• संजय मांजरेकर ने इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट में भारत की दिल तोड़ने वाली हार के बाद शुभमन गिल के मैदान पर आचरण पर सवाल उठाए हैं।

  • दोनों टीमों के बीच आगामी चौथा टेस्ट मैच 23 जुलाई से मैनचेस्टर में शुरू होगा।

ENG vs IND: लॉर्ड्स में हार के बाद संजय मांजरेकर ने शुभमन गिल की स्लेजिंग पर उठाए सवाल
शुभमन गिल पर संजय मांजरेकर (फोटो: एक्स)

पूर्व भारतीय बल्लेबाज़ संजय मांजरेकर ने लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट में मिली करारी हार के बाद शुभमन गिल के मैदान पर किए गए व्यवहार पर सवाल उठाए हैं। 25 साल के कप्तान गिल, जो पहले दो टेस्ट में शानदार फॉर्म में थे, मैच के दौरान इंग्लैंड के बल्लेबाज़ जैक क्रॉली से बहस में उलझ गए। इसका असर उनके खेल पर भी पड़ा और अगली सुबह वह दूसरी पारी में सिर्फ 6 रन बनाकर आउट हो गए। भारत यह टेस्ट 22 रन से हार गया और अब पाँच मैचों की सीरीज़ में 1-2 से पीछे चल रहा है।

संजय मांजरेकर ने विराट कोहली और शुभमन गिल के स्लेजिंग गेम की तुलना की

ईएसपीएनक्रिकइन्फो के “मैच डे” शो में बात करते हुए, मांजरेकर ने कहा कि जहाँ विराट कोहली मैदान पर टकराव को अपने खेल का हिस्सा बनाकर बेहतर खेलते थे, वहीं गिल पर ऐसा असर नहीं दिखा। मांजरेकर ने कहा, “कोहली जब गुस्से में आते थे या बहस होती थी, तो वो और अच्छा खेलते थे। लेकिन गिल का रिएक्शन अलग था। ऐसा लगा कि उन्हें इस बहस से कोई फायदा नहीं हुआ, बल्कि वो अस्थिर हो गए। इससे मुझे हैरानी हुई कि गिल किस रास्ते पर जा रहे हैं, क्योंकि इस तरह की आक्रामकता से उनका बेस्ट गेम नहीं निकल पाया। ऐसा लगा जैसे वो घबरा गए हों।”

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अचानक आक्रामकता गिल के स्वाभाविक खेल के अनुकूल नहीं हो सकती

मांजरेकर ने कहा कि गिल कभी ऐसे खिलाड़ी नहीं लगे जो मैदान पर बहस या जुबानी जंग से फायदा उठाते हों। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या हाल की कप्तानी और लगातार मिली सफलता ने गिल को ज़रूरत से ज़्यादा खुद को साबित करने के लिए मजबूर कर दिया है। मांजरेकर ने कहा, “अगर गिल सच में स्वभाव से आक्रामक होते, तो हमें ये पहले ही उनके खेल में दिखता। कोहली हमेशा लड़ाई के लिए तैयार रहते थे, यहाँ तक कि कप्तान बनने से पहले भी। लेकिन गिल के मामले में ये नया लगता है, शायद इसकी वजह हाल की सफलता या कप्तानी की ज़िम्मेदारी हो सकती है।”

गिल ने लॉर्ड्स टेस्ट में ज़बरदस्त फॉर्म दिखाया था और अब तक सिर्फ पाँच पारियों में 485 रन बना चुके हैं। लेकिन दूसरी पारी में हालात मुश्किल थे नई गेंद थी और पिच तेज गेंदबाज़ों के लिए मददगार। मांजरेकर का मानना है कि गिल की स्लेजिंग यानी जुबानी लड़ाई ने उन पर ज़रूरत से ज़्यादा दबाव डाल दिया। उन्होंने कहा, “गिल ने ग़लत समय पर ध्यान अपनी ओर खींचा। यह वैसी पारी नहीं थी जैसी पहले खेली गई थीं, जब गेंद पुरानी और पिच आसान होती थी। यह असली परीक्षा थीधैर्य और तकनीक की।”

अब चौथे टेस्ट से पहले कुछ दिन का समय है। मांजरेकर ने कहा कि गिल के पास अब खुद को मानसिक और तकनीकी रूप से तैयार करने का अच्छा मौका है। उन्होंने कहा, “ये आठ दिन का ब्रेक एकदम सही समय पर आया है। उनके पास अच्छे लोग हैं, खासकर उनके पिता, जिन्होंने उनकी क्रिकेट में बड़ी भूमिका निभाई है। गिल को कोहली या धोनी जैसा बनने की ज़रूरत नहीं है। उन्हें खुद तय करना होगा कि वे क्या बनना चाहते हैंऔर ध्यान देना होगा कि कप्तानी उनकी बल्लेबाज़ी को बेहतर बनाए, ना कि उसे नुकसान पहुँचाए।”

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