क्रिकेट की दुनिया में जब तेज गेंदबाजों का नाम लिया जाता है, उसमें शोएब अख्तर का जिक्र जरूर होता है। ऐसे तो ब्रेट ली, शेन बॉन्ड जैसे कई दिग्गज फास्ट बॉलर रहे हैं जिनके सामने अच्छे-अच्छे बल्लेबाजों की सिट्टी-पिट्टी गुल हो जाती थी, तो दूसरी ओर अख्तर ने भी गोली की रफ्तार वाली अपनी गेंदों से दुनिया के महान बल्लेबाजों को सहमाया है। पूरा क्रिकेट जगत तो 2003 में हैरान रह गया था जब इस पाकिस्तानी तेज गेंदबाज ने पूरे क्रिकेट इतिहास की सबसे तेज गेंद फेंक डाल दी।
बता दें कि अख्तर ने 2003 आईसीसी वर्ल्ड कप में ये कारनामा कर दिखाया था। उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 161.3 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से गेंद फेंक ऐतिहासिक रिकॉर्ड दर्ज कर लिया था। इसी के साथ अख्तर ने ऑस्ट्रेलिया के जेफरी थॉमप्सन का सबसे तेज डिलीवरी का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया जिन्होंने 1975 में वेस्टइंडीज के खिलाफ 160.6 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से गेंद फेंकी थी।
थॉमप्सन के रिकॉर्ड को ध्वस्त करने के पीछे की वजह का खुलासा करते हुए पूर्व पाकिस्तानी तेज गेंदबाज ने बताया कि उन्होंने इसके लिए कड़ी मेहनत की। अख्तर ने बताया कि उस समय वो 155 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से गेंद फेंकते थे, इस वजह से पता था कि स्पीड में 5 किमी प्रति घंटा की वृद्धि की जा सकती है। इसके लिए तेज गेंदबाज ने बेहद अनोखा तरीका अपनाया।
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उन्होंने कहा, ”मैंने टायर बांधकर दौड़ना शुरू किया, लेकिन वे हल्के लगने लगे इसलिए मैंने छोटी गाड़ियों को कंधों से खींचना शुरू किया। चूंकि इस्लामाबाद में कम लोग होते हैं, इसलिए मैं रात में गाड़ी खींचता था। मैं उसी रफ्तार से दौड़ने का पूरा प्रयास करता था जिस रफ्तार से रन-अप में दौड़ता था। उसके बाद मैंने ट्रक खींचना शुरू किए और उन्हें 4-5 मील तक खींचता था।”
अख्तर बताते है कि उन्होंने अपनी स्पीड बढ़ाने के लिए 22 गज की बजाय 26 गज की पिच पर भी बॉलिंग की। उन्होंने कहा, ”जब मैंने 26 गज की पिच पर बॉलिंग करना शुरू किया, तब मेरी रफ्तार नीचे गिरकर 142-143 किमी प्रति घंटा पर आ गई थी। लंबी पिच पर मेरा लक्ष्य 150 की रफ्तार हासिल करने का था। उन दिनों मेरी मांसपेशियां बहुत अच्छी शेप में थीं और मैंने पुरानी गेंदों से बॉलिंग करना शुरू किया। मैं पुरानी गेंदों से स्टंप को हिट करने का प्रयास करता था।”