मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड में भारत और इंग्लैंड के बीच होने वाला चौथा टेस्ट मैच भारतीय टीम के लिए बहुत ही अहम होगा। भारत अभी पाँच टेस्ट मैचों की सीरीज़ में 2-1 से पीछे है, इसलिए यह मुकाबला उसके लिए करो या मरो जैसा है। यह मैच बुधवार, 23 जुलाई से शुरू होगा और दोनों टीमों की रणनीति और जुझारूपन की असली परीक्षा होगी।
चौथे टेस्ट से पहले भारत पर दबाव, ओल्ड ट्रैफर्ड में खराब रिकॉर्ड और चोटों ने बढ़ाई चिंता
भारत पर चौथे टेस्ट से पहले जबरदस्त दबाव है। तीसरे टेस्ट में लॉर्ड्स में 22 रन से हार झेलने के बाद टीम सीरीज़ में 2-1 से पीछे है। अब मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर भारत की परीक्षा और भी कठिन होगी, क्योंकि इस मैदान पर उनका रिकॉर्ड बेहद खराब रहा है। भारत ने यहां खेले गए 9 टेस्ट में से 4 हारे हैं और एक भी जीत हासिल नहीं की है, जबकि 5 मुकाबले ड्रॉ रहे हैं। 2014 में यहां एमएस धोनी की कप्तानी में भारत को करारी हार मिली थी।
हालात और भी मुश्किल हो गए हैं क्योंकि भारतीय टीम चोटों से जूझ रही है। ऑलराउंडर नितीश रेड्डी बाएं घुटने की चोट के कारण सीरीज़ से बाहर हो गए हैं। साथ ही, युवा तेज़ गेंदबाज़ अर्शदीप सिंह को नेट्स पर अभ्यास के दौरान अंगूठे में चोट लग गई, जिससे वे भी चौथा टेस्ट नहीं खेल पाएंगे। तेज़ गेंदबाज़ आकाश दीप की पीठ में लगातार दर्द है, जिससे उनकी उपलब्धता भी संदिग्ध बनी हुई है। इन सभी कारणों से भारत की टीम के सामने ओल्ड ट्रैफर्ड में जीत दर्ज करना बड़ी चुनौती होगी।
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चौथे इंग्लैंड बनाम भारत टेस्ट से पहले मैनचेस्टर पिच पर पहली नज़र
मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड में भारत और इंग्लैंड के बीच होने वाले चौथे टेस्ट की पिच की पहली झलक सामने आ गई है। पिच पर हल्की घास दिख रही है और आउटफील्ड नम है, जो हाल की लगातार बारिश के कारण हुआ है। इससे साफ है कि तेज़ गेंदबाज़ों को स्विंग और सीम मूवमेंट से काफी मदद मिल सकती है, खासकर मैनचेस्टर के बादलों वाले मौसम में।
नमी से ना सिर्फ गेंदबाज़ी आसान हो सकती है, बल्कि फील्डिंग में भी मुश्किलें आ सकती हैं। गीली आउटफील्ड गेंद की रफ्तार को धीमा कर सकती है, जिससे फील्डर्स को ज्यादा सतर्क और फुर्तीला होना पड़ेगा। हालाँकि, ओल्ड ट्रैफर्ड की पिचें पहले तेज और उछाल के लिए जानी जाती थीं, लेकिन पिछले कुछ सालों में यह थोड़ा धीमी और बल्लेबाज़ों के अनुकूल भी हो गई हैं। फिर भी, इस बार घास और नमी के कारण शुरुआत में बल्लेबाज़ों को संभलकर खेलना होगा। कुल मिलाकर, इस पिच पर गेंद और बल्ले के बीच अच्छा मुकाबला देखने को मिल सकता है, लेकिन शुरुआती सत्र तेज़ गेंदबाज़ों के लिए काफी असरदार साबित हो सकते हैं।