इंग्लैंड और भारत के बीच चल रही टेस्ट सीरीज़ में एक अलग ही चीज़ देखने को मिल रही है ड्यूक गेंद को लेकर बार-बार शिकायतें हो रही हैं। अब तक हेडिंग्ले, एजबेस्टन और लॉर्ड्स में खेले गए तीनों मैचों में, दोनों टीमों के गेंदबाज़ कई बार अंपायरों से गेंद बदलने की मांग कर चुके हैं।
यह सिलसिला इतना बढ़ गया है कि फैंस और क्रिकेट जानकारों के बीच इस पर चर्चा शुरू हो गई है। कई बार खिलाड़ी मैदान पर कुछ ही ओवरों के अंदर गेंद को घिसा हुआ या उसका आकार बिगड़ा हुआ बताकर अंपायरों को दिखा रहे हैं। ड्यूक गेंद, जो आमतौर पर इंग्लैंड की पिचों पर अच्छी सीम और स्विंग देती है, इस बार उतनी असरदार नहीं दिख रही। इसी वजह से गेंदबाज़ काफी परेशान नजर आ रहे हैं। उन्हें मैच के अहम समय में भी गेंद की हालत को लेकर चिंता करते हुए देखा गया है।
एलेस्टेयर कुक ने गेंदबाजों की लगातार शिकायत का मजाक उड़ाया
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान एलेस्टेयर कुक ने भी गेंदबाज़ों की बार-बार की जा रही शिकायतों पर मज़ाकिया अंदाज़ में प्रतिक्रिया दी। बीबीसी पर ईसा गुहा के साथ बातचीत में कुक ने कहा कि गेंदबाज़ अक्सर जब चीजें उनके पक्ष में नहीं होतीं, तो तुरंत गेंद को दोष देने लगते हैं।
कुक ने मज़ाक में कहा, “मुझे यह देखकर मज़ा आता है कि गेंदबाज़ हमेशा शिकायत करते रहते हैं। जैसे उन्होंने कोई खराब गेंद फेंकी हो और वो कभी उनकी गलती नहीं होती। वो पिच पर पैरों के निशान को भी खुरच देते हैं और जब कुछ ठीक नहीं चलता, तो तुरंत गेंद को देखते हैं और उसके आकार को दोष देने लगते हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि गेंद की हालत बल्लेबाजों को भी प्रभावित करती है। कुक बोले, “एक बल्लेबाज हमेशा थोड़ी कड़ी (नई) गेंद को हिट करना पसंद करता है। इससे ज़्यादा निराशा तब होती है जब आप एक शानदार कवर ड्राइव खेलें और गेंद कहीं जाए ही नहीं।”
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क्या ड्यूक्स गेंदों की गुणवत्ता में गिरावट आ रही है?
इस विवाद के बाद ड्यूक्स गेंद की घटती गुणवत्ता को लेकर फिर से चर्चा शुरू हो गई है। इंग्लैंड की पिचों पर तेज़ गेंदबाज़ों के लिए ड्यूक्स गेंद हमेशा मददगार मानी जाती थी, लेकिन इस सीरीज़ में यह अपनी पुरानी उम्मीदों पर खरी नहीं उतर रही है।
अब रिटायर हो चुके अनुभवी गेंदबाज़ स्टुअर्ट ब्रॉड ने भी सवाल उठाए हैं कि कहीं ड्यूक्स ने गेंद की गुणवत्ता से समझौता तो नहीं किया। वहीं सोशल मीडिया पर कई फैंस ने यह तक कह दिया कि शायद गेंद को इंग्लैंड की नई “बाज़बॉल” यानी आक्रामक बल्लेबाज़ी शैली के हिसाब से बदला गया हो। भले ही इन बातों में सच्चाई हो या नहीं, लेकिन एक बात साफ है ड्यूक्स गेंद अब वैसी असरदार नहीं रही जैसी पहले हुआ करती थी। गेंदबाज़ों को अब उतना स्विंग और नियंत्रण नहीं मिल रहा, जो इसे कभी मैच जिताने वाला हथियार बनाता था।