• भारतीय क्रिकेटर रोहित शर्मा की पत्नी रितिका सजदेह ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देश का कड़ा विरोध किया है।

  • हालांकि उनकी पोस्ट ने कई पशु प्रेमियों और कार्यकर्ताओं को प्रभावित किया, लेकिन सार्वजनिक सुरक्षा कारणों से अदालत के आदेश का समर्थन करने वालों की ओर से इसकी आलोचना भी हुई।

दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना करने पर रोहित शर्मा की पत्नी रितिका पर सोशल मीडिया यूजर्स ने निशाना साधा
रितिका सजदेह (फोटो: एक्स)

भारतीय क्रिकेटर रोहित शर्मा की पत्नी रितिका सजदेह ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हाल के फैसले का जोरदार विरोध किया है। उनकी भावुक और कविता जैसी सोशल मीडिया पोस्ट ने लोगों का ध्यान खींचा और इस मुद्दे को सिर्फ़ सुरक्षा नहीं, बल्कि दया से जुड़ा मामला बताया। उनकी राय नगर निगम के नजरिए से अलग है और इसने लोगों को इस जटिल मुद्दे पर सोचने को मजबूर कर दिया कि इसमें इंसानियत और संतुलन कैसे लाया जाए।

रितिका सजदेह ने सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों पर फैसले को बताया गलत, भावुक पोस्ट में दी कड़ी प्रतिक्रिया

रोहित की पत्नी रितिका ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश पर अपनी भावनाएं जाहिर की हैं, जिसमें नगर निकायों को सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में भेजने को कहा गया है। रितिका ने इस आदेश को दिल से न मानने वाला और निष्ठुर बताया।

उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट की शुरुआत एक भावुक पंक्ति से की “वे इसे ख़तरा कहते हैं। हम इसे दिल की धड़कन कहते हैं।” उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ये आवारा कुत्ते शहर के जीवन का हिस्सा हैं। उन्होंने लिखा कि ये वही कुत्ते हैं जो दुकानों की रखवाली करते हैं, रात में पहरा देते हैं और बच्चों के स्कूल से लौटने पर पूँछ हिलाकर उनका स्वागत करते हैं।

रितिका ने इन जानवरों को बिना धूप, आज़ादी और परिचित चेहरों से दूर बंद करने के विचार को अमानवीय बताया। उन्होंने इसे एक पूरे समुदाय के “विनाश” जैसा करार दिया। उनका यह नजरिया दिल्ली के मेयर राजा इकबाल सिंह जैसे अधिकारियों की सोच से बिल्कुल अलग है, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन किया है और कहा कि लोग “आवारा कुत्तों से परेशान” हो चुके हैं। उनके अनुसार यह फैसला जन सुरक्षा के लिए ज़रूरी है। रितिका की पोस्ट ने इस संवेदनशील मुद्दे पर करुणा और व्यावहारिकता के बीच बहस को एक नई दिशा दी है।

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रितिका आवारा कुत्तों के लिए मानवीय और स्थायी समाधान की वकालत करती हैं

रितिका सजदेह ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश पर भावुक प्रतिक्रिया दी जिसमें आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में भेजने की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि काटने और जन सुरक्षा की चिंताओं को नकारा नहीं जा सकता, लेकिन इसका हल इन बेज़ुबान जानवरों को कैद करना नहीं है। उन्होंने नसबंदी, टीकाकरण, सामुदायिक भोजन केंद्र और गोद लेने जैसे मानवीय और दीर्घकालिक समाधान सुझाए। रितिका ने चेतावनी दी कि जो समाज अपने सबसे कमजोर और बेज़ुबान सदस्यों की रक्षा नहीं कर सकता, वह अपनी आत्मा खो देता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे इन कुत्तों के लिए आवाज़ उठाएं और सवाल किया, “आज कुत्ते हैं, कल कौन होगा?”, जिससे यह मुद्दा केवल कानून या व्यवस्था का नहीं, बल्कि करुणा और इंसानियत का बन जाता है।

प्रशंसकों ने इस प्रकार प्रतिक्रिया व्यक्त की:

रितिका की पोस्ट दिल्ली-एनसीआर के नगर निकायों को आवारा कुत्तों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की एक गंभीर आलोचना थी। उन्होंने तर्क दिया कि इसका समाधान नसबंदी और टीकाकरण जैसी मानवीय, दीर्घकालिक रणनीतियों में होना चाहिए, न कि जानवरों के एक पूरे समुदाय को ‘ मिटा’ देना । उन्होंने आवारा कुत्तों को रोज़मर्रा की ज़िंदगी में एक परिचित और प्रिय उपस्थिति बताया, और उन्हें एक ख़तरा नहीं, बल्कि “दिल की धड़कन” बताया। हालाँकि उनकी पोस्ट ने कई पशु प्रेमियों और कार्यकर्ताओं को प्रभावित किया, लेकिन जन सुरक्षा के मद्देनज़र अदालत के आदेश का समर्थन करने वालों ने भी इसकी आलोचना की।

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श्रेणी:: ट्विटर प्रतिक्रियाएं फीचर्ड रोहित शर्मा

लेखक के बारे में:
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