एशिया कप 2025 जैसे-जैसे करीब आ रहा है, भारतीय चयनकर्ताओं के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है रिजर्व ओपनर के रूप में किसे चुना जाए: यशस्वी जायसवाल या शुभमन गिल? इस फैसले ने क्रिकेट फैन्स और एक्सपर्ट्स के बीच बहस छेड़ दी है। दोनों ही युवा बल्लेबाज़ों ने हाल के समय में शानदार प्रदर्शन किया है। लेकिन जब संजू सैमसन और अभिषेक शर्मा के ओपनिंग करने की उम्मीद है, तो तीसरे ओपनर की जगह अब खास चर्चा का विषय बन गई है।
यशस्वी जायसवाल का उदय: टीम संतुलन के लिए बाएं हाथ का विकल्प
जायसवाल पिछले दो सालों में भारतीय क्रिकेट की सबसे कामयाब कहानियों में से एक रहे हैं। यह बाएं हाथ का ओपनर अपनी निडर बल्लेबाज़ी और तेज़ व स्पिन दोनों तरह की गेंदबाज़ी पर हावी होने की क्षमता के लिए जाना जाता है। उन्होंने विदेशी टेस्ट मैचों में कुछ यादगार पारियां खेली हैं और आईपीएल में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर यह साबित किया है कि वह हर फॉर्मेट में लंबे समय तक खेलने की काबिलियत रखते हैं।
जायसवाल की सबसे बड़ी ताकतों में से एक उनका बाएं हाथ का बल्लेबाज़ होना भी है। भारत का टॉप ऑर्डर आमतौर पर संजू सैमसन, सूर्यकुमार यादव और हार्दिक पंड्या जैसे दाएं हाथ के खिलाड़ियों पर निर्भर रहा है। ऐसे में जायसवाल की मौजूदगी बल्लेबाज़ी क्रम में विविधता लाती है और विरोधी गेंदबाज़ों के लिए मुश्किलें खड़ी करती है, खासकर वो गेंदबाज़ जो एक ही एंगल से गेंदबाज़ी करना पसंद करते हैं। इसके अलावा एशियाई पिचों पर उनका खेल और पावरप्ले में तेज़ शुरुआत करने की उनकी क्षमता, भारत के लिए मैच का रुख तय करने में अहम हो सकती है। अगर टीम बाएं-दाएं बल्लेबाज़ों का कॉम्बिनेशन चाहती है, तो जायसवाल एक बेहतरीन विकल्प बनते हैं।
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शुभमन गिल का अनुभव और निरंतरता उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाती है
दूसरी तरफ, गिल अनुभव, संयम और हर फॉर्मेट में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के लिए जाने जाते हैं। उन्हें भारतीय क्रिकेट का “अगला बड़ा सितारा” कहा जाता है और वे पहले ही कई अहम टूर्नामेंट और सीरीज़ में ज़रूरी पारियां खेल चुके हैं। पिछले दो सालों में गिल ने सभी फॉर्मेट में कई शानदार शतक लगाए हैं, जो उनकी प्रतिभा और स्थिरता को दिखाते हैं।
हालाँकि जायसवाल के मुकाबले गिल लिमिटेड ओवर के क्रिकेट में भारत की प्लेइंग इलेवन में कभी-कभी अंदर-बाहर होते रहे हैं, इसका कारण है भारत के पास सलामी बल्लेबाज़ों की भरमार। फिर भी, तेज़ गेंदबाज़ी के खिलाफ उनकी शानदार टाइमिंग, लंबे समय तक टिक कर खेलने की काबिलियत और दबाव में शांत रहने की आदत उन्हें एक भरोसेमंद खिलाड़ी बनाती है।
संजू सैमसन के फॉर्म में उतार-चढ़ाव को देखते हुए कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि गिल को ऐसे बहु-राष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भारत का नियमित ओपनर बनाए रखना चाहिए। उपमहाद्वीप की पिचों पर गिल का अनुभव और एकदिवसीय मैचों में पारी को संभालने के बाद तेज़ी से रन बनाने की कला उन्हें एक मज़बूत दावेदार बनाती है।
भारत की एशिया कप टीम में जगह पाने की प्रबल संभावना किसमें है?
आख़िर में यह बहस इसी बात पर आकर रुकती है कि टीम इंडिया के चयनकर्ता इस समय किस चीज़ को ज़्यादा अहमियत देना चाहते हैं — स्थिरता या विविधता।जायसवाल एक बाएं हाथ के आक्रामक ओपनर हैं, जो शुरुआत में ही गेंदबाज़ों पर दबाव बना सकते हैं और मैच का रुख बदल सकते हैं। वहीं शुभमन गिल एक भरोसेमंद बल्लेबाज़ हैं, जिन्होंने हर फॉर्मेट में खुद को साबित किया है और जिन्हें भविष्य का कप्तान भी माना जा रहा है।
एशिया कप जैसे बड़े टूर्नामेंट से पहले भारत को तय करना होगा कि वह क्या रणनीति अपनाना चाहता है। अगर टीम चाहती है कि पावरप्ले में तेज़ रन बनाए जाएं और शुरुआत से ही आक्रामक खेल हो, तो जायसवाल एक बेहतर विकल्प हो सकते हैं। वहीं अगर टीम को एक ऐसा ओपनर चाहिए जो टिककर खेले और पारी को संभाले, तो गिल का नाम आगे रहेगा। अगर चयनकर्ता बाएं हाथ के बल्लेबाज़ को प्राथमिकता देते हैं, तो जायसवाल को थोड़ी बढ़त मिलती है। लेकिन जो भी खिलाड़ी बाहर बैठेगा, वो ज़्यादा समय तक बाहर नहीं रहेगा क्योंकि दोनों ही भारत के क्रिकेट भविष्य के चमकते सितारे हैं।