• पृथ्वी शॉ ने बुची बाबू टूर्नामेंट 2025 में एक शानदार शतक के साथ महाराष्ट्र के लिए डेब्यू किया।

  • शॉ का मुंबई से महाराष्ट्र जाना लाभदायक साबित हुआ क्योंकि उनकी शानदार पारी ने उनकी फॉर्म में वापसी को उजागर किया।

बुची बाबू टूर्नामेंट 2025: पृथ्वी शॉ के महाराष्ट्र में डेब्यू पर धमाकेदार शतक से प्रशंसक खुशी से झूम उठे
पृथ्वी शॉ ने बुची बाबू टूर्नामेंट 2025 में धमाकेदार शतक के साथ महाराष्ट्र में पदार्पण किया, जिससे प्रशंसक खुशी से झूम उठे (फोटो: X)

पृथ्वी शॉ ने अपनी वापसी पर जबरदस्त प्रदर्शन किया है। उन्होंने बुची बाबू टूर्नामेंट 2025 में छत्तीसगढ़ के खिलाफ महाराष्ट्र की ओर से खेलते हुए 141 गेंदों में 111 रन बनाए और सबका दिल जीता। 25 साल के इस सलामी बल्लेबाज ने अपनी पारी में 15 चौके और एक छक्का लगाया। उनकी पारी ऐसे समय आई जब महाराष्ट्र की टीम मुश्किल में थी और चार विकेट खोकर सिर्फ 86 रन पर थी। पृथ्वी शॉ की पारी ने टीम को संभाला और टीम ने 6 विकेट पर 166 रन का सम्मानजनक स्कोर बनाया। उनका स्ट्राइक रेट 78.72 था, जो यह दिखाता है कि उन्होंने एक मुश्किल पिच पर धैर्य और आक्रामकता दोनों का सही मेल दिखाया। यह शतक सिर्फ एक रन नहीं था, बल्कि फिटनेस और अनुशासन पर उठे सवालों के बाद मुंबई से अलग होने के बाद उनके करियर में नए सिरे से जान फूंकने जैसा था। शॉ का मुंबई के लिए आखिरी मैच दिसंबर 2024 में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के फाइनल में खेला गया था।

पृथ्वी शॉ ने चेन्नई की मुश्किल पिच पर शानदार शतक जड़ा

चेन्नई के गुरु नानक कॉलेज की पिच बहुत चुनौतीपूर्ण थी। छत्तीसगढ़ ने अपनी पहली पारी में सिर्फ 252 रन बनाए थे, और महाराष्ट्र की शुरुआत अच्छी होने के बाद भी टीम जल्दी ही चार विकेट खोकर 86 रन पर पहुंच गई थी।

इस पिच पर गेंद का असमान उछाल था, स्पिनर गेंद को ज्यादा घूमाते थे, और बल्लेबाजों के लिए गलती की कोई जगह नहीं थी। ऐसी मुश्किल हालत में ज्यादातर बल्लेबाज जल्दी आउट हो जाते हैं। लेकिन शॉ ने धैर्य और समझदारी से खेलते हुए अपनी पारी संभाली। उन्होंने 122 गेंदों में अपना शतक पूरा किया। शॉ ने हर शॉट सोच-समझकर खेला, हर चौका नाप-तौल कर मारा। उनका हर रक्षात्मक शॉट बिल्कुल सही था। उनकी पारी में एक ऐसा खिलाड़ी दिखा जो मुश्किल समय से गुजरा है, लेकिन खुद को सही तरीके से खेलने के लिए ढाल भी लिया है। इस मुश्किल पिच पर टिके रहना आसान नहीं था, लेकिन शॉ ने समझदारी और आक्रामकता दोनों दिखाए।

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मुंबई की छाया से परे शॉ के लिए एक नया अध्याय

शॉ के लिए यह शतक बहुत मायने रखता है। 2018 में जब उन्होंने अपने टेस्ट डेब्यू में शतक बनाया था, तब सबने उनकी प्रतिभा देखी थी। लेकिन उसके बाद उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। खराब फॉर्म, फिटनेस की समस्या और निजी परेशानियों की वजह से वे भारतीय टीम से दूर हो गए।

मुंबई की रणजी टीम से उनका बाहर होना उनके लिए बहुत निराशाजनक था, लेकिन यही बदलाव की शुरुआत भी बनी। उन्होंने महाराष्ट्र टीम जॉइन की, जो उनके लिए एक नया मौका था। यहाँ रुतुराज गायकवाड़ और अंकित बावने जैसे अनुभवी खिलाड़ी थे, जिनके साथ मिलकर शॉ ने फिर से खुद को साबित करने की ठानी। अपने पहले मैच में शतक जड़कर शॉ ने दिखा दिया कि उनकी प्रतिभा अब भी बरकरार है। सिद्धार्थ म्हात्रे के साथ मिलकर उन्होंने टीम के लिए अच्छा खेल दिखाया और नई टीम में आसानी से घुल-मिल गए। यह शतक उनकी वापसी और नए सिरे से शुरुआत का साफ संकेत है।

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