• इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर टेस्ट में भारत की गेंदबाजी में एक बड़ा बदलाव टीम की वापसी की कुंजी बन सकता है।

  • इंग्लैंड और भारत के बीच चौथा टेस्ट मैच 23 जुलाई से ओल्ड ट्रैफर्ड में खेला जाएगा।

ENG vs IND: 3 बड़े कारण क्यों चौथे टेस्ट में वाशिंगटन सुंदर नहीं, कुलदीप यादव हैं सही चॉइस
Kuldeep Yadav and Washington Sundar (Image Source: X)

इंग्लैंड दौरे पर टीम इंडिया (ENG vs IND) का टेस्ट सफर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। अब सीरीज़ का चौथा और बेहद अहम मुकाबला मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड में खेला जाएगा, जहां भारत 2-1 से पीछे है। ऐसे में सीरीज़ में बने रहने के लिए यह मैच जीतना बेहद जरूरी हो गया है।

इसी बीच एक चर्चा जो सबसे ज़्यादा ज़ोर पकड़ रही है – वाशिंगटन सुंदर या कुलदीप यादव? क्या इस अहम मुकाबले में टीम इंडिया को बाएं हाथ के कलाई स्पिनर कुलदीप यादव को मौका देना चाहिए? आइए जानते हैं कि चौथे टेस्ट में कुलदीप को प्लेइंग-XI में क्यों शामिल किया जाना चाहिए।

चौथे टेस्ट में वॉशिंगटन सुंदर की जगह कुलदीप यादव को खिलाने के 3 प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:

1. स्पिनरों के लिए ओल्ड ट्रैफर्ड की सहायता

ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान स्पिन गेंदबाज़ों की मदद के लिए जाना जाता है, खासकर जब मैच अपने आखिरी दिनों में पहुंचता है। शुरू में पिच तेज़ गेंदबाज़ों को थोड़ा उछाल देती है, लेकिन चौथे दिन तक यहां अच्छी टर्न और ग्रिप मिलती है।

हाल के मैचों ने दिखाया है कि ऐसे समय में एक अच्छे स्पिनर की कितनी अहमियत होती है। कुलदीप यादव, जो तेज़ टर्न और चकमा देने वाली गेंदों के लिए जाने जाते हैं, ऐसी पिचों पर टीम के लिए बड़ी ताकत साबित हो सकते हैं। कई पूर्व चयनकर्ता और क्रिकेट एक्सपर्ट मानते हैं कि कुलदीप की गेंदबाज़ी ओल्ड ट्रैफर्ड जैसी पिचों के लिए बेहद असरदार है।

उंगलियों से स्पिन कराने वाले गेंदबाज़ हमेशा कामयाब नहीं होते, खासकर जब विकेट निकालने की ज़रूरत हो। ऐसे में कुलदीप जैसे आक्रामक कलाई के स्पिनर गेम का रुख बदल सकते हैं।

2. कलाई के स्पिनर के रूप में अधिक विविधता

कुलदीप यादव अपनी बाएं हाथ की कलाई की स्पिन से टीम इंडिया के गेंदबाज़ी आक्रमण में एक अलग और दुर्लभ धार लाते हैं। जहां ज़्यादातर फिंगर स्पिनर एक ही दिशा में गेंद घुमाते हैं, वहीं कुलदीप दोनों तरफ स्पिन कर सकते हैं। उनकी गुगली बल्लेबाज़ों को चकमा देने में बेहद असरदार होती है, और उनके पास ऐसा कौशल है जो इंग्लिश बल्लेबाज़ों को काउंटी या इंटरनेशनल क्रिकेट में आमतौर पर देखने को नहीं मिलता।

उनका गेंद को हवा में उड़ाना और अजीब एंगल से डालना बल्लेबाज़ों को बड़े शॉट खेलने के लिए उकसाता है, जिससे वे रक्षात्मक रहते हुए भी गलती कर बैठते हैं। जहां विपक्षी टीमें वाशिंगटन सुंदर जैसे गेंदबाज़ों के खिलाफ पहले से योजना बनाकर आती हैं, वहीं कुलदीप की अप्रत्याशित गेंदबाज़ी और आक्रामक सोच भारत को विकेट निकालने का बेहतरीन विकल्प देती है।

कई बार ऐसे करीबी मुकाबलों में, जहां छोटी-छोटी चीजें अंतर बनाती हैं, वहां कुलदीप जैसे गेंदबाज़ अपने वैरायटी और अटैकिंग अप्रोच से मैच का रुख बदल सकते हैं। इसलिए, जिस पिच पर टर्न मिलने की उम्मीद हो, वहां वो साझेदारियां तोड़ने के लिए एकदम फिट बैठते हैं।

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3. महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय अनुभव

कुलदीप यादव का अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड, खासकर सफेद गेंद क्रिकेट में, वाशिंगटन सुंदर से कहीं ज्यादा प्रभावशाली रहा है। हालांकि टेस्ट क्रिकेट में उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिले क्योंकि जडेजा और अश्विन जैसे दिग्गज पहले से टीम में मौजूद हैं, लेकिन जब भी मौका मिला, उन्होंने अपने प्रदर्शन से खुद को साबित किया है।

कुलदीप का टेस्ट गेंदबाजी औसत सिर्फ 22 है, जो दिखाता है कि वो विकेट लेने में कितने असरदार हैं, जबकि सुंदर का स्टाइल थोड़ा ज्यादा संयमित और रक्षात्मक है। इंग्लैंड के खिलाफ भी कुलदीप का रिकॉर्ड शानदार रहा है — उन्होंने सिर्फ छह टेस्ट में 21 विकेट चटकाए हैं, जिसमें 2024 में लिया गया एक मैच जिताऊ पांच विकेट हॉल भी शामिल है।

इसके अलावा, सफेद गेंद क्रिकेट में इंग्लैंड की पिचों पर खेलने का जो अनुभव उनके पास है, वो उन्हें मुश्किल हालात में भी शांत और भरोसेमंद बनाता है। ओल्ड ट्रैफर्ड जैसे हाई-प्रेशर मुकाबले में भारत को एक ऐसे ही अनुभवी और आक्रमणकारी गेंदबाज़ की ज़रूरत है – और कुलदीप उस भूमिका में बिल्कुल फिट बैठते हैं।

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लेखक के बारे में:
टी-20 के दौर में टेस्ट के दीवाने.. विराट कोहली के बड़े प्रशंसक...बाकी स्पोर्ट्स जर्नलिज्म के बारीकियों को समझने समझाने में व्यस्त।अभिनय से संपर्क करने के लिए abhinay.pratap@crickettimes.com पर ईमेल करें।