। तीसरे दिन खेल शुरू होते ही वर्मा ने अपना पहला काउंटी शतक पूरा किया। इसके बाद भी वर्मा का शानदार प्रदर्शन जारी रहा। उन्होंने वॉर्सेस्टरशायर के खिलाफ 56 रन बनाए और कठिन हालात में अपनी टीम के लिए सबसे ज्यादा रन बनाए। भले ही हैम्पशायर की टीम 221 रन पर सिमट गई और उन्हें फॉलोऑन खेलना पड़ा, लेकिन वर्मा का संयम और जिम्मेदारी से खेलना साफ दिखा। चार मैचों के कॉन्ट्रैक्ट के साथ वर्मा के पास अच्छा मौका है कि वे चयनकर्ताओं को और प्रभावित करें और भारतीय टीम में अपनी दावेदारी और मज़बूत करें।