भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने राज्य क्रिकेट संघों को सख्त निर्देश दिए हैं कि अगर कोई केंद्रीय अनुबंधित खिलाड़ी उपलब्ध है, तो उसे घरेलू टूर्नामेंट में खेलना जरूरी होगा। यह चेतावनी तब दी गई जब दलीप ट्रॉफी के लिए दक्षिण क्षेत्र की टीम से केएल राहुल और मोहम्मद सिराज को चौंकाने वाले तरीके से बाहर रखा गया। इस फैसले से टूर्नामेंट की प्रतिष्ठा और गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। बीसीसीआई का मानना है कि सीनियर खिलाड़ियों की मौजूदगी से घरेलू क्रिकेट का स्तर बेहतर होता है और युवाओं को सीखने का मौका मिलता है।
दिलीप ट्रॉफी में खिलाड़ियों की भागीदारी पर बीसीसीआई का कड़ा रुख
दलीप ट्रॉफी को भारत में लाल गेंद क्रिकेट और राष्ट्रीय चयन के लिए एक अहम टूर्नामेंट माना जाता है। इसकी अहमियत को दोहराते हुए बीसीसीआई ने साफ कर दिया है कि जब तक कोई खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय मैच में व्यस्त न हो या उसे आधिकारिक रूप से छुट्टी न मिली हो, तब तक सभी केंद्रीय अनुबंधित खिलाड़ियों को अपनी क्षेत्रीय टीमों के लिए खेलना जरूरी है।
बीसीसीआई के क्रिकेट संचालन प्रमुख अबे कुरुविला ने राज्य संघों और चयनकर्ताओं को यह साफ संदेश दिया। उन्होंने कहा, “टूर्नामेंट की प्रतिष्ठा बनाए रखने और इसकी गुणवत्ता ऊँची रखने के लिए जरूरी है कि सभी उपलब्ध भारतीय खिलाड़ी अपनी-अपनी टीमों के लिए चुने जाएं और खेलें।” इस सख्त कदम का मकसद घरेलू क्रिकेट को मज़बूत करना और युवाओं के लिए बेहतर प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाना है।
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दक्षिण जोन की टीम से प्रमुख खिलाड़ियों को बाहर करने पर विवाद
दक्षिण जोन की टीम की घोषणा में केएल राहुल, मोहम्मद सिराज, वाशिंगटन सुंदर और साई सुदर्शन जैसे अहम खिलाड़ियों को शामिल नहीं किया गया। इसके बाद बीसीसीआई को इस मामले में दखल देना पड़ा।
दरअसल, बीसीसीआई की 2024 की नीति में पहले ही यह साफ कर दिया गया था कि कोई भी केंद्रीय अनुबंधित खिलाड़ी अगर राष्ट्रीय कोच, चयन समिति प्रमुख और बोर्ड की अनुमति के बिना घरेलू क्रिकेट से दूर रहता है, तो उसका भविष्य में भारत के लिए चयन खतरे में पड़ सकता है। कुछ राज्य संघों का मानना है कि भारत ए के दौरों या अन्य प्रतिनिधि मैचों में सीनियर खिलाड़ियों की भागीदारी ज़्यादा फायदेमंद हो सकती है, क्योंकि इससे क्षेत्रीय टीमों में युवाओं को मौका मिलता है। लेकिन बीसीसीआई का कहना है कि बड़े खिलाड़ियों की मौजूदगी घरेलू टूर्नामेंट में प्रतिस्पर्धा का स्तर बढ़ाती है और युवा क्रिकेटरों को बेहतर खेलने की प्रेरणा देती है। बोर्ड का मकसद है कि घरेलू क्रिकेट को मज़बूत किया जाए और इसे राष्ट्रीय टीम में जगह पाने के लिए एक मजबूत मंच बनाया जाए।