भारतीय क्रिकेट इतिहास में शुभमन गिल की यह पारी हमेशा याद रखी जाएगी। एजबेस्टन में इंग्लैंड के खिलाफ खेलते हुए गिल ने 269 रनों की जबरदस्त पारी खेली। इस पारी ने न केवल भारत को मजबूत स्थिति में पहुंचाया, बल्कि कई पुराने रिकॉर्ड भी तोड़ दिए।
गिल की यह पारी लचीलापन और दमदार शॉट्स का बेहतरीन मिश्रण थी। यह अब टेस्ट इतिहास में किसी भी भारतीय कप्तान का सबसे बड़ा स्कोर बन गया है। साथ ही, यह इंग्लैंड की धरती पर किसी भारतीय बल्लेबाज़ द्वारा खेली गई सबसे बड़ी पारी भी है। लेकिन इस शानदार प्रदर्शन के पीछे एक खास बात छिपी हुई है। मैच के बीच में गिल ने अपने पूर्व मेंटर और दिग्गज बल्लेबाज़ गौतम गंभीर से मिली एक सलाह को अहम बताया। उन्होंने माना कि गंभीर की उस छोटी सी सलाह ने उनका आत्मविश्वास बढ़ाया और उनका रवैया पूरी तरह बदल दिया। यही बदलाव उनके खेल में भी दिखा और उन्होंने इतिहास रच दिया।
गौतम गंभीर की ओर से शुभमन गिल के लिए मध्य पारी में महत्वपूर्ण सलाह
गिल की रिकॉर्डतोड़ पारी की शुरुआत आसान नहीं थी। पहले दिन जब उन्होंने बल्लेबाज़ी शुरू की, तो वो अपनी लय में नहीं दिखे। इंग्लैंड के गेंदबाज़ों और कड़ी फील्डिंग के सामने उनके फेमस ड्राइव और कट शॉट बार-बार फील्डरों के पास जा रहे थे। चाय के समय तक उन्होंने लगभग 100 गेंदें खेलीं, लेकिन स्कोर सिर्फ 35-40 रन तक ही पहुंचा।
गिल ने बाद में स्वीकार किया कि वो इस दौरान काफी निराश हो गए थे। इसी समय उन्होंने टीम के हेड कोच गौतम गंभीर से बात की। गिल ने कहा, “जब मैं चाय के समय ड्रेसिंग रूम गया, तो मैंने गंभीर भैया से कहा कि मैं बाउंड्री नहीं निकाल पा रहा हूं, हर शॉट सीधे फील्डर के पास जा रहा है।”
गंभीर का जवाब बहुत सीधा और सधा हुआ था “धैर्य रखो।” उन्होंने गिल से कहा कि अगर वो अपनी प्रक्रिया पर टिके रहते हैं और घबराए बिना खेलते हैं, तो रन अपने आप आने लगेंगे। गंभीर की यही सीधी बात गिल के लिए प्रेरणा बन गई। उन्होंने खुद को शांत रखा, और इसके बाद जो हुआ, वो इतिहास बन गया – 269 रनों की शानदार पारी।
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शुभमन गिल ने टेस्ट क्रिकेट में हासिल की ऐतिहासिक उपलब्धि
गंभीर की बातों का गिल पर गहरा असर हुआ। उनकी सलाह ने गिल को एक जरूरी मानसिक रीसेट दिया। “लगातार प्रयास करते रहो” इस एक लाइन ने गिल का ध्यान उस निराशा से हटाया जो बार-बार फील्डर को गेंद मारने से हो रही थी। अब उनका फोकस बाउंड्री की जगह लंबी पारी खेलने और बड़े लक्ष्य की ओर हो गया। टेस्ट क्रिकेट में धैर्य की अहमियत बहुत होती है, और गंभीर की बात ने गिल को यही याद दिलाया। चाय के बाद, गिल का खेल ही बदल गया। अब वो चिंता में नहीं दिखे। उन्होंने धैर्य से खेलते हुए अपने पसंदीदा शॉट्स लगाने शुरू किए। जो गेंदें पहले फील्डर के पास जा रही थीं, अब वो बाउंड्री पार करने लगीं।
गिल ने अपने खेल पर भरोसा बनाए रखा और मौके का इंतज़ार किया। नतीजा एक शानदार पारी जो 269 रन पर जाकर रुकी। यह पारी न केवल भारतीय टेस्ट कप्तानों का अब तक का सबसे बड़ा स्कोर बनी, बल्कि इंग्लैंड की धरती पर किसी भी भारतीय बल्लेबाज़ का सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर भी बन गई। गिल की यह उपलब्धि इस बात का उदाहरण है कि मानसिक ताकत, सही सलाह और धैर्य मिलकर इतिहास रच सकते हैं।